सोलन/अर्की: हिमाचल प्रदेश में साल 2022 चुनावी साल है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने जनता के बीच जाकर जनसंपर्क करना भी शुरू कर दिया है. हालांकि इस साल किसकी जीत होगी किसकी हार होगी ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे. हिमचल सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) सीरीज के माध्यम से एक नजर सोलन जिले की अर्की विधानसभा क्षेत्र (Arki assembly seat ground report) पर डालते हैं.
68 विधानसभा क्षेत्रों में अर्की 50वीं विधानसभा सीट है, जहां आज तक 12 चुनावों में से 6 बार कांग्रेस 4 भाजपा एक बार जनता पार्टी और एक बार लोक राज पार्टी का दबदबा रहा है. अर्की विधानसभा सीट (Arki assembly seat) को कांग्रेस का गढ़ भी कहा जाता है. अर्की विधानसभा क्षेत्र में 71 पंचायतें और एक नगर पंचायत है यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 93,044 है जिसमें पुरुष मतदाता 47,055 और महिला मतदाता 45,989 हैं.
अर्की विधानसभा सीट पर चुनावी जंग:अर्की विधानसभा सीट (Arki assembly seat) पर साल 1972 में हीरा सिंह पाल लोकराज पार्टी से यहां विधायक रहे. 1977 में जनता पार्टी के नगीन चन्द्र पाल विधायक बने. 1982 में फिर नगीन चन्द्र पाल अर्की के विधायक बने, लेकिन इस बार भाजपा की टिकट पर जीत हासिल की थी. साल 1985 में कांग्रेस के प्रत्याशी हीरा सिंह पाल ने अर्की की सीट पर जीत हासिल की. 1990 में फिर नगीन चन्द्र पाल ने भाजपा की टिकट पर यहां चुनाव जीता. उसके बाद अर्की विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने 1993, 1998 और 2003 में अपनी हैट्रिक लगाई और यहां पर धर्मपाल ठाकुर लगातार तीन बार विधायक रहे. उसके बाद 2007 और 2012 में भाजपा के गोविंद शर्मा ने यहां पर दो बार चुनाव जीता. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में गोविंद शर्मा का टिकट कटा और भाजपा ने नए चेहरे रत्न सिंह पाल को चुनावी मैदान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के सामने उतारा, जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के निधन के बाद 2021 में उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी ने जीत हासिल की.
अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: साल 1972 में अर्की में लोकराज पार्टी से चुनाव लड़ते हुए हीरा सिंह पाल ने निर्दलीय उम्मीदवार बाली राम ठाकुर को 610 वोटों से हराया था. साल 1977 में जनता पार्टी से चुनाव लड़ते हुए नगीन चन्द्र पाल ने सीपीआईएम के कामेश्वर को 8,317 वोटों से हराया था. साल 1985 में कांग्रेस के हीरा सिंह पाल ने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 6,412 वोटों से हराया. साल 1990 में हुए चुनावों में भाजपा के नगीन चन्द्र पाल ने कांग्रेस के अमर चंद पाल को 10,998 वोटों से हराया. साल 1993, 1998 और 2003 में हुए चुनाव में कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर ने अपनी जीत की हैट्रिक लगाई. 1993 में उन्होंने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 5,727 वोटों से हराया. 1998 में फिर एक बार उन्होंने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 578 वोटों से हराया. 2003 में भाजपा ने टिकट में बदलाव करके गोविंद शर्मा को टिकट दिया, लेकिन 2003 में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर ने भाजपा के गोविंद शर्मा को 1,043 वोटों से हराया.
साल 2007 में हुए चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की. इस दौरान भाजपा के गोविंद शर्मा ने कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर को 6,687 वोटों से हराया. साल 2012 में फिर गोविंद शर्मा भाजपा की टिकट से जीते और उन्होंने इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे संजय अवस्थी को 2075 वोटो से हराया. 2017 में भाजपा ने टिकट में बदलाव किया और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के खिलाफ रत्न सिंह पाल को टिकट दी, लेकिन रत्न पाल को इस दौरान 6,051 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. 2021 में वीरभद्र सिंह के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के संजय अवस्थी ने भाजपा के रत्न पाल को 3,219 वोटों से हराया.
ये रहते आए हैं चुनावी मुद्दे: अर्की के चुनावी मुद्दे विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश जनता कृषि और बागवानी से जुड़ी हुई है. यहां कैश क्रॉप के रूप में टमाटर और फूलों की खेती की जाती है. इसके अलावा इस क्षेत्र में सब्जियों का भी अच्छा कारोबार किया जाता है. इसके अलावा महंगाई भी इन चुनावों में बड़ा मुद्दा (Arki Assembly Constituency Issues) बनकर सामने आ सकता है. पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के साथ-साथ लोगों को महंगाई के कारण घर चलाना मुश्किल हो चुका है.
स्कूलों की हालत खस्ता, सड़क समस्या और बसों की कमी अहम मुद्दा: इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र में स्कूलों की हालत खस्ता होने से लोग परेशान हैं. क्षेत्र के कई हिस्सों में सड़कों की स्थिति खराब है. ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की कमी और फोन नेटवर्क की दिक्कत लोगों की बड़ी समस्याएं हैं. इस बार चुनावों में यह समस्या लोगों ने राजनीतिक दलों के सामने रखी भी है.
अर्की विधानसभा क्षेत्र में ठाकुरों व ब्रह्मणों का दबदबा:अनारक्षित सीट होने के कारण अर्की विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव में ठाकुरों और ब्रह्मणों का ही दबदबा रहा है. वर्ष 1967 से लेकर 2021 तक हुए विधानसभा चुनाव में 10 बार ठाकुर विधायक बना, जबकि 3 बार ब्रह्मण नेता विधायक बना. इनमें तीन बार हीरा सिंह पाल, तीन बार नगीन चंद्र पाल, तीन बार धर्मपाल ठाकुर, दो बार गोविंद राम शर्मा, एक बार वीरभद्र सिंह और एक बार संजय अवस्थी अर्की से विधायक बने.
ब्रह्मण मतदाता सबसे अधिक:भाजपा और कांग्रेस ने हर बार ठाकुर और ब्रह्मण चेहरे पर दांव खेला है. हालांकि कांग्रेस ने 2007 के चुनाव में अलग वर्ग से संबंधित प्रत्याशी को तीन बार लगातार विधायक रहे धर्मपाल ठाकुर का टिकट काटकर चुनाव में उतारा था. उस चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. वहीं, कांग्रेस से टिकट कटने के कारण धर्मपाल ठाकुर ने आजाद चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी काफी पीछे रह गया था. जातीय समीकरण के हिसाब से अर्की विधानसभा क्षेत्र में ब्रह्मण मतदाता अधिक हैं.