सोलन: आजादी से पहले भारत में शिक्षा के बहुत कम साधन थे, वहीं आज के इस डिजिटल युग में शिक्षा ग्रहण करना बहुत आसान है. इंटरनेट और फोन के जरिए कहीं भी और कभी भी पढ़ा और लिखा जा सकता है. शिक्षा के ही क्षेत्र की बात करें तो छोटा सा पहाड़ी राज्य हिमाचल साक्षरता दर में देश के टॉप-5 राज्यों में शामिल है, बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश की शिक्षा प्रणाली पर लगातार सवाल उठते रहें हैं.
वैदिक काल से लेकर आज के दौर तक शिक्षा ग्रहण करने के अलग-अलग तरीके रहे हैं. शिक्षा ग्रहण या ज्ञान प्राप्ति के लिए के लिए पुस्तकालय हमेशा से ही विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. आज हम बात करेंगे हिमाचल की पहली लाइब्रेरी (First library of himachal) की. सूबे के बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि हिमाचल की पहली लाइब्रेरी कहां बनी थी या किस जिले में. इसका जवाब है सोलन. सोलन जिले की शान कही जाने वाली पहली सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी की 1959 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने स्थापना की थी.
इसका उद्घाटन तत्कालीन उप राज्यपाल बजरंग बहादुर सिंह भदरी ने किया था. आजादी से पहले देश में शिक्षा के बहुत कम साधन थे. उस समय सोलन में यानी उस दौर की बघाट रियासत का एकमात्र माध्यमिक स्तर का वर्नाकुलर स्कूल (Vernacular Middle School in Solan) हुआ करता था. इस स्कूल में पढ़ाई पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए अमीर परिवारों और राज परिवार के युवक लाहौर जाया करते थे क्योंकि उस समय पंजाब विश्विविद्यालय लाहौर में था.
देश का जब विभाजन हुआ तो पंजाब विश्वविद्यालय की स्थापना सोलन में की गई थी. कुछ समय बाद नया चंडीगढ़ बनने पर विश्वविद्यालय को चंडीगढ़ स्थानांतरित किया गया. डॉ. यशवंत सिंह परमार तत्कालीन मुख्यमंत्री थे और उन्हें पुस्तकों से बड़ा लगाव था. ऐसे में डॉ. परमार ने पुराने पंजाब विश्वविद्यालय से तीन सौ गज की दूरी पर शिवदयाल नवनिर्मित भवन के ऊपरी मंजिल में सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी की स्थापना करवा दी, लेकिन 6 दशक से यह लाइब्रेरी किराये के भवन में चल रही (rented library building of solan) है.
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