शिमला:केंद्रीय श्रमिक संगठनों का सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आज और कल पूरे देश में हड़ताल का आह्वान किया गया (TRADE UNION AND CITU PROTEST) है. बंद का असर भी कई राज्यों में देखने को मिला. वहीं प्रदेश की राजधानी शिमला में भी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर सीटू राज्य कमेटी ने उपायुक्त कार्यालय शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और पंचायत भवन से सैंकड़ो वर्करों ने रैली भी (CITU PROTEST IN HIMACHAL PRADESH) निकाली.
इस अवसर पर सीटू के प्रदेश अध्य्क्ष विजेंदर मेहरा ने बताया कि मजदूरों के 44 कानूनों को खत्म करके चार लेबर कोड बनाने, सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश व निजीकरण,ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली, आउटसोर्स नीति बनाने,स्कीम वर्करज को नियमित कर्मचारी घोषित करने, करुणामूलक रोजगार देने, छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने, सेवाओं के निजीकरण, मोटर व्हीकल एक्ट में मालिक व मजदूर विरोधी संशोधनों व नेशनल मोनेटाइजेशन पाइप लाइन व अन्य मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल (BHARAT BANDH FROM TODAY) करेगी. इस दिन प्रदेश में हजारों मजदूर मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही (Bharat Bandh effect in Himachal) है. पिछले सौ सालों में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताएं और लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश जैसी कई राज्य सरकारों ने आम जनता, मजदूरों व किसानों के लिए आपदाकाल को पूंजीपतियों व कॉरपोरेट्स के लिए अवसर में तब्दील कर दिया है.
उन्होंने कहा कि यह साबित हो गया है कि यह सरकार मजदूर, कर्मचारी व जनता विरोधी है व लगातार गरीब व मध्यम वर्ग के खिलाफ कार्य कर रही है. सरकार की पूंजीपति परस्त नीतियों से अस्सी करोड़ से ज्यादा मजदूर व आम जनता सीधे तौर पर प्रभावित हो रही है. सरकार फैक्टरी मजदूरों के लिए बारह घंटे के काम करने का आदेश जारी करके उन्हें बंधुआ मजदूर बनाने की कोशिश कर रही है. आंगनबाड़ी,आशा व मिड डे मील योजना कर्मियों के निजीकरण की साजिश की जा रही है. उन्हें वर्ष 2013 के पैंतालीसवें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार नियमित कर्मचारी घोषित नहीं किया जा रहा है.
उन्होंने मांग की है कि मजदूरों का न्यूनतम वेतन इक्कीस हजार रुपये घोषित किया जाए. केंद्र व राज्य का एक समान वेतन घोषित किया जाए. किसानों की फसल के लिए स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू की जाएं. महिला शोषण व उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए. नई शिक्षा नीति को वापिस लिया जाए. बढ़ती बेरोजगार पर रोक लगाई जाए व बेरोजगारी भत्ता दिया जाए. आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा व अन्य योजना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए.
मनरेगा में दो सौ दिन का रोजगार दिया जाए व राज्य सरकार द्वारा घोषित साढ़े तीन सौ रुपये न्यूनतम दैनिक वेतन लागू किया जाए. श्रमिक कल्याण बोर्ड में मनरेगा व निर्माण मजदूरों का पंजीकरण सरल किया जाए. निर्माण मजदूरों की न्यूनतम पेंशन तीन हजार रुपये की जाए व उनके सभी लाभों में बढ़ोतरी की जाए. कॉन्ट्रैक्ट,फिक्स टर्म,आउटसोर्स व ठेका प्रणाली की जगह नियमित रोजगार दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार समान काम का समान वेतन दिया जाए. नई पेंशन नीति(एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन नीति(ओपीएस) बहाल की जाए.