नई दिल्ली/शिमला: 8 मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा. ऐसे में आज ईटीवी भारत आपको दिल्ली पुलिस की दो खास महिला पुलिसकर्मियों से मिलवाने जा रहा है. यह महिलाएं मेट्रो पुलिस में तैनात हवलदार सीमा और सिपाही मुकेशी. ये दोनों महिलाएं इसलिए खास हैं क्योंकि बीते एक साल में उन्होंने लापता हुए 140 से ज्यादा बच्चों को तलाशकर उनके परिवार के चेहरे पर मुस्कान लौटाई है. ऐसे परिवारों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए दोनों ने दिन-रात कड़ी मेहनत की है. खास बात यह है कि यह काम उनकी ड्यूटी का हिस्सा नहीं था.
जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस द्वारा ऑपेरशन मिलाप चलाया जाता है. इसके तहत लापता हुए बच्चों की तलाश की जाती है. मेट्रो के आईएनए थाने में तैनात हवलदार सीमा और जनकपुरी थाने में तैनात सिपाही ने इस ऑपेरशन को कामयाब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने अपनी ड्यूटी के अलावा दिल्ली के अलग-अलग थानों में जाकर उन बच्चों के बारे में जानकारी जुटाई जो लापता हुए हैं. इसके बाद उन्होंने बच्चों की तलाश शुरू की. हवलदार सीमा ने जहां लापता हुए 72 बच्चों को तलाश लिया तो वहीं सिपाही मुकेशी ने 69 लापता बच्चों को तलाशकर उनके परिवार से मिलवाया.
हवलदार सीमा ने बताया कि यह काम बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. लापता हुए बच्चे के बारे में थाने जाकर वह एफआईआर लेती हैं. इसके बाद परिवार, दोस्त, पड़ोसी आदि से संपर्क कर बच्चे की तलाश शुरू होती है. सीमा ने बताया कि बदरपुर इलाके में एक साथ तीन बच्चियां लापता हुई थी. उसे जब इसका पता चला तो वह उनकी तलाश में जुट गई. आसपास के क्षेत्र को खंगाला. मंदिर-मस्जिद से अनाउंसमेंट करवाई. शाम तक उसके प्रयासों का फल मिला और दो बच्चियां मिल गईं. इसके बाद वह तीसरी बच्ची की तलाश में जुटी रही और तीन दिन बाद उसे भी तलाश लिया. सीमा ने बताया कि परिवार को जब बच्चा मिलता है तो उनके चेहरे की खुशी बड़ा सुकून देती है.
सीमा ने बताया कि वह लगभग 4 महीने में 72 बच्चों को तलाशकर उनके परिवार से मिलवा चुकी हैं. उन्होंने बताया कि वह खुद भी एक मां हैं. ऐसे में बच्चे से बिछड़ने के दर्द को वह खुद भी महसूस कर सकती हैं. सीमा ने बताया कि जब बच्चा परिवार से मिलता है तो उनकी खुशियों को देखकर और बच्चों को तलाशने की प्रेरणा मिलती है. उन्होंने बताया कि यह काम उनकी ड्यूटी का हिस्सा नहीं है, क्योंकि यह बच्चे मेट्रो से लापता नहीं हुए थे. लेकिन मेट्रो डीसीपी जितेंद्र मणि एवं एसएचओ ने उन्हें बच्चों को तलाशने में काफी सपोर्ट किया. उन्हें हर संभव मदद दी जिसकी वजह से वह इतने बच्चों को तलाश सकी और उन्हें परिवार से मिलवा सकीं.