ऊना: प्रदेश में दिनों -दिन चिट्टे का कारोबार चरम पर पहुंचता जा रहा है. पहले चरस, अफीम, चूरा पोस्त जैसे नशे के मामले सामने आते थे, लेकिन अब चिट्टे (हेरोइन) ने युवा पीढ़ी को अपनी जद्द में ले लिया है. हालांकि ऊना पुलिस ने 11 माह में चिट्टे के 48 मामले दर्ज करके 71 आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा है.
हिमाचल प्रदेश में युवा पीढ़ी नशे की दलदल में दिन-प्रतिदिन धंसती जा रही है. बदलते परिवेश के साथ-साथ नशे की किस्में भी बदलती जा रही हैं. सिंथेटिक ड्रग्स की चपेट में आने से प्रदेश के कई युवा अपनी जान गंवा चुके हैं. नशे का सबसे अधिक असर हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों में देखने को मिलता है, जिसमें सबसे पहले नाम ऊना जिला का आता है और नशे की वजह से करीब आधा दर्जन युवा अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं.
ऊना जिला में पुलिस द्वारा पिछले कुछ सालों से पकड़े गए चिट्टे के आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो 2013 से लेकर 2018 तक पुलिस ने चिट्टे के 67 मामलों में 86 आरोपियों को दबोचा था. वहीं, 2019 में 11 महीनों में चिट्टे के 48 मामले दर्ज करके 71 आरोपियों को पकड़ने में सफलता हासिल की है. इसके अलावा पुलिस ने मादक द्रव्य अधिनियम के तहत 77 मामले दर्ज किए हैं, जिसमें 48 मामले चिट्टा (हेरोइन) के ही हैं.