शिमला: हिमाचल में 2017 का चुनाव राज्य की राजनीति में नए अध्याय के तौर पर दर्ज किया जाता है. सत्ता परिवर्तन के बाद हिमाचल में सियासी पीढ़ी का भी परिवर्तन हुआ. जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने. जयराम ठाकुर नाप-तोलकर बोलने के लिए पहचान रखते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Himachal Chief Minister Virbhadra Singh) ने उन्हें शालीन राजनेता कहा था.
इसी प्रकार कांग्रेस के कद्दावर नेता रामलाल ठाकुर ने जयराम ठाकुर के बतौर सीएम पहले बजट सेशन के दौरान उन्हें सुंदर, नौजवान और सहनशील कहा था. वर्ष 2018 में मार्च की 13 तारीख को बजट सेशन के दौरान रामलाल ठाकुर की ये टिप्पणी ऑन रिकॉर्ड है. इसी प्रकार तेजतर्रार स्वभाव और तीखे तेवरों वाले माकपा के विधायक राकेश सिंघा ने भी जयराम ठाकुर की तारीफ में अच्छे शब्द कहे हैं.
सीएम जयराम, पूर्व सीएम स्व. वीरभद्र सिंह और रामलाल ठाकुर. पिछले साल यानी 2021 के मानसून सत्र में राकेश सिंघा ने जयराम ठाकुर को दयालु (Rakesh Singha on CM Jairam Nature) बताते हुए कहा था कि जिस रफ्तार से वे आगे बढ़ रहे हैं तो पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह जैसे तो नहीं, लेकिन उनकी बराबरी जरूर कर लेंगे. यहां इस भूमिका को बांधने के पीछे एक कारण है. कारण ये कि इन दिनों सीएम जयराम ठाकुर अपने मूल स्वभाव से हटकर कुछ तल्ख होकर प्रतिक्रिया व्यक्त (Reason behind CM Jairam Thakur anger) करने लगे हैं.
सीएम जयराम ठाकुर के तल्ख तेवर:हाल ही में हमीरपुर दौरे के समय उनसे मीडिया ने रविंद्र सिंह रवि को लेकर सवाल किया था. तब सीएम जयराम ठाकुर ने नाराज होकर कहा कि रविंद्र रवि कहीं चले गए क्या? मीडिया के सवाल पर उन्होंने आगे कहा कि ये आप तय नहीं करेंगे. ऐसी प्रतिक्रिया अमूमन जयराम ठाकुर की तरफ से नहीं आती थी. यही नहीं, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) के साथ उनके तीखे आरोप-प्रत्यारोपों (CM Jairam VS Mukesh Agnihotri) ने भी खूब सुर्खियां बटोरी.
सीएम जयराम ठाकुर और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री. इसके अलावा कौल सिंह ठाकुर ने जब जयराम ठाकुर के लिए योग्यता व अनुभव की कमी वाला बयान दिया था, तो भी सीएम ने तीखे शब्दों में प्रतिकार किया था. यही नहीं, उन्होंने उल्टा कौल सिंह के बारे में कह दिया कि उनकी योग्यता के चर्चे (CM Jairam VS kaul Singh Thakur) भी खूब हुए हैं.
सीएम जयराम ठाकुर और कौल सिंह ठाकुर. क्या बातों को लेकर दबाव में हैं सीएम जयराम: देखा गया है कि पूर्व में जयराम ठाकुर अगर प्रतिक्रिया भी व्यक्त करते थे तो सधे हुए शब्दों में अपनी बात कहते थे. वर्ष 2017 के अंत में जयराम ठाकुर ने सत्ता संभाली थी. उसके बाद से वे निरंतर शालीन व्यवहार करते रहे. उकसाने के बावजूद उन्होंने कभी इस तरह से तीखे शब्दों का प्रयोग नहीं किया. विधानसभा के भीतर भी कई बार विपक्ष के व्यवहार से आहत होने के बावजूद जयराम ठाकुर शालीनता से ही पेश आते रहे. कई बार वे मनोभावों को दबाकर भी मौके के अनुसार सभ्य शब्दों में ही अपनी बात रखते रहे, लेकिन अब अपने पहले कार्यकाल के इस आखिरी साल में जयराम ठाकुर तीखे (CM Jairam Thakur gets angry ) हो गए हैं. इसका कारण मिशन रिपीट का दबाव, अपने समर्थकों के लिए टिकट पक्का करने का तनाव भी हो सकता है.
ये हैं जयराम सरकार के महत्वपूर्ण फैसले: ये सही है कि मौजूदा सरकार ने अपने कार्यकाल में सरकारी कर्मियों सहित अन्य वर्गों के लिए कुछ अच्छे फैसले लिए हैं. सामाजिक सुरक्षा पेंशन के क्षेत्र में सरकार का काम सराहनीय रहा है. इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में गंभीर रोगियों को सहारा योजना ने बहुत सहारा दिया है. कर्मचारियों की मांगों पर भी सरकार ने अपेक्षाकृत सकारात्मक रुख अपनाया है. फिर ऐसी क्या बात है कि सीएम जयराम ठाकुर की नाक पर गुस्सा आकर बैठ रहा है?
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ: वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि इस समय हिमाचल की जयराम सरकार पर कई तरह के दबाव हैं. उदाहरण के लिए यूपी, उत्तराखंड सहित दो अन्य राज्यों में सरकार रिपीट हुई है. इस तरह हिमाचल में मिशन रिपीट (BJP Mission Repeat in Himachal) का दबाव है. यदि सरकार कई अच्छे कार्यों के बाद भी सत्ता में वापसी न कर पाए तो सारा ठीकरा सीएम पर फूटेगा. फिर जयराम ठाकुर को हाईकमान ने चुनाव के लिए सीएम फेस भी डिक्लेयर किया है. इसके अलावा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की साख भी दांव पर है. ऐसे में स्वभाव में तल्खी आ जाना सहज सी बात है. अलबत्ता इसमें कोई दो राय नहीं है कि जयराम ठाकुर एक शालीन राजनेता हैं. अब देखना है कि जैसे-जैसे चुनाव का समय (Himachal Assembly Elections 2022) नजदीक आता जाएगा, क्या सीएम जयराम ठाकुर सभी तरह के दबाव झेलकर भी शालीन बने रहेंगे अथवा नहीं.
ये भी पढ़ें:साइबर ठगी के लिए CM जयराम के प्रोफाइल फोटो का इस्तेमाल, ठगों ने सीएम के परिचित को WhatsApp चैट कर की पैसों की मांग