शिमला: हिमाचल की राजनीति की ये परंपरा रही है कि यहां हर पांच साल बाद जनता सरकार बदल देती है. छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में जनता बारी-बारी से कांग्रेस और भाजपा को सत्ता सौंपती रही है. ये अलग बात है कि इस बार भाजपा मिशन रिपीट (BJP mission repeat in Himachal) के लिए जोर-शोर से जुटी है. भाजपा को भरोसा भी है कि वो नरेंद्र मोदी के नाम और सीएम जयराम के काम के सहारे फिर से सत्ता में आएगी.
कांग्रेस सत्ता में आई तो कौन होगा सीएम:कांग्रेस को सत्ता विरोधी फैक्टर, चार दशक की सरकार बदलने की परंपरा पर विश्वास है कि इस बार सिंहासन संभालने की उनकी बारी है. ऐसे में चुनावी साल में हिमाचल के सियासी गलियारों में ये सवाल तैरने लगा है कि कांग्रेस सत्ता में आई तो सीएम कौन होगा. हिमाचल में कांग्रेस के पर्याय रहे वीरभद्र सिंह अब इस संसार में नहीं हैं. उनके रहते ये सवाल ही नहीं उठता था कि सत्ता में आने के बाद सीएम कौन (CM from Congress in Himachal ) होगा. फिलहाल, परिस्थितियां भिन्न हैं और ये समझना रोचक होगा कि चुनावी साल में कांग्रेस का सत्ता में आने का समीकरण क्या है और सरकार बनने की स्थिति में कौन होगा सीएम. इस यक्ष सवाल का पार्टी क्या हल निकालती है.
सत्ता में आने पर क्या आनंद शर्मा बनेंगे सीएम: यहां हम बारी-बारी से कांग्रेस के बड़े नेताओं के समीकरण को समझते हैं. आनंद शर्मा कांग्रेस में बड़ा नाम हैं. वे हाईकमान के नजदीकी माने जाते हैं. हिमाचल से राज्यसभा सांसद रहे और केंद्र में बड़े ओहदे संभाले. आनंद शर्मा के साथ हाईकमान का हाथ तो है, लेकिन वे मास लीडर नहीं कहलाते. हिमाचल में वे कभी भी मास लीडर के तौर पर स्वीकार नहीं किए गए. वीरभद्र सिंह (Former Himachal CM Virbhadra Singh) के रहते उन्हें हिमाचल में कोई खास तरजीह भी नहीं मिली. आने वाले समय में कांग्रेस यदि चुनावी जीत हासिल करती है तो आनंद शर्मा सीएम पद के लिए तिकड़म जरूर भिड़ाएंगे. लेकिन उनके साथ दिक्कत ये है कि आम कार्यकर्ता में वे शायद ही स्वीकार्य हों.
कौल सिंह ठाकुर मजबूत दावेदार: कौल सिंह ठाकुर कांग्रेस में सीएम पद के मजबूत दावेदार रहे हैं. वे खुलकर सीएम बनने की इच्छा का इजहार करने से नहीं चूकते. विगत में वे सीएम पद के लिए दौड़ में शामिल रहे, लेकिन वीरभद्र सिंह के सामने उनकी एक न चली. पूर्व के कार्यकाल में वे एक ऑडियो सीडी को लेकर भी विवादों में रहे. कौल सिंह 2017 का चुनाव हार गए थे. उनकी बेटी चंपा ठाकुर भी पराजित हुई. कौल सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और वे आखिरी बार जरूर प्रयास करेंगे कि सीएम की कुर्सी तक पहुंचे. लेकिन कांटे उनकी राह में भी कम नहीं हैं. कौल सिंह प्रदेश कांग्रेस के मुखिया रहे हैं और कैबिनेट मंत्री भी. कभी वे वीरभद्र सिंह विरोधी कैंप के प्रमुख चेहरे थे, लेकिन उनकी भी वीरभद्र सिंह के सामने एक नहीं चली थी.
नेता प्रतिपक्ष भी हैं कतार में: मुकेश अग्निहोत्री इस समय नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) हैं और कांग्रेस के सबसे मुखर चेहरे हैं. वे निरंतर जयराम ठाकुर सरकार पर हमलावर रहते हैं. विधानसभा के भीतर और बाहर वे भाजपा सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. मुकेश अग्निहोत्री वीरभद्र सिंह के विश्वस्त रहे हैं. वे हाईकमान की गुड बुक में रहने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं. सत्ता में आने पर सीएम पद के लिए मुकेश अग्निहोत्री के दावे को कोई नकार नहीं सकता.
सीएम पद की रेस में सुक्खू का नाम: सुखविंदर सिंह सुक्खू छिपे रुस्तम हैं. वे इस समय प्रचार कमेटी के मुखिया हैं. पूर्व में वीरभद्र सिंह के साथ उनके रिश्ते तल्ख रहे हैं. सुक्खू जब कांग्रेस अध्यक्ष थे तो वीरभद्र सिंह प्रदेश सरकार के मुखिया थे. उनके बीच लगातार तल्ख बयानी चलती रहती थी. वीरभद्र सिंह ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को न के बराबर भाव दिया. वीरभद्र सिंह सार्वजनिक मंचों से भी उस दौरान की पीसीसी पर सवाल उठाते रहते थे. वहीं, सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बड़ी चतुराई से अपना प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा किया और वीरभद्र सिंह के साथ अपना रिश्ता दांतों के बीच जीभ जैसा बनाए रखा. सुक्खू चतुर राजनेता हैं और समय की नब्ज पहचानते हैं. कांग्रेस के सत्ता में आने पर उनकी दावेदारी भी कोई नकार नहीं सकता.
ये भी पढ़ें:शिमला में सुक्खू का शक्ति प्रदर्शन, बोले- चुनाव लड़ना था इसलिए अध्यक्ष बनने से किया इनकार