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Himachal Seat Scan: नालागढ़ विधानसभा सीट पर अभी तक रहा कांग्रेस का दबदबा, आपसी तकरार बन सकती है हार का कारण - हिमाचल सीट स्कैन

विधानसभा चुनाव 2022 सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) में आज हम नालागढ़ विधानसभा सीट (Nalagarh Assembly Seat ground report) की बात करेंगे. वैसे तो नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी में आपसी तकरार के बीच इस साल चुनाव की दृष्टि से नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि चुनावों में कांग्रेस को दूसरों से कम अपनों से ही ज्यादा नुकसान हो सकता है. तो आइये जानते हैं क्या है यहां की जनता का मूड ?

Nalagarh Assembly Seat ground report
नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र की चुनावी जंग.

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Published : Jul 25, 2022, 6:12 PM IST

नालागढ़:हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) की बिसात बिछने को है. हालांकि विधानसभा चुनाव में अभी कुछ महीने शेष हैं, लेकिन प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता जनता के बीच पहुंचने लगे हैं. ऐसे में यह जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि सूबे के किस विधानसभा क्षेत्र में जनता को क्या-क्या परेशानी पेश आ रही है. क्षेत्र में अब तक क्या विकास हुए हैं और लोग अपने वर्तमान विधायक से संतुष्ट हैं या नहीं. विधानसभा चुनाव से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू (himachal seat scan) कराने जा रहा है. आज हिमाचल सीट स्कैन हम बात करने जा रहे हैं नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र की...

कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में नालागढ़ 51वीं विधानसभा सीट है. नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र (Nalagarh Assembly Constituency) में एक बार फिर सियासी गर्मी तेज हो चुकी है. नालागढ़ में जहां भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस की आपसी दरार ही यहां कांग्रेस की हार का कारण बनती जा रही है. दरअसल नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा समय में कांग्रेस का विधायक है. लखविंदर राणा नालागढ़ से विधायक (Nalagarh MLA Lakhwinder Rana) हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में उन्होंने यहां भाजपा प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की थी. वहीं, इससे पहले वे 2011 में हुए उपचुनाव में भी जीत दर्ज कर चुके हैं, लेकिन अब उन्हें 2022 के होने वाले विधानसभा चुनावों में अन्य पार्टियों से खतरा कम और कांग्रेस से ही टिकट की दावेदारी ठोक रहे हरदीप सिंह बावा से ज्यादा खतरा हो गया है. क्योंकि हरदीप बावा 2017 में पहले भी लखविंदर राणा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं.

नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में चुनाव से पहले सियासी गर्मी तेज.

'हमने किया है काम, पार्टी पर है भरोसा': वहीं, लखविंदर राणा का कहना है कि वे चुनावी बेला में उतरने के लिए तैयार हैं. वे लगातार नालागढ़ हल्के में लोगों के बीच जाकर उनके मुद्दों को सरकार के समक्ष रख रहे हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी जानती है कि किसने कांग्रेस के लिए काम किया है और किसने नहीं. उन्होंने कहा कि हरदीप बावा पहले भी उनके खिलाफ जाकर चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को ये निर्णय लेना है कि किसे चुनाव लड़वाना है या नहीं.

'नालागढ़ में विधायक की कार्यप्रणाली से न जनता खुश न पार्टी कार्यकर्ता': वहीं, कांग्रेस नेता व इंटक के प्रदेश अध्यक्ष बावा हरदीप सिंह (INTUC State President Bawa Hardeep Singh) ने नालागढ़ विस क्षेत्र से टिकट के लिए दावा ठोक दिया है, उन्होंने कहा कि हाईकमान अगर उन्हें मौका देती है तो नालागढ़ से कांग्रेस की रिकॉर्ड मतों से जीत तय है. बावा ने दो टूक शब्दों में कहा कि मौजूदा विधायक की कार्यप्रणाली से न तो जनता खुश है और न ही पार्टी कार्यकर्ता. ऐसे हालातों में नालागढ़ से कांग्रेस की जीत पर संशय है. हरदीप बावा ने नालागढ़ से कांग्रेस की टिकट के लिए दावेदारी जताते हुए कहा कि अगर पार्टी सर्वे के मुताबिक टिकट आवंटन नहीं करेगी तो नालागढ़ में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

'लगातार हूं जनता के बीच, इस बार जीतूंगा चुनाव': वहीं, दूसरी तरफ भाजपा नेता के. एल. ठाकुर भी लगातार लोगों के बीच जाकर जनसंपर्क साध रहे हैं. के. एल. ठाकुर का कहना है कि प्रदेश की जयराम सरकार बेहतर कार्य कर रही है. वहीं, लगातार मुख्यमंत्री भी बीबीएन का दौरा कर नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र की जनता को करोड़ों की सौगात भी दे चुके हैं. उन्होंने कहा कि जनता का उन्हें आशीर्वाद और समर्थन समय-समय पर मिलता रहा है और इस बार वे 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा में जरूर पहुंचेंगे.

धर्मपाल चौहान पर दांव खेल सकती है आम आदमी पार्टी: पंजाब में सियासत हासिल करने के बाद हिमाचल में कदम रख चुकी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party in Himachal) भी धीरे-धीरे अब लोगों के बीच जा रही है. नालागढ़ हल्के में कांग्रेस छोड़ आम आदमी पार्टी में शामिल हुए धर्मपाल चौहान भी लोगों के बीच जाकर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. इस तरह से नालागढ़ हल्के में अब त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.

नालागढ़ पंजाब का क्षेत्र साथ लगता है. ऐसे में भौगोलिक स्थिति भी यहां पर पंजाब से मिलती है. यहां पर कुल जनसंख्या 88,665 है, जिसमें से पुरुष 45,468 और महिलाएं 43,196 है. यहां आज तक कांग्रेस का दबदबा ही ज्यादा रहा है. 1967 से लेकर साल 2017 के चुनाव तक अब तक कांग्रेस 8 बार इस विधानसभा सीट पर काबिज हो चुकी है, लेकिन इस बार कांग्रेस की आपसी दरार भाजपा को फायदा पहुंचा सकती है.

नालागढ़ विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट.

नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे: नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र (Nalagarh Assembly Constituency) में किसानों की फसलों को न मिलने वाला उचित दाम, पानी की असुविधा, नदियों पर पुलों का न होना, लगातार खनन को बढ़ावा मिलना और क्राइम का बढ़ना अहम मुद्दे रहे हैं. स्थानीय लोग लगातार विधायकों को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि जो भी वादे नेताओं द्वारा चुनाव के समय किए गए थे वह आज भी पूरे नहीं हो पाए हैं. चाहे वह नदियों के ऊपर पुल बनाने की हो, खनन रोकने की हो या फिर क्राइम रेशियो को कम करने की बात हो. इस साल के चुनाव में भी यही मुद्दे (Nalagarh Assembly Constituency Issues) गर्माने वाले हैं. क्षेत्र की जनता बरसों से पानी की समस्या को दूर करने की मांग चुने हुए विधायक से करती आई है. लगातार विधानसभा में भी ये मुद्दे उठते रहे हैं, लेकिन आज तक वह कार्य पूरे नहीं हो पाए हैं.

नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे.

नालागढ़ विधानसभा सीट पर अब तक ये रहे विधायक:नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में 1967 - 1977 तक अर्जेन सिंह एक बार निर्दलीय और एक बार कांग्रेस से विधायक रहे. वहीं, 1977 - 1982 तक जनता पार्टी के विजयेंद्र सिंह विधायक रहे. 1982 - 1993 तक कांग्रेस से विजयेंद्र सिंह विधायक रहे. 1998 - 2007 तक भाजपा से हरिनरेण सिंह विधायक रहे. 2011- उपचुनाव में कांग्रेस से लखविंदर सिंह राणा ने जीत हासिल की. 2012 - 2017 तक भाजपा से कृष्ण लाल ठाकुर विधायक रहे. साल 2017 में कांग्रेस प्रत्याशी लखविंदर सिंह राणा ने जीत हासिल की थी.

नालागढ़ विधानसभा सीट पर अब तक ये रहे विधायक.

नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में चुनावी गणित: नालागढ़ विधानसभा सीट पर अभी तक 13 में से 8 चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की है. यहां पर आमतौर पर विधायक बदलने की रिवायत बहुत कम रही है. चेहरे और विकास के कामों को देखकर नालागढ़ की जनता चुनावों में उम्मीदवार को वोट करती आई है. 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी अर्जेन सिंह ने निर्दलीय काला राम को 465 वोटों से (Voting percentage in Nalagarh assembly seat) हराया था. वहीं, 1972 में अर्जेन सिंह ने कांग्रेस की टिकट लेकर सीपीएम के प्रत्याशी काला राम को 3,976 वोटों से हराया था. 1977 में जनता पार्टी के विजयेंद्र सिंह ने निर्दलीय अर्जेन सिंह को 10,928 वोटों से हराया था. 1982 में कांग्रेस की टिकट से विजयेंद्र सिंह ने निर्दलीय अर्जेन सिंह को 9,241 वोटों से हराया था. 1985 में एक बार फिर कांग्रेस की टिकट पर विजयेंद्र सिंह ने निर्दलीय केहर सिंह को 16997 वोटों से हराया था. 1990 में विजयेंद्र फिर कांग्रेस से लड़े और जनता दल से उतरे केहर सिंह को 6346 वोटों से हराया था.

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नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में चुनावी जंग:वहीं, 1993 में विजयेंद्र सिंह फिर कांग्रेस से लड़े और भाजपा से उतरे केहर सिंह को 5,696 वोटों से हराया था. 1998 में हरिनरेण सिंह भाजपा से लड़े और कांग्रेस के विजयेंद्र सिंह को 5,330 वोटों से हराया था. 2003 में हरिनरेण सिंह फिर भाजपा से लड़े और कांग्रेस की प्रत्याशी सुकृति कुमारी 3,083 वोटों से हराया था. वहीं, 2007 में फिर हरिनरेण भाजपा की टिकट से लड़े और कांग्रेस प्रत्याशी लखविंदर सिंह राणा को 3821 वोटों से हराया. फिर साल 2011 में उपचुनाव हुआ, ऐसे में उस वक्त कांग्रेस प्रत्याशी लखविंदर सिंह राणा (Congress candidate Lakhwinder Singh Rana) ने भाजपा के गुरनाम कौर को 1,599 वोटों से हराया था. वहीं, एक बार फिर साल 2012 में लखविंदर फिर चुनाव में उतरे लेकिन इस बार उनको भाजपा प्रत्याशी के एल ठाकुर ने 9,308 वोटों से हराया. वहीं, एक बार फिर कांग्रेस ने लखविंदर राणा पर विश्वास जताया और उन्होंने 1,242 वोटों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी के एल ठाकुर को हराकर विधानसभा में अपनी जगह बनाई.

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वहीं, दूसरी ओर भाजपा नेता के. एल. ठाकुर अपनी जीत को लेकर इस बार आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं. इसके अलावा पंजाब के साथ लगते क्षेत्र होने के कारण इस बार आम आदमी पार्टी भी नालागढ़ में कदम रख चुकी है. यहां पर कांग्रेस से बागी हुए नेता धर्मपाल चौहान आम आदमी पार्टी का दामन थाम चुके हैं. इस बार पंजाब की सियासत क्या हिमाचल के इस बॉर्डर एरिया में झाड़ू अन्य पार्टियों पर लगा पाएगी यह तो देखना होगा. ऐसे में इस बार इस हल्के में चुनाव दिलचस्प रहने वाला है.

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