किन्नौर:डीसी किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने उत्तराकाशी के डीएम को एक चिट्ठी लिखी (DC Kinnaur wrote a letter to Uttarkashi DM) है. जिसमें डीसी किन्नौर ने लिखा है कि उत्तराखंड की तरफ से किन्नौर जिले की ओर ट्रैकिंग के जितने भी स्थल हैं, उन्हें रोका जाए. वहीं, किन्नौर की तरफ से डीसी ने (Trekking Ban In Kinnaur) हर ट्रैकिंग क्षेत्रों पर ट्रैकिंग करने के लिए फिलहाल प्रतिबंध लगा दिया है. उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र से किन्नौर की ओर बहुत सारे ट्रैकिंग स्थल है. उत्तराखंड से बरासु पास, लामखागा, खिमल्याट पास यह सभी उत्तराखंड से किन्नौर के ट्रैकिंग क्षेत्र हैं. जहां पर सबसे अधिक ट्रैकरों के लापता होने व मृत्यु होने के मामले सामने आते हैं. वहीं, सांगला से रोहड़ू व उत्तराखंड दोनों ट्रैक जुड़े हैं. वहीं, रुपिन पास, बुरांग पास है पर भी हर वर्ष ट्रैकर लापता होते हैं.
इन सभी ट्रैकिंग इलाकों को बंद करने के पीछे प्रशासन का सिर्फ यही उद्देश्य है कि लोगों की जान जोखिम में न डले. किन्नौर प्रशासन की तरफ से किन्नौर जिले से उत्तराखंड के लिए ट्रैकिंग के लिए लंबे समय से ट्रैकिंग के लिए रोक लगाई गयी है. लेकिन उत्तराखंड प्रशासन की तरफ से किन्नौर की तरफ ट्रैकिंग दलों को भेजा जा रहा है. ऐसे में डीसी किन्नौर ने पत्र के माध्यम से ये मांग की है कि उत्तराखंड से किन्नौर के लिए सभी ट्रैकिंग बंद की जाए.
किन्नौर के सीमांत क्षेत्रों में ट्रैकिंग के दौरान 10 ट्रैकरों की मौत:डीसी किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि किन्नौर व उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में बढ़ते हुए ट्रैकिंग के हादसों को देखते हुए अब किन्नौर की तरफ से ट्रैकिंग को बंद किया गया है और पुलिस प्रशासन की कड़ी निगरानी सभी ट्रैकिंग क्षेत्रों में रहेगी. इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों ट्रैकिंग दलों की निगरानी के लिए जवान तैनात रहेंगे. यदि कोई गुपचुप तरीके से ट्रैकिंग करेगा तो उक्त ट्रैकर या कोई भी ट्रैकिंग संस्था हो उन पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. उन्होंने बताया कि अब तक उत्तराखंड व किन्नौर के सीमांत क्षेत्रों में ट्रैकिंग के दौरान 10 ट्रैकरों की मौत हुई है वहीं, 12 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं तो दो लोग आज तक इस ट्रैक में लापता हैं. एक बंगाली ट्रैकर बीते वर्ष इन पहाड़ों पर लापता हुआ था. वहीं, इस वर्ष भी खिमलोगा दर्रा में 4 सितंबर को एक ट्रैकर की मौत हुई है, जिसका शव अभी भी लापता है.