शिमला: पंजाब कांग्रेस के कद्दावर राजनेता और पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह ने पार्टी से नाराज होकर नया दल बनाने का ऐलान क्या किया कि कांग्रेस में उन्हें घेरने के प्रयास शुरू हो गए. कैप्टन की महिला मित्र अरूसा आलम के जरिए उन्हें घेरने के लिए विवाद खड़ा किया गया है. कैप्टन और अरूसा के रिश्ते पर कीचड़ उछला तो अमरिंदर सिंह ने भी अरूसा आलम की पिक्चर्स सोनिया गांधी सहित देश के शीर्षस्थ नेताओं के साथ सोशल मीडिया पर जारी कर दिए. उधर, पार्टी लाइन व बंधी बंधाई राजनीतिक लीक से हटकर हिमाचल के युवा कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह खुलकर कैप्टन के समर्थन में आए.
वीरभद्र सिंह की बेटी कैप्टन अमरिंदर सिंह के घर ब्याही गई हैं. वीरभद्र सिंह बुशहर राजपरिवार से संबंध रखते थे और कैप्टन पटियाला घराने से हैं. इस तरह दोनों के बीच एक तो राजसी संबंध है, दूसरे कांग्रेस में होने के कारण वे एक ही दल के कद्दावर नेता रहे हैं. वीरभद्र सिंह का रसूख तो इतना था कि राष्ट्रवाद और देशहित के कई मसलों पर वे आलाकमान की भी परवाह नहीं करते थे. राममंदिर निर्माण और नोटबंदी इसका उदाहरण हैं. वीरभद्र सिंह बेशक कांग्रेस में थे, लेकिन राममंदिर निर्माण के प्रबल पक्षधर थे. इतिहास के विद्वान होने के नाते वे मुगलों को खुलकर आक्रांता कहा करते थे. इसी तरह नोटबंदी की भी उन्होंने तारीफ की थी.
वीरभद्र सिंह ने सीएम रहते हुए सरकारी निवास में आयोजित एक समारोह में अपनी विरासत पुत्र विक्रमादित्य सिंह को सौंपने के लिए अपने समर्थकों से इजाजत मांगी थी. उसके बाद विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण विधानसभा से चुनाव जीते और वीरभद्र सिंह ने अर्की से फतह हासिल की. पिता-पुत्र विधानसभा में सबसे उम्रदराज और सबसे युवा विधायकों के तौर पर उपस्थित हुए थे. पिता के देहावसान के बाद अब विक्रमादित्य सिंह कहते हैं कि वे उनके नक्श-ए-कदम पर चलेंगे. इसकी बानगी कभी कभार मिल भी रही है.
दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले कल सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली और अरुसा आलम के चित्र देश के शीर्षस्थ नेताओं के साथ सांझा किए. उन्होंने अंतिम पंक्ति में एक भावुक संदेश दिया. कैप्टन ने कहा कि वे अस्सी साल के हो रहे हैं और अरूसा आलम सत्तर की हो जाएंगी. कैप्टन ने इशारों-इशारों में उन्हें घर रहे लोगों की तंगदिली पर तंज कसा. उसी पोस्ट पर विक्रमादित्य सिंह ने लिखा कि कैप्टन को किसी से भी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि कैप्टन का कद इतना ऊंचा है कि ऐसे विषयों से उनकी छवि को रत्ती भर भी नुकसान नहीं हो सकता. विक्रमादित्य सिंह के इस कमेंट को छह सौ से अधिक लाइक भी मिल चुके हैं.
इसे पारिवारिक रिश्ते की दुहाई कहें या फिर पिता वीरभद्र सिंह के संस्कार कि विक्रमादित्य सिंह कई दफा पार्टी लाइन से हटकर विचार रख रहे हैं. इसे उनके निरंतर राजनीतिक रूप से निखरने के तौर पर भी देखा जा सकता है. फिलहाल, इस सोशल मीडिया घटनाक्रम के जरिए वीरभद्र सिंह व कैप्टन परिवार के बीच रिश्ते की पड़ताल भी रोचक होगी.