हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

Lata Mangeshkar: मिलिए उन लोगों से जिन्होंने देखी है राज और लता के रिश्ते की खुशबू...

दो लोगों के बीच के रिश्तों की नज़ाकत, रिश्तों की पाकीजगी...जरूरी नहीं कि दुनियादारी की ओर से मुकर्रर किसी रिश्ते के नाम से ही जानी जाए. कुछ लोग अनाम रिश्तों की डोर में ताउम्र ऐसे बंध जाते हैं कि फिर इस रिश्ते को किसी नाम की जरूरत ही नहीं रह जाती. दुनियाभर में अपनी आवाज से लाखों लोगों को अपना मुरीद बनाने वाली लता मंगेशकर, खुद अपनी निजी जिंदगी में राजस्थान के डूंगरपुर राजघराने के राजकुमार राजसिंह की शख्सियत की मुरीद थीं. राजसिंह भी लता पर मानो अपना सब कुछ न्यौछावर किए रहते. रिश्तों की वो कसक दोनों ने निभाई..क़िस्से तो कल भी लिखे गए. मगर उनमें सनसनी ज्यादा, तथ्य कम थे. लेकिन ईटीवी भारत उन लोगों को आपके बीच लेकर आया है. जिन्होंने लता मंगेशकर और राजसिंह डूंगरपुर की जिंदगी के उन दिनों को बेहद क़रीब से देखा...महसूस कीजिए लता मंगेशकर और राजसिंह डूंगरपुर के बीच रिश्तों की पाकीजा महक को..दिल्ली एडिटर विशाल सूर्यकांत के जरिए...

TRUE STORY OF LATA MANGESHKAR
TRUE STORY OF LATA MANGESHKAR

By

Published : Feb 7, 2022, 10:13 PM IST

शिमला/नई दिल्ली: लता मंगेशकर के इस फानी दुनिया से कूच करने के बाद उनके जीवन से जुड़े किस्सों में कई तरह की बातें रवां हो रही हैं, लेकिन असलियत क्या है, ये कोई नहीं बता रहा है. लिहाज़ा ईटीवी भारत ने लता मंगेशकर और राजसिंह डूंगरपुर के रिश्ते के मर्म को समझने के लिए उन लोगों को जोड़ा. जो इन दो महान शख्सियतों से उनके जीवन काल में जुड़ी रहीं. दोनों के रिश्तों में प्रेम कहानी का एंगल तलाशने वालों के 'किस्से बनाने वाले' नहीं बल्कि हम आपको उन लोगों से मिला रहे हैं, जिन्होंनें इन दोनों की जिंदगियों को बहुत करीब से देखा है.

ईटीवी भारत ने बात की गोपेन्द्र नाथ भट्ट से. जिनके पिता पं. कांतिनाथ भट्ट, राजसिंह डूंगरपुर और उनके अन्य भाई-बहनों के शिक्षक रहे. वह महारावल लक्ष्मण सिंह के राजनीतिक सचिव भी थे. पूरा राजपरिवार उन्हें 'माड़साहब' (मास्टर साहब) के सम्बोधन से (STORY OF LATA MANGESHKAR) पुकारा करता था. अपने पिता के साथ और बाद में भी राजसिंह डूंगरपुर के जीवन को करीब से देखने वाले गोपेन्द्र नाथ भट्ट ने लता मंगेशकर के जीवन में राजसिंह डूंगरपुर की भूमिका से जुड़े सवाल पर कहा कि लता मंगेशकर और राजसिंह में कई बातें बहुत कॉमन थीं. क्रिकेट के प्रति राजसिंह का जुनून उन्हें डूंगरपुर के राजघराने से मुंबई ले आया. यहीं उनकी मुलाकात हृदयनाथ मंगेशकर से हुई और राजसिंह डूंगरपुर की मंगेशकर परिवार से नजदीकियां आगे बढ़ती रहीं.

लता मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर.

संगीत के भी शौकीन रहे राजसिंह डूंगरपुर को लता की आवाज (LATA MANGESHKAR AND RAJ SINGH DUNGARPUR) बहुत लुभाती थी. उधर क्रिकेट के प्रति लता मंगेशकर की दिलचस्पी ने राजसिंह को उनसे जोड़े रखा. मुंबई में मरीन ड्राइव पर ब्रेबोर्न क्रिकेट स्टेडियम और सीसीआई के पास स्थित विजय महलमें अक्सर दोनों के बीच बातें होती थीं, मुलाकातें होती थीं. दोनों के विवाह हो जाने या अफेयर को लेकर उस जमाने में भी पत्रिकाओं में काफी कुछ छपा. कई तरह के किस्से बनाए गए, लेकिन इन दोनों ने कभी न तो इन बातों को स्वीकार किया और न ही इनका खंडन करने की जरूरत महसूस की.

ये भी पढ़ें-लता के निधन पर पाक में बहे आंसू, फैन बोला- 1000 पाकिस्तान भी इस नुकसान की भरपाई नहीं कर सकते

सामाजिक बंधनों से परे साथ रहते हुए एक-दूसरे के प्रति सम्मान का भाव ज्यादा था. कई मौक़ों पर लता मंगेशकर डूंगरपुर (RAJ SINGH DUNGARPUR RELATIONSHIP) राजपरिवार के सदस्यों से भी मिलती रहीं. सार्वजनिक रूप से दोनों के रिश्ते का कभी दोनों ने जिक्र नहीं किया, लेकिन दोनों के बीच आत्मीय संबंध छिपे भी नहीं रहे. वो खुशियों में कम लेकिन एक-दूसरे की परेशानियों में ज्यादा साथ खड़े नजर आते थे. राजसिंह डूंगरपुर ने लता मंगेशकर के समाज सेवा से जुड़े कामों में बहुत मदद की. बताते हैं कि राजसिंह डूंगरपुर ने मुंबई में अपनी प्रॉपर्टी से मिली अधिकांश राशि दीनानाथ मंगेशकर ट्रस्ट के नाम कर दिया.

लता मंगेशकर और राजसिंह डूंगरपुर के बीच रिश्तों की पाकीजा महक .

ईटीवी भारत के साथ टेलीफोनी चर्चा में जुड़े मुंबई निवासी डॉ. भंडारी वह शख्स हैं, जो राजसिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर दोनों के करीबी रहे हैं. भंडारी ने ईटीवी भारत से टेलीफोन पर चर्चा के दौरान बताया कि जब राजसिंह डूंगरपुर, लता मंगेशकर और 2001 में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुंबई स्थित सह्याद्रि गेस्ट हाउस में लंबी मुलाकात हुई थी तो उस मुलाकात के वक्त वो भी मौजूद थे.

ये भी पढ़ें-रास्ते में चट्टानें देखकर युवक ने कंधे पर उठा ली बाइक, देखें वीडियो

इस तस्वीर को ईटीवी भारत से शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि लता मंगेशकर राजस्थान को लेकर खासी उत्सुकता से बात करती थीं. राजसिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर दोनों भगवान गणेश में बहुत श्रद्धा रखते थे. उन दिनों गणेश पर किताब लिखी तो लता मंगेशकर ने अपनी ओर से उनमें प्रस्तावना लिखी और अपने हस्ताक्षर भी किए थे.

लता मंगेशकर ने लिखी किताब की प्रस्तावना.

राजसिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर एक दूसरे से विशेष लगाव रखते थे. राजसिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर की मित्रता बहुत गहरी थी. जब राजसिंह डूंगरपुर की तबीयत बहुत खराब थी तो उन्होंने लता मंगेशकर के हॉस्पिटल में ही काफी समय तक अपना इलाज कराया. उस दौरान लता जी भी आत्मीयतापूर्वक उनकी देखभाल किया करती थीं. जब भी राजसिंह डूंगरपुर की तबीयत खराब होती तो वह लता मंगेशकर के अस्पताल में ही अपना इलाज कराया करते थे.

राजसिंह डूंगरपुर के अंतिम दिनों में जब वह किसी को पहचान भी नहीं पा रहे थे तो उस दौरान भी लता मंगेशकर ने उन्हें पुणे शिफ्ट करके उनकी काफी देखभाल की थी. दोनों को करीब से जानने वालों की राय में राजसिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर के बीच कुछ अनकहा नहीं था, लेकिन अपनी-अपनी पारिवारिक विरासत को संजोए, अपने रिश्ते को अलग रूप में हमेशा के लिए बनाए रहे. दोनों के किरदार बड़े नायाब थे. लोग उनके नजदीकियों को उसी गरिमा के साथ देखते हैं. जिस रूप में दोनों ने ताउम्र इस रिश्ते को निभाया.

मुंबई में राज सिंह, लता मंगेशकर की तस्वीर.

ये भी पढ़ें-रुमित सिंह ठाकुर गिरफ्तारी मामला: रिहा होते ही सरकार और पुलिस प्रशासन को दिया ये अल्टीमेटम

लता मंगेशकर राज्यसभा सांसद बनीं तो राजसिंह डूंगरपुर के शहर में सांसद निधि से सौगातें दीं और जब राजसिंह डूंगरपुर का प्रभाव था तो वह पूना में लता मंगेशकर से जुड़ी संस्थाओं में दिल खोलकर दान देते रहे. दोनों का जुड़ाव इतना ज्यादा था कि एक-दूसरे के पूरक बन गए थे. ये रिश्ता शादी के औपचारिक बंधन से आगे बहुत आत्मिक और रूहानी स्तर पर था.

आए दिन छप रहे किस्सों से परे राजसिंह और लता मंगेशकर को करीब से जानने वाले उस रिश्ते की नई महक को आज भी अपनी यादों में संजोए हुए हैं. उनकी नम आंखें लता और राजसिंह की यादों में खोई हुई हैं..सनसनीखेज खबरों में लता और राज के रिश्तों की पाकीजगी कहीं गुम न हो जाए, इसकी फिक्र उन्हें आज भी है. वो उन शख्सियतों की बातें तो खूब करते हैं, लेकिन उनके बीच के रिश्तों की पर्देदारी का मान भी आज तक रखते हैं. राज और लता की यादों में खोए उनके अहसास मानो कह रहे हों...

" हमने देखी है उन आंखों की महकती ख़ुशबू..

हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो...

एक अहसास हूं मैं, इसे रूह से महसूस करो..

प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो..."

विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ABOUT THE AUTHOR

...view details