कसौली/सोलन:हिमाचल के प्रवेश द्वार पर इन दिनों पर्यटकों का स्वागत गले-सड़े सेबों के ढेर से हो रहा है. सीमा के साथ हाईवे किनारे सेब के ढेर लगे हुए हैं और दुर्गंध से लोग काफी परेशान हो रहे हैं. ट्रक चालक अंधेरे का फायदा उठाकर (Dumping of rotten apples in Parwanoo) हाईवे किनारे गले-सड़े सेबों की पेटियां और कट्टे फैंक रहे हैं. इससे आने वाले दिनों में डेंगू और अन्य बीमारियों के फैलने का भी खतरा क्षेत्र में मंडरा रहा है.
वहीं, प्रशासन इस बात से पूरी तरह बेखबर है. न तो मंडी समिति इस ओर ध्यान दे रही है और न ही स्थानीय प्रशासन. इसके चलते परवाणू में गंदगी बढ़ती जा रही है. इन गले-सड़े सेबों पर मच्छर, रंगड़ और मधुमक्खियों ने डेरा जमाया हुआ है. जो कभी भी किसी को नुकसान पहुंचा सकती है. गौर रहे कि इन दिनों सेब सीजन चरम पर है. रोजाना लाखों रुपयों के सेबों की बोलियां प्रदेश की सेब मंडियों में लग रही हैं. लेकिन खराब हो रहे सेब को ठिकाने लगाने के लिए मंडियों के पास कोई व्यवस्था नहीं है.
परवाणू में आजकल इसी प्रकार के हालात हैं और लोगों को इससे परेशान होना पड़ रहा है. आढ़ती और व्यपारियों की ओर से छंटाई कर गले-सड़े सेबों को दत्यार और टिपरा गांव में सड़कों के किनारे गिराया जा रहा है. टिपरा में कई टन फैलाए जा रहे गले सेबों के कचरे के कारण डेंगू भी फैल रहा है. पिछले कई वर्षों से परवाणू में (Dumping of rotten apples in Tipra) सेबों के कचरे से समस्या झेलनी पड़ रही है. लेकिन सरकार और प्रशासन इस समस्या का आज तक समाधान नहीं कर पाया है और न ही समाधान को लेकर कोई ब्लू प्रिंट तैयार कर पाया है.
उधर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता प्रदीप मोदगिल ने बताया कि हाईवे पर गिराए जा रहे सेब को लेकर उपायुक्त सोलन कृतिका कुलहरी को अवगत करवाया गया है. उन्होंने समस्या का शीघ्र समाधान करने के लिए कहा है. साथ ही कई मिथेन गैस बनाने वाली कंपनियों से भी बात चली हुई है. प्रयास रहेगा कि जल्द ही परवाणू और टिपरा की गले-सड़े सेबों की समस्या दूर कर दिया जाएगा.
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