ऊना:हिमाचल प्रदेश के किसान अब दालचीनी की पैदावार कर अपनी आर्थिकी को मजबूत बना सकते (Cinnamon will grown in Himachal) हैं. सीएसआईआर पालमपुर के वैज्ञानिकों के शोध के बाद कृषि विभाग ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया (Cinnamon Cultivation started from Una) है. प्रदेश के पांच जिलों में की जाने वाली दालचीनी की खेती का शुभारंभ आज बुधवार को कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने जिले के बरनोह में दालचीनी के पौधों का रोपण कर इस परियोजना का आगाज (Virender Kanwar started Cinnamon Cultivation) किया.
गौरतलब है कि भारत में हर साल 45 हजार टन के करीब दालचीनी बाहरी देशों से आयात की जाती है. ऐसे में अगर हिमाचल में इसकी अच्छी पैदावार होती है तो इससे किसानों की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी. कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि किसानों की आय को बढ़ाने की दिशा में प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है और दालचीनी की खेती इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगी.
यूं तो दालचीनी दक्षिण भारत का प्रमुख वृक्ष माना जाता है, लेकिन अब जल्द ही हिमाहल प्रदेश दालचीनी की पैदावार का हब बनने जा रहा है. दरअसल, इस समय दालचीनी की फसल असंगठित तौर पर तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में ही उगाई जाती है और स्वास्थ्य एवं विशिष्ट गंध की वजह से इसकी देश व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी मांग है. इस समय देश में दालचीनी की औसतन प्रति वर्ष करीब 50 हजार टन डिमांड है, जबकि असंगठित क्षेत्र में देश में लगभग पांच हजार टन दालचीनी फसल का उत्पादन किया जाता है.
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