शिमला: विख्यात चिकित्सा विज्ञानी पद्मश्री डॉक्टर ओमेश भारती ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में लगभग ढाई लाख लोग घातक रोग थैलेसीमिया के कैरियर हैं. विवाह पूर्व थैलेसीमिया की जांच करने से इस अनुवांशिक रक्त विकार का फैलाव रोका जा सकता है. देश में हिमाचल ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां इस रोग को लेकर सर्वेक्षण किया गया, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है.
डॉक्टर ओमेश भारती ने बताया कि अनुवांशिक बीमारी (thalassemia patient in Himachal) होने के कारण थैलेसीमिया माता-पिता से बच्चों में आता है. यह संक्रामक रोग नहीं है. थैलेसीमिया की पहचान जन्म के पांच-छह महीने के भीतर ही हो जाती है क्योंकि बच्चा अत्यंत कमजोर हो जाता है. फिर उसको समय-समय पर जीवन भर रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है. साथ ही दवाएं भी खानी पड़ती हैं. इसका निश्चित पक्का इलाज अभी सम्भव नहीं है. उन्होंने कहा कि शिशुओं में कमजोरी के लक्षण आने पर उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
थैलेसीमिया (Thalassemia) के लक्षण आपकी मेडिकल स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करते हैं. थैलेसीमिया (Thalassemia) के निम्नलिखित लक्षण होते हैं: थकान, चेहरे की हड्डियों में गड़बड़ी होना, धीरे ग्रोथ होना, कमजोरी, स्किन का पीला पड़ना, डार्क यूरीन. कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनमें जन्म के समय ही थैलेसीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं. इसके अलावा दूसरे ऐसे बच्चे होते हैं जिनमें लाइफ के पहले दो वर्षों में ही ये लक्षण विकसित होते हैं. कुछ लोग जिनके पास केवल एक हीमोग्लोबिन जीन होता है, उनमें थैलेसीमिया जैसी खतरनाक बीमारी के लक्षण नहीं होते हैं.
इस बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए विवाह पूर्व खून की जांच कराना आवश्यक है. यह टेस्ट लगभग 410 रुपए का होता है. इससे यह पता चल जाता है कि व्यक्ति थैलेसीमिया का कैरियर तो नहीं है. थैलेसीमिया के कैरियर पुरुष या महिला को ऐसे व्यक्ति से शादी नहीं करनी चाहिए जो थैलेसीमिया का कैरियर हो. यदि वे डॉक्टरों की सलाह के विपरीत शादी करते हैं तो 25% संभावना होती है कि उनकी संतान थैलेसीमिया मेजर रोग से ग्रस्त होगी.