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पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ में हिमाचल को मिले उसकी हिस्सेदारी: सुरेश भारद्वाज - पंजाब पुनर्गठन एक्ट

चंडीगढ़ को लेकर हरियाणा और पंजाब में खींचतान जारी है. पंजाब के बाद हरियाणा ने भी चंडीगढ़ पर अपनी दावेदारी की है. वहीं, हिमाचल के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज (Urban Development Minister Suresh Bhardwaj ) ने कहा कि 1966 में पंजाब पुनर्गठन एक्ट (Punjab Reorganization Act) के तहत चंडीगढ़ में हिमाचल की 7.19 फीसदी हिस्सेदारी तय की गई थी जो आजतक हिमाचल को नहीं मिल पाई है. उन्होंने चंडीगढ़ पर अपना हक देने की मांग की है.

Urban Development Minister Suresh Bhardwaj
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज.

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Published : Apr 5, 2022, 7:23 PM IST

शिमला: इन दिनों बीबीएमबी-भाखड़ा जैसे मुद्दों (BBMB Bhakra issue in Himachal) पर पंजाब और हरियाणा के बीच सियासत गरमाई हुई है. अब हिमाचल ने भी चंडीगढ़ पर अपना हक देने की मांग की है. पूर्व सांसद राजन सुशांत के बाद अब शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज (Urban Development Minister Suresh Bhardwaj ) ने कहा कि 1966 में पंजाब पुनर्गठन एक्ट (Punjab Reorganization Act) के तहत चंडीगढ़ में हिमाचल की 7.19 फीसदी हिस्सेदारी तय की गई थी जो आजतक हिमाचल को नहीं मिल पाई है.

हिमाचल सरकार में संसदीय कार्य व शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज (Suresh Bhardwaj on Chandigarh controversy) ने कहा कि 1966 में जब पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत हरियाणा बना उस समय हिमाचल की चंडीगढ़ में 7.19 फीसदी हिस्सेदारी तय की गई थी जो आजतक हिमाचल को नहीं मिल पाई. हरियाणा व पंजाब अपने हक की मांग उठाएं, लेकिन हिमाचल के हक भी दें. 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी हिमाचल के हिस्सा देने की बात कही, जो हिमाचल को मिलना चाहिए.

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज.

बता दें कि पूर्व सांसद राजन सुशांत ने भी मांग उठाई थी कि चंडीगढ़ में हिमाचल को भी उसकी हिस्सेदारी (Former MP Rajan Sushant on Chandigarh controversy) मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए विशेष सत्र बुलाने की मांग की और राजनीति दलों से भी इस पर चर्चा करने की सलाह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को दी है.

बता दें कि एक अप्रैल को पंजाब की विधानसभा ने चंडीगढ़ को पंजाब में मिलाने का प्रस्ताव पास किया था. यह विवाद तब शुरू हुआ, जब केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्र के नियम (Center rules on employees of Chandigarh) लागू करने का फैसला किया. पंजाब ने इस पर आपत्ति जताई. पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने इसे केंद्र की साजिश बताया. फिर भगवंत मान सरकार ने विधानसभा में चंडीगढ़ को पंजाब में तुरंत शामिल करने का एक प्रस्ताव पास किया.

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