कसौली:प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की भड़की चिंगारी को 150 से ज्यादा वर्ष पूरे हो चुके हैं. अंग्रेजों से भारत को आजाद करवाने के लिए हिमाचली जवानों को आज भी याद किया जाता है. देश में ब्रिटिश हुक्मरानों के खिलाफ चले आंदोलन की शुरुआत 1857 में कसौली (Kasauli Cantonment in 1857 movement) से हुई थी. छावनी क्षेत्र कसौली से भड़की चिंगारी में देश के कई जवानों ने अपने प्राणों की आहुतियां दी. प्रदेश का सहयोग भी उस दौरान काम नहीं था और पहाड़ी जवानों की भी अहम भूमिका रही है.
हिमाचल के जवानों का बलिदान: अंग्रेजों का गढ़ कही जाने वाली कसौली छावनी से आजादी की पहली क्रांति 20 अप्रैल, 1857 को शुरू हुई थी. अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति पाने और आजादी के लिए हिमाचली जवानों ने भी इसमें अपने जीवन का बलिदान दिया था. 20 अप्रैल को अंबाला राइफल डिपो के 6 भारतीय सैनिकों ने कसौली पुलिस थाने को फूंक दिया था. इससे अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों को जेलों में ठूंस दिया और कई को फांसी पर चढ़ा दिया.
सैनिकों ने उठाई विद्रोह की बंदूकें: विद्रोह की चिंगारी कसौली से डगशाई, सुबाथू, जतोग व कालका छावनियों में फैल गई. अंग्रेजों ने मेरठ, दिल्ली और अंबाला में भी विद्रोह की सूचना मिलते ही कसौली छावनी के सैनिकों को अंबाला कूच करने के आदेश दिए जिसे भारतीय सैनिकों ने नहीं माना और खुले तौर पर विद्रोह करके बंदूकें उठा लीं.
सेंध से बौखला गए ब्रिटिश अधिकारी:उस समय कसौली छावनी में भारतीय सैनिकों (Indian soldiers in Kasauli cantonment) द्वारा सेंध लगाने से ब्रिटिश अधिकारी बौखला गए थे. अंग्रेजों ने कई क्रांतिवीरों को पकड़कर जेलों में ठूंस दिया था. कई को फांसी पर चढ़ा दिया था. कसौली में क्रांति की ज्वाला से भड़की चिंगारी ने पूरे हिमाचल वासियों में आजादी की अलख जगा दी थी.