भवनों को गिराने से पहले IIT मंडी और NIT हमीरपुर विशेषज्ञों की राय लेगा नगर निगम, जानिए क्या है मामला
कच्ची घाटी में असुरक्षित भवनों को गिराने से पहले आईआईटी मंडी और एनआईटी हमीरपुर के विशेषज्ञों की राय लेने का नगर निगम ने फैसला लिया है. यदि उनकी रिपोर्ट में तकनीकी तौर पर इन भवनों को बचाने के लिए कोई रास्ता निकलता है तो उस पर भी नगर निगम विचार करेगा. यदि इनकी रिपोर्ट में भी भवन असुरक्षित पाए जाते तो इन्हें बचाना खतरे से खाली नहीं रहेगा. ऐसे भवनों को तोड़ने का ही फैसला लिया जाएगा.
न्यायमूर्ति सबीना ने हिमाचल HC के न्यायाधीश के रूप में ग्रहण की शपथ, अनूप चितकारा को दी गई विदाई
न्यायमूर्ति सबीना ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) के न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. न्यायमूर्ति अनूप चितकारा को आज हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में गरिमापूर्ण विदाई दी गई, जिनका पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरण किया गया है.
11 अक्टूबर से 8वीं से 12वीं तक रोज खुलेंगे स्कूल, शिक्षा विभाग ने जारी की SOP
प्रदेश में अब 8वीं से 12वीं तक के छात्र प्रतिदिन स्कूल आएंगे. प्रदेश सरकार ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी. वहीं, उसके बाद शिक्षा विभाग ने भी एसओपी जारी कर आदेशों में कहा कि जिन शिक्षण संस्थानों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं होगा वहां कार्रवाई की जाएगी.
16 वर्षीय प्रांजल की 250 से अधिक चित्रों की प्रदर्शनी गेयटी थिएटर में आयोजित
गेयटी थियेटर प्रर्दशनी हाल में 16 वर्षीय कक्षा 10वीं की छात्रा प्रांजल गोयल की कलात्मक कृतियों प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस प्रदर्शनी का उद्घाटन डॉ. पंकज ललित, , निदेशक, भाषा, कला और संस्कृति, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा किया गया था. प्रदर्शनी 10 अक्टूबर तक जारी रहेगी. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के दृश्य कला विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर हिम चटर्जी को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया. उद्घाटन समारोह में विभिन्न क्षेत्रों की कई अन्य प्रसिद्ध हस्तियों ने भी भाग लिया.
हिमाचल में कई वर्षों से अटके पड़े हैं रोपवे प्रोजेक्ट, वित्तीय संसाधनों का आभाव और पर्यावरण मंजूरी है मुख्य कारण
हिमाचल प्रदेश के चंबा, किन्नौर, शिमला, कुल्लू, मंडी व सिरमौर जिलों में कई ऐसे गांव हैं जहां पहुंचने के लिए कोई सुविधा नहीं है. सड़क बनाना संभव नहीं है. अब भी कुल्लू जिले में एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर रहने वाले लोगों के रोपवे ही साधन है. प्रदेश सरकार द्वारा रोपवे निर्माण को लेकर योजनाएं फिलहाल फाइलों में ही उलझी पड़ी हैं.