शिमला: हिमाचल के पुलिस विभाग के इतिहास में रविवार को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम सामने आई. अपनी मांगों को लेकर निरंतर उपेक्षा झेल रहे पुलिस के जवान इस बार इतने अधीर हो गए कि सैकड़ों की संख्या में वर्दी पहने हुए ही (POLICE PERSONNEL REACHED CM RESIDENCE) मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) के सरकार आवास पहुंच गए. यही नहीं विरोध स्वरूप अनेक पुलिस कर्मियों ने मैस के खाने का भी बहिष्कार किया. दरअसल मामला यह है कि हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों के साथ संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक (Joint Consultative Committee meeting) में कई फैसले लिए, लेकिन पुलिस की महत्वपूर्ण मांग भी अनदेखी हो गई. इससे नाराज पुलिस कर्मी सैकड़ों की संख्या में विरोध जताने के लिए सीएम के सरकारी निवास ओक ओवर पहुंच गए.
मुख्यमंत्री ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की और भरोसा दिया कि उनकी मांग पर विचार किया जाएगा. उधर, मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद सोमवार को तय मीटिंग देर शाम भी नहीं हो पाई और बाद में उस बैठक को टाल दिया गया. पुलिस अधिकारी और जवानों ने स्पष्ट किया है कि वे एक अनुशासित सुरक्षा बल हैं और हमेशा अपने कर्तव्यों को निभाएंगे.
आठ साल के सेवाकाल तक पुलिस कांस्टेबल को नियमित वेतनमान न मिलने के मामले में सोमवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त के साथ बैठक नहीं हो पाई. पुलिस कर्मियों की ओर से भी प्रतिनिधि उपलब्ध नहीं हो पाया. रिज मैदान पर राष्ट्रपति कलर सम्मान के उपलक्ष्य में आयोजित हो पुलिस परेड की रिहर्सल के कारण ये सचिवालय नहीं जा सके. पुलिस बल कानून व्यवस्था की ड्यूटी भी निभा रहा था. इसलिए बैठक में भाग नहीं ले पाए. पुलिस जवानों का कहना है कि वे अनुशासित पुलिस बल के सदस्य हैं. उन्होंने मांगों को लेकर कहीं भी घेराव नहीं किया. अनुशासन में रहकर मुख्यमंत्री से मिलने ओक ओवर तक गए थे और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने उनकी मांग को पूरा करने का भरोसा दिया था.
ऐसे में अब मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद ही इस गतिरोध पर आगे कोई पहल होगी. उल्लेखनीय है कि पुलिस कर्मियों की भर्ती तो नियमित कर्मचारी के तौर पर की जाती है, लेकिन उनको वित्तीय लाभ आठ साल बाद दिए जाते हैं. ऐसे में पुलिस कर्मियों की मांग है कि जब भर्ती नियमित कर्मचारी के तौर पर होती है तो फिर रेगुलर पे-स्केल भी शुरुआत या फिर दो साल बाद दिए जाएं. उधर, पुलिस कल्याण संघ ने भी अपने तेवर तीखे किए हैं. संघ ने कहा है कि इस संबंध में आए सिंगल बैंच के फैसले को डबल बैंच में चुनौती दी जाएगी. अगर फिर भी राहत नहीं मिली तो संघ सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेगा. हिमाचल प्रदेश पुलिस कल्याण संघ (Himachal Pradesh Police Welfare Association) के अध्यक्ष रमेश चौहान ने कहा है कि हिमाचल पुलिस के कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर स्तर के कर्मचारियों के लिए ड्यूटी देने के मामले में काम के घंटे तय नहीं है. थाने, चौकियों में चौबीसों घंटे ड्यूटी देनी होती है.
उन्होंने आठ घंटे ड्यूटी देने के प्रावधान को लागू करने की मांग की. उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मचारियाें को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिल पाता है.संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि 16, 24, 32 वर्ष में तीन पदोन्नति देने का मामला हाईकोर्ट में वर्ष 2010 से चल रहा है इसके अलावा साल में एक महीने तक संशोधित वेतनमान पर अतिरिक्त वेतन देने का मामला 2016 से कोर्ट में विचाराधीन है. साप्ताहिक अवकाश देने पर अभी अंतिम फैसला नहीं आया है.
संघ ने आठ साल की शर्त से जुड़े पुलिस कांस्टेबल के मामले को संयुक्त सलाहकार समिति में प्रमुखता से उठाया था. तब सुनवाई नहीं हुई. अनुबंध कर्मियों पर भी दो साल का राइडर लगा है तो नियमित पुलिस कर्मचारियों पर आठ साल का राइडर बिल्कुल सही नहीं हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) का कहना है कि पुलिस कर्मियों की मांगों पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है और जरूर इसका कोई ना कोई हल निकाला जाएगा.
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