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विश्व मधुमेह दिवस: डायबिटीज रूपी बारूद के ढेर पर बैठा है हिमाचल

14 नवंबर को पूरे देश में विश्व मधुमेह दिवस डायबिटीज डे मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में अगर हिमाचल प्रदेश की बात की जाए तो राज्य के शहरी क्षेत्रों में 15 से 18 फीसदी लोगों को मधुमेह है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में ये बीमारी 8 से 10 फीसदी लोगों में हैं. मधुमेह बीमारी फैलने का मुख्य कारण लोगों की जीवन शैली में बदलाव होना है.

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Published : Nov 14, 2019, 3:30 PM IST

सोलन: 14 नवंबर को पूरे देश में विश्व मधुमेह दिवस यानि डायबिटीज डे मनाया जा रहा है. जिसका उद्देश्य डायबिटीज को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना है. अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1991 में मधुमेह दिवस मनाना शुरू किया था और इसी दिन इन्सुलिन इंजेक्शन की खोज हुई थी.

हिमाचल प्रदेश की बात की जाए तो राज्य के शहरी क्षेत्रों में 15 से 18 फीसदी लोगों को मधुमेह है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में ये बीमारी 8 से 10 फीसदी लोगों में है. मधुमेह बीमारी फैलने का मुख्य कारण लोगों की जीवन शैली में बदलाव होना है.

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आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवक और बच्चे मधुमेह से ग्रसित हो रहे हैं. ऐसे में इसका बड़ा कारण पिछले चार-पांच दशकों में खाने पीने की वस्तुएं जैसे चीनी, मैदा और खाद्य उत्पादों में किए जाने वाले एक्सपेरिमेंट हैं.

भारत मे करीब 5 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित
अगर पूरे विश्व की बात की जाए, तो करीब 35 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज हैं, जबकि भारत में करीब 5 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं.

क्या है डायबिटीज यानी मधुमेह?
डायबिटीज को मधुमेह भी कहा जाता है ये एक ऐसी बीमारी है, जिसमें खून में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है. साथ ही प्यास की बढ़ोतरी होती है और भूख में वृद्धि होती है.

डायबिटीज का असर
डायबिटीज का असर किडनी पर कुछ साल बाद ही शुरू हो जाता है, जिसे रोकने के लिए ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर दोनों का नॉर्मल होना जरुरी है. ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखकर आंखों को मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचाया जा सकता है.

डायबिटीज के मरीजों में अक्सर 65 साल की उम्र में पहुंचते-पहुंचते दिल के दौरे की समस्या शुरू हो जाती है. जिससे बचने के लिए ब्लड प्रेशर, कोलेस्टेरॉल और तनाव पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है. डायबिटीज से हार्ट अटैक, स्ट्रोकस, लकवा, इंफेक्शन और किडनी फेल होने का भी खतरा बना रहता है.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक एवेलूशन और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 25 सालों में भारत में डायबिटीज के मामलों में 64 प्रतिशत इजाफा हुआ है. वहीं, विश्व बैंक की एक रिपोर्ट पर नजर डालें तो 1990 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 24867 रुपये थी, जो 2016 में बढ़कर 1,09,000 हो गई है.

शोध के अनुसार साल 2017 में दुनिया के कुल डायबिटीज रोगियों का 49 प्रतिशत हिस्सा भारत में था और 2025 में जब ये आंकड़ा 13.5 करोड़ पर पहुंचने पर देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा असर पड़ेगा. परेशान करने वाली बात ये है कि आने वाले 6 वर्षों में देश में इस बीमारी के मरीजों की संख्या 13. 5 करोड़ से ज्यादा हो सकती है, जो साल 2017 में 7.2 करोड़ थी.

डायबिटीज रोगियों के लिए उपाय
जल्दी उठना और व्यायाम के लिए समय निकालना चाहिए.
डायबिटीज एम्हार्ट की दवाइयां कभी बंद नहीं होती है, इसलिए मरीज दवाइयां कभी भी ना छोड़े.
डायबिटीज में थोड़ा और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए.

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