सोलनः सीडीएससीओ की जांच में हिमाचल के छह दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं सब-स्टैंडर्ड पाई गई हैं. ये उद्योग बद्दी, ऊना और कांगड़ा में स्थापित हैं. इसके अलावा सीडीएससीओ की पड़ताल में महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व गोवा के दवा उद्योगों में निर्मित 14 तरह की दवाएं भी गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतर पाई हैं.
जो दवाएं सब-स्टेंडर्ड पाई गई हैं, उनमें कैल्शियम, विटामिन, एलर्जी, एंटीबायोटिक, यूरिनरी इन्फेक्शन, घबराहट व थायराइड के उपचार की दवाएं शामिल हैं. बता दें कि जून महीने में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने देश भर के अलग-अलग राज्यों से 790 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे. इनमें से जांच के दौरान 20 दवाएं सब-स्टैंडर्ड पाई गईं, जबकि 770 दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर सही पाई गई हैं.
हिमाचल में बनी दवाओं में निट्रोवेक्ट-100, ओडीटोन एमडी-8, थायरोक्सीन सोडियम टैबलेट, एमोक्सलीन एंड पोटाशियम कैल्वोनेट, कैल्शियम एंड विटामिन डी-3 के दो सैंपल फेल हुए हैं. सीडीएससीओ के ड्रग अलर्ट के बाद राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने हरकत में आते हुए सबंधित दवा उद्योगों को जारी कर बाजार से फेल हुए दवा उत्पादों का पूरा बैच हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं.
इसके अलावा प्राधिकरण की ओर से सबंधित क्षेत्रों के दवा निरिक्षकों को उक्त उद्योगों का निरिक्षण कर एक रिपोर्ट सौंपने की भी हिदायतें भी जारी की गई है. बता दें कि सीडीएससीओ के जून महीने के ड्रग अलर्ट में हिमाचल के छह उद्योगों में निर्मित दवाएं सब-स्टैंडर्ड पाई गई हैं.
इनमें उना के मैहतपुर स्थित उद्योग में निर्मित निट्रोवेक्ट-100 कैप्सूल, कांगड़ा के संसारपुर टैरेस स्थित दवा उद्योग में निर्मित ओडीटोन एमडी-8, बद्दी के झाड़माजरी के दवा उद्योग में निर्मित थाईरोक्सीन सोडियम टैबलेट, बद्दी के ठेड़ा स्थित उद्योग में निर्मित एमोक्सलीन एंड पोटाशियम कैल्वोनेट, बद्दी के एचपीएसआईडीसी स्थित उद्योग की कैल्शियम व विटामिन डी-3 टैबलेट शामिल हैं.