2 साल का अनुबंध पूरा करने वाले 1255 टीजीटी होंगे नियमित, अधिसूचना जारी
जयराम सरकार ने चुनावी साल में प्रदेश में टीजीटी को खास तोहफा दिया है. प्रदेश में 2 साल का अनुबंध पूरा करने वाले टीजीटी को नियमित करने के आदेश जारी किए हैं. हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ (Himachal Pradesh Teachers Federation) ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.
हिमाचल को परेशान कर रहा तुर्की और ईरान का सेब, 4500 करोड़ के कारोबार पर पड़ रही मार
हिमाचल प्रदेश को भारत देश का एप्पल बाउल (APPLE BOWL OF INDIA) कहा जाता है. यहां सेब उत्पादन का सिलसिला एक शताब्दी से भी पुराना है, लेकिन कुछ समय से देव भूमि हिमाचल के सेब कारोबार को तुर्की और ईरान परेशान कर रहे हैं. सारा मामला सेब के आयात शुल्क से जुड़ा है. भारत में तुर्की, ईरान, चिली, न्यूजीलैंड और अमेरिका से सेब आयात होता है. सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी है. जबकि हिमाचल में बागवानों को साल भर में एक पेटी सेब को मार्केट तक पहुंचाने में 1200 से 1400 रुपए खर्च होते हैं. इसमें सेब बगीचे में पौधे की देखरेख, स्प्रे से लेकर मार्केट तक पहुंचने की पूरी चेन का खर्च शामिल है. वहीं तुर्की व ईरान आदि से आयात होने वाला सेब सस्ता पड़ता है. आइए सिलसिलेवार समझते हैं कि कैसे विदेशी सेब हिमाचल के सेब कारोबार पर खतरे की तरह मंडरा रहा है.
बड़ी खबर: अवैध शराब के खिलाफ मुहिम जारी, 6400 लीटर अवैध स्पिरिट पकड़ी
हिमाचल में अवैध शराब के धंधे के खिलाफ प्रदेश में आबकारी व कराधान विभाग (Excise and Taxation Department Himachal) की कार्रवाई लगातार जारी है. शुक्रवार को विभाग के उड़नदस्ता मध्य क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी राकेश भारती ने बताया कि विभाग द्वारा अभी तक कुल 6400 लीटर इथाइल मेडिकल साॅल्यूशन रीजेंट को अपने कब्जे में लिया गया है.
कांगड़ा में ओमीक्रोन के 9 और डेल्टा के 28 मामले आए सामने, प्रशासन अलर्ट
कांगड़ा जिले में रैंडम सैंपलिंग के दौरान 37 लोगों में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट की पुष्टी हुई है. जिसमें 28 डेल्टा म्यूटेशन (Corona cases in Kangra) और 9 मामले ओमीक्रोन के हैं. सीएमओ कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि उक्त सभी लोगों की रिकवरी हो चुकी है और सभी पूरी तरह से स्वस्थ हैं. इसके साथ ही उन्होंने लोगों से कोविड प्रोटोकॉल की अनुपालन करने का आग्रह किया है. ताकि इस संक्रमण से सुरक्षित तरीके से निपटा जा सके.
किन्नौर: बिना पॉलीहाउस लगाए बर्फ में ही उगा दिए अखरोट के पौधे, बागवानों के लिए प्ररेणा बने डॉ. अजित नेगी
किन्नौर जिला सेब व चिलगोजे की नकदी फसलों के लिए पूरे देशभर में जाना जाता है और यहां के अन्य सूखे मेवे भी प्रदेश व देश में अच्छी किस्म के लिए जाने जाते हैं. जिला में इन दिनों भारी बर्फबारी हुई है. ऐसे में आज बात सेब की नहीं बल्कि पारम्परिक अखरोट के पौधों की करेंगे जो अब जिले में दुर्लभ पौधों की संख्या में आ गए हैं.