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Traditions of Kinnaur: देवता गए स्वर्ग लोक और स्थानीय लोग खेलने लगे ये खेल

किन्नौर जिले के रोपा घाटी (Ropa Valley in Kinnaur) में तीरंदाजी खेल की (Archery game in Kinnaur) परंपरा सदियों पुरानी है. यहां तीरंदाजी का खेल तब खेला जाता है, जब स्थानीय देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं. हालांकि, घाटी के हर गांव में अपने स्तर पर मान्यता के अनुसार तीरंदाजी खेली जाती है.

Traditions of Kinnaur
रुशकलंग गांव में तीरंदाजी का खेल

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Published : Jan 21, 2022, 3:47 PM IST

Updated : Jan 21, 2022, 4:57 PM IST

किन्नौर:जिले के रुशकलंग गांव में स्थानीय देवी देवता इन दिनों स्वर्गलोक गए हुए हैं. ऐसे में रुशकलंग गांव के ग्रामीण पुरानी रीति-रिवाजों के अनुसार तीरंदाजी का खेल खेलते हैं. यह खेल तब तक खेला जाता है जब तक स्थानीय देवी देवता स्वर्ग लोक से धरती लोक वापस नहीं आ जाते. इस खेल को शुरू हुए करीब एक सप्ताह होने जा रहा है. शुक्रवार को इस खेल में ग्रामीणों ने जीत हार सुनिश्चित कर खुशियां मनाईं.


रुशकलंग गांव में लगातार एक सप्ताह से यह तीरंदाजी का खेल (Archery game in Kinnaur) चला हुआ है. जिसमें ग्रामीणों के अलग-अलग दल पारम्परिक वेशभूषा पहनकर (Traditions of Kinnaur) इस खेल में भाग लेते हैं और तीरंदाजी खेल में जो दल अधिक संख्या में तीर का सही दिशा में निशाना लगाते हैं. वह दल विजयी माना जाता है. जिसके बाद वह दल नाचते हुए अपनी जीत का जश्न मनाते हैं. हालांकि, इस खेल के दौरान ग्रामीण शस्त्रों की पूजा भी करते हैं और ईश्वर से सुख समृद्धि की कामना भी करते हैं.

रुशकलंग गांव में तीरंदाजी का खेल

बता दें कि रुशकलंग गांव रोपा घाटी का एक (Rush Kalang village of kinnaur ) खूबसूरत गांव है, जहां पर देवी देवताओं के स्वर्गलोक जाते ही तीरंदाजी का (Ropa Valley in Kinnaur) खेल शुरू होता है. मान्यताओं अनुसार यह खेल जब स्थानीय देवी देवता स्वर्ग लोक जाते हैं तो धरती लोक में बुरी शक्तियों को गांव मे आने से रोकने की प्रथा से खेला जाता है. जैसे ही स्थानीय देवी देवता स्वर्ग लोक से धरती लोक वापस आ जाते हैं .उसके बाद इस खेल (Archery game in Kinnaur) का समापन होता है.

ये भी पढ़ें: Archery in Kinnaur: किन्नौर में आखिर सर्दियों में क्यों खेला जाता है तीरंदाजी का खेल, क्या है इसकी मान्यता

Last Updated : Jan 21, 2022, 4:57 PM IST

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