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Archery in Kinnaur: किन्नौर में आखिर सर्दियों में क्यों खेला जाता है तीरंदाजी का खेल, क्या है इसकी मान्यता - किन्नौर में तीरंदाजी

किन्नौर के रोपा घाटी में इन दिनों तीरंदाजी (Archery in Kinnaur) का खेल खेला जा रहा है. यहां पर इस खेल की परंपरा सदियों पुरानी है. लोगों की माने, तो यहां तीरंदाजी का खेल तब खेला जाता है, जब स्थानीय देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं. हालांकि, घाटी के हर गांव में अपने स्तर पर मान्यता के अनुसार तीरंदाजी खेली जाती है. जिला के रुशकलंग गांव में इन दिनों तीरंदाजी का खेल खेला जा रहा है. स्थानीय देवी टुंगमा जी (दोर्जे छेनमो जी) स्वर्ग प्रवास पर है.

Archery in Kinnaur
किन्नौर में तीरंदाजी का खेल

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Published : Jan 17, 2022, 3:48 PM IST

Updated : Jan 18, 2022, 6:37 AM IST

किन्नौर:किन्नौर जिले के रोपा घाटी (Ropa Valley in Kinnaur) में तीरंदाजी खेल की (Archery in Kinnaur) परंपरा सदियों पुरानी है. यहां तीरंदाजी का खेल तब खेला जाता है, जब स्थानीय देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं. हालांकि घाटी के हर गांव में अपने स्तर पर मान्यता के अनुसार तीरंदाजी खेली जाती है. जिला के रुशकलंग गांव में इन दिनों तीरंदाजी का खेल खेला जा रहा है. स्थानीय देवी टुंगमा जी (दोर्जे छेनमो जी) स्वर्ग प्रवास पर है.

लोगों का मानना है की देवी के आशीर्वाद से ही यह खेल खेला जाता है. रुशकलंग गांव के अमीर नेगी, सुंदर सिंह छोरज्ञा, टीसी छोरज्ञा, नंद किशोर नेगी, कर्मा बोरिस, तंजीन नेगी, निर्मल लामा, छोटू नेगी, विनोद कुमार नेगी, चन्द्र प्रकाश नेगी ने कहा कि तीरंदाजी खेल के लिए चार टीमें बनाई जाती हैं. टीम का एक-एक कप्तान होता है, जिस के दिशा निर्देश का पालन करना अनिवार्य होता (snowfall in kinnaur) है.

लोगों ने बताया कि देवी जी के स्वर्ग प्रवास के साथ ही तीरंदाजी शुरू होती है. देवी के स्वर्ग वापसी के साथ ही इस खेल का समापन भी हो जाता है. मान्यता है कि स्थानीय देवी जी के स्वर्ग प्रवास पर जाते ही उनकी अनुपस्थिति के दौरान बुरी शक्तियों के प्रकोप को नष्ट करने के उद्देश्य से गांव में तीरंदाजी खेल का आयोजन होता है. वहीं, जीत-हार का फैसले देवी जी के स्वर्ग वापसी के बाद दावत एवं लोक नृत्य (Traditional dance of kinnaur) का आनंद लेते हुए होता है.

ऐसी मान्यता है कि स्वर्ग प्रवास पर भी सभी देवी देवता इकट्ठा होकर आपस में पासा (Archery in Ropa Valley Kinnaur) खेलते हैं. उस पासा खेल में कृषि, व्यापार, फसल प्राकृतिक आपदा, सामाजिक एवं जनहित सहित वार्षिक शुभ एवं अशुभ फल का निर्णय पासा खेल में हार या जीत के आधार पर होता है. जीत और हार का फलादेश स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक के वापसी पर देवी देवता के माली-गूर ही जनता को बताते हैं.

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Last Updated : Jan 18, 2022, 6:37 AM IST

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