सोलन: हिमाचल प्रदेश में अनलॉक प्रक्रिया के तहत 10 सिंतबर को सभी मंदिरों के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं. मंदिरों का खुलना प्रदेश में लोगों के लिए दिवाली के त्योहार से कम नहीं है, लेकिन अभी भी कुछ लोगों के लिए ये दिवाली खुशियां लेकर नहीं आई है. दरअसल मंदिर तो प्रशासन ने खोल दिए हैं, लेकिन मंदिर में प्रसाद की मनाही पर प्रसाद की दुकानें और रेहड़ियां लगाने वालों के लिए अभी भी सब कुछ बंद हैं.
बता दें कि एसओपी और प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुसार भक्त मंदिर में प्रसाद और चुनरी नहीं चढ़ सकते हैं, जिससे प्रसाद की दुकानें और रेहड़ियां लगाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि दुकानदारों अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण के लिए दूसरों से पैसे उधार ले रहे हैं. मंदिर खुलने से इन सभी को एक उम्मीद थी कि कोरोना के कारण बर्बाद हुआ व्यवसाय एक फिर से खड़ा हो सकेगा, लेकिन धर्मिक स्थलों में प्रसाद पर मनाही के कारण उनकी उम्मीदों पर पानी फेर गया.
दुकानदार जोगेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड-19 के कारण छह महीने से व्यापार बंद पड़ा हुआ था. मंदिर खुलने से रोजगार में बढ़ोतरी होने की आशा थी, लेकिन सरकार द्वारा धर्मिक स्थलों पर प्रसाद और अन्य चीजों पर प्रतिबंध लगाने से उनका व्यापार ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में उन्होंने सरकार से प्रसाद और अन्य चीजों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की है, ताकि उनका रोजगार पहले की तरह चल सके.
दुकानदार रामदास ने बताया कि लॉकडाउन में लोग उनसे पूजा-अर्चना के लिए घर से दिया व अन्य सामान लेकर जाते थे, लेकिन मंदिर खुलने पर प्रसाद सहित अन्य चीजों पर प्रतिंबध लगाने से उनको आमदानी नहीं हो रही है, जिससे उनको अपना गुजरा करना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि वो छह महीनें से मंंदिरों के खुलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन स्थिति लॉकडाउन की तरह बनी हुई है.