सोलनः केंद्र और प्रदेश सरकार लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का नारा दे रही है. वहीं, दूसरी ओर जो लोग किसी तरह मेहनत कर अपना गुजर बसर कर रहे हैं, उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रशासन की प्राथमिकता नजर नहीं आती है. उनकी मांगों को लगातार ठंडे वस्ते में ही रखा जाता है. इसी तरह का मामला जिला सोलन में देखने को मिला.
जिला सोलन में नगर परिषद द्वारा रेहड़ी-फड़ी वालों के लिए बनाई जाने वाली वेंडर मार्केट का काम करीब पांच सालों से अधूर पड़ा है. 2015 में रेहड़ी-फड़ी वालों के लिए वेंडर मार्केट के काम की शुरुआत की गई थी, लेकिन आज तक यह सिरे नहीं चढ़ पाया है. हर बार रेहड़ी-फड़ी वालों को सड़कों से उठाने के लिए नगर परिषद उनके चालान करती है, लेकिन जब रेहड़ी-फड़ी वाले यह मांग करते हैं कि उन्हें कोई उचित स्थान दिया जाए तो नगर परिषद सोलन के अधिकारी मार्केट बनाई जा रही है, कह कर मांग पर विराम लगा देते हैं.
न जमीन है और न कमाई का कोई अन्य साधन, तो कैसे करें गुजारा
वहीं, रेहड़ी फड़ी लगाने वाले लोगों का कहना है कि वे दिन भर मेहनत करते हैं तो उसके बाद उनका घर चल पाता है. लॉकडाउन में पहले ही उन पर बोझ बढ़ गया है, लेकिन अब नगर परिषद रोजाना उन्हें जगह खाली करने के लिए कहते हैं. उन लोगों ने अपना दर्द बताते हुए कहा कि उनके पास न तो जमीन है और न ही कमाई का कोई अन्य साधन. ऐसे में सब्जी बेच कर अपने परिवार का पेट भरते हैं.
उन्होंने कहा कि प्रशासन उन्हें कभी एक जगह बैठने को कहता है तो फिर उस जगह से हटा कर अन्य जगह पर बैठने के लिए कहता है. ये सिलसिला यूहीं चल रहा है. उन्हें बार-बार परेशान किया जाता है. रेहड़ी फड़ी वालों ने मांग करते हुए कहा कि उन्हें एक स्थान पर बैठने की जगह दी जाए ताकि वे भी अपने परिवार का गुजारा कर सके.
रेहड़ी-फड़ी धारकों का कहना है कि वे हर बार प्रशासन से यह उम्मीद लगाते हैं कि इस बार वे उनके लिए कुछ करने वाले हैं, लेकिन हमेशा आश्वासन ही मिले हैं. हर बार नगर परिषद के अधिकारी यह कहते हैं कि उनके लाइसेंस बनाए जाएंगे, लेकिन जब लाइसेंस बनाने की बारी आती है तो उन्हें कहा जाता है कि सिर्फ रेहड़ी वालों के ही लाइसेंस बनेंगे फड़ी वालों के लिए कोई भी प्रावधान नहीं है.
मां शूलिनी रेहड़ी फड़ी विकास समिति ने उठाई ये मांग
वहीं, मां शूलिनी रेहड़ी फड़ी विकास समिति के अध्यक्ष महिताब सिंह का कहना है कि रेहड़ी फड़ी धारकों के लिए बैठने के स्थान के लिए वे कई सालों से सरकार और प्रशासन से मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने रुचि नहीं दिखाई है. 2008 से लेकर कई बार सरकारों के सामने इस विषय को रखा जा चुका है लेकिन होता यही है कि सरकार और प्रशासन एक जगह से उठाकर दूसरी जगह रेहड़ी फड़ी वालों को बैठा देती है.
उसके बाद उनका सामान जब्त करके उनका चालान करती है. हर बार यही क्रम चलता रहता है. उन्हें सरकार से मांग की है कि वे रेहड़ी धारकों के लिए कोई उचित स्थान प्रदान करें ताकि वे लोग अपनी रोजी रोटी कमा सकें.