सोलन: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की ओर से आयोजित तीन दिवसीय प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का बुधवार यानि आज दूसरा दिन है. नौणी विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती से परिवार समृद्धि विषय को लेकर आयोजित इस प्रदेश स्तरीय कार्यशाला (state level agricultural workshop) में प्रदेश भर की 721 उत्कृष्ट महिला किसान और 82 खंड तकनीकी प्रबंधक और सहायक तकनीकी प्रबंधकों ने भाग लिया. इस मौके पर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने खेती में महिलाओं की भूमिका और प्राकृतिक खेती की जरूरत क्यों विषय पर जानकारी दी.
प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 1 लाख 68 हजार किसान इस खेती विधि को अपने खेतों में कर रहे हैं और इसमें से 95 हजार महिला किसान हैं. रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की सेहत के साथ मानव स्वास्थ्य में विपरीत असर देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती अभियान को चले हुए चार साल का समय हो चुका है, लेकिन अभी भी कई लोग इसे जैविक खेती से जोड़ते हैं.
उन्होंने बताया कि यह खेती विधि जैविक खेती विधि से पूरी तरह भिन्न है और इसमें किसान-बागवानों की बाजार पर से निर्भरता खत्म होती है. 8 मार्च को हमारे पड़ोसी राज्य हरियाणा ने प्राकृतिक खेती को विधिवत रूप से अपनाया है. उन्होंने बताया कि हरियाणा ने भी हमारे मॉडल को अपनाया है और अब उनकी ओर से हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षक किसानों की मांग रखी गई है.