शिमला: इस साल मई-जून में कोरोना के कहर से देश के साथ-साथ हिमाचल में भी लोग खौफ में थे. उस मंजर को याद कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इसी दरम्यान प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं सामने आईं जिसे प्रदेश की जनता चाह कर भी कभी नहीं भूल सकती है. इस साल आजादी को लेकर हिमाचल की बेटी कंगना रनौत का बयान सबसे अधिक सुर्खियों में रहा. वहीं, कुल्लू में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच थप्पड़ कांड के भला कैसे भुलाया जा सकता है. हिमाचल केसबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में लंगर पर दंगल भी इसी साल हुआ. इस साल उपचुनाव के दौरान मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने कारगिल की लड़ाई पर एक बयान दिया था, जिसके चलते उनकी काफी आलोचना हुई. नौबत ऐसी आई कि उन्हें माफी मांगनी पड़ी. इसी साल कैबिनेट बैठक में महेंद्र सिंह ठाकुर और मुख्य सचिव में भी कहासुनी हुई थी. इसके साथ ही कई और घटनाएं इस साल घटित हुईं. इससे पहले कि हम 2021 को अलविदा कहें, आइए एक नजर डालते हैं, पिछले एक साल में हुए विवादों पर.
इस साल विवादों के चलते सुर्खियों में रहीं कंगना रनौत:बॉलीवुड एक्ट्रेस और हिमाचल से संबंध रखने वाली कंगना रनौत यूं तो अक्सर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहती हैं, लेकिन इस साल कंगना रनौत ने अपने बयानों के चलते काफी सुर्खियों बटोरीं. जहां एक ओर उन्होंने लगातार किसान आंदोलन पर निशाना साधा, तो वहीं भारत की आजादी पर दिए गये उनके बयान पर (Kangana Ranaut controversial post on farmers) भी काफी आलोचना हुई.
कंगना रनौत और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद. (फाइल फोटो). दरअसल कंगना ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में 1947 में मिली आजादी को भीख बताते हुए कहा था कि असली आजादी 2014 में मिली है. इतना ही नहीं कंगना ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Kangana Ranaut on Mahatma Gandhi) को लेकर भी विवादास्पद बयान दिया था. जिसके बाद उनके इस (Kangana comment on Indian Freedom) बयान पर काफी बवाल हुआ था और उन्हें दिए गए पद्मश्री सम्मान को उनके बयानों के कारण वापस लेने की मांग उठी.
सुर्खियों में रहा कुल्लू थप्पड़ कांड:हिमाचल प्रदेश में इस साल कुल्लू थप्पड़ कांड भी काफी सुर्खियों में रहा, जहां पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बहस इतनी बढ़ी की पुलिस अधिकारी आपस में ही भिड़ गए. दरअसल (slap incident in kullu) इसी साल 23 जून को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हिमाचल प्रदेश के दौरे पर थे. इस दौरान भुतंर एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सुरक्षा प्रभारी (एएसपी) बृजेश सूद और कुल्लू एसपी गौरव सिंह आपस में भीड़ गए.
कुल्लू थप्पड़ कांड. (फाइल फोटो). दोनों के बीच बहस इतनी (Brijesh Sood and Gaurav Singh Controversy) बढ़ी की एसपी कुल्लू गौरव सिंह ने बृजेश सूद को थप्पड़ जड़ दिया. जिसके बाद सीएम की सिक्योरिटी में तैनात कर्मचारियों ने एसपी को घेर लिया और सीएम के पीएसओ बलवंत सिंह एसपी को लात लात मार दी. इस घटना के बाद दो अधिकारियों पर गाज भी गिरी थी और सरकार ने एसपी कुल्लू गौरव सिंह और पीएसओ बलवंत सिंह को निलंबित कर दिया गया था.
कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर और मुख्य सचिव में हुई थी कहासुनी:हिमाचल प्रदेश के कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह भी अक्सर (Mahender Singh Thakur controversy) अपने बयानों के चलते सुर्खियों में बने रहते हैं. कई बार उनके द्वारा सरकारी कर्मियों और अफसरों को धमकाने और सस्पेंड करने का वीडियो भी वायरल हुए हैं. वहीं, इस साल महेंद्र सिंह ठाकुर तब सुर्खियों में आए जब कैबिनेट मीटिंग के दौरान वह मुख्य सचिव अनिल खाची से भिड़ गए. यह घटना इसी साल जून माह की है.
महेंद्र सिंह ठाकुर और अनिल खाची. (फाइल फोटो). बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के (Mahendra Thakur and Anil Khachi controversy) सामने ही जल एवं राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर और मुख्य सचिव अनिल खाची में तीखी बहस हुई थी. जिसके बाद सीएम जयराम ठाकुर को हस्तक्षेप कर उन्हें शांत करना पड़ा था. वहीं, विपक्ष ने भी महेंद्र सिंह पर सरकारी अधिकारियों से बदसलूकी का आरोप लगाया था और उस समय यह कहा-सुनी खूब विवादों में रही थी.
मुख्य सचिव अनिल खाची का पद बदले जाने पर हुआ था विवाद:हिमाचल प्रदेश के पूव मुख्य सचिव अनिल खाची को पद से हटाए जाने पर भी इस साल जमकर विवाद हुआ था. उनकी जगह 1987 बैच के आईएएस राम सुभाग सिंह को राज्य का नया मुख्य सचिव बनाया गया था. वहीं, अनिल खाची को राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्ति दी गई थी. इस मुद्दे पर भी विपक्ष ने भी सरकार (Ram Subhag Singh and Anil Khachi) पर जमकर निशाना साधा था. वहीं, सूत्रों की मानें तो अनिल खाची की सख्त मिजाजी कुछ मंत्रियों और अधिकारियों को खटकने लगी थी. ऐसे में कई मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को उन्हें बदलने की राय भी दी थी. माना जाता है कि उसके बाद यह फैसला लिया गया था. नौकरशाही में हुआ ये फेरबदल काफी विवादों में रहा था.
राम सुभाग सिंह और अनिल खाची. (फाइल फोटो). ये भी पढ़ें:Year Ender 2021: इस साल पूर्ण वैक्सीनेशन के साथ-साथ इन क्षेत्रों में देशभर में रोल मॉडल बना हिमाचल
शराब पीकर कैबिनेट बैठक में पहुंच गए थे एक आईएएस अधिकारी:हिमाचल प्रदेश में इस साल एक आईएएस अधिकारी भी सुर्खियों में रहे, जब वह शराब के नशे में मंत्रिमंडल की बैठक में पहुंच गए थे. इसी साल नवंबर माह में कैबिनेट की यह बैठक हुई थी. दरअसल कैबिनेट ने अधिकारी के संबंधित विभाग से जुड़ी जानकारी के लिए उन्हें अचानक कॉल कर बैठक में आने का कहा था. अधिकारी जैसे ही कैबिनेट बैठक में पहुंचे, तो उनसे शराब की बदबू आने लगी. वहीं, अधिकारी की हालत को देखते हुए मुख्य सचिव ने (Officer reached cabinet meeting drunked Himachal) उन्हें बैठक से जाने के लिए कह दिया था. ये अफसर पहले भी अपनी शराब की आदत के कारण विवादों में रह चुके हैं. बाद में अधिकारी पर कार्रवाई करते हुए उनसे संबंधित विभाग छीन लिया गया था.
हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल में लंगर पर हुआ था दंगल:हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल भी इस साल लंगर विवाद के चलते चर्चा में रहा था. दो संस्थाओं के बीच हुए टकराव के चलते यह विवाद सियासत की भेंट भी चढ़ गया था. दरअसल देशभर में विख्यात बॉबी यानी सरबजीत सिंह बॉबी की लंगर को आईजीएमसी प्रशासन ने अवैध बताकर (IGMC langar dispute) हटवा दिया था. उस समय आईजीएमसी प्रशासन ने तर्क दिया था कि बिजली-पानी के अवैध कनेक्शन के चलते यह लंगर हटाया गया है. जबकि सरबजीत सिंह बॉबी ने आरोप लगाया था कि प्रशासन ये जगह किसी और को देना चाहता है, इसलिए उनका लंगर हटाया गया है. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा था. इस विवाद पर प्रदेश में ही नहीं, देशभर में चर्चा हुई थी.
आईजीएमसी का लंगर विवाद. (फाइल फोटो). ज्वालामुखी मंदिर में मुस्लिम व्यक्ति को नौकरी देने पर हुआ था विवाद:हिमाचल प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में भी इस साल एक विवाद हुआ था. यह विवाद मंदिर में एक विशेष समुदाय के व्यक्ति को नौकरी देने पर हुआ था. दरअसल (Jawalamukhi temple controversy) मंदिर में एक मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति लंगर सेवादार के रूप में हुई थी. जिसके बाद इस फैसले पर खूब विवाद हुआ था. इस नियुक्ति के बाद हिंदू महासभा सहित कई अन्य संगठनों ने इसका विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी थी. वहीं, बाद में फैसला पलट दिया गया था और मंदिरों में हिंदु कर्मचारी ही तैनात करने का फैसला हुआ था.
ज्वालामुखी मंदिर. (फाइल फोटो). ये भी पढ़ें:Year Ender 2021: इस साल हिमाचल ने खोए 'राजनीति के राजा', ये घटनाएं भी कभी नहीं भूल सकती प्रदेश की जनता
बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के साथ हुई थी धक्का मुक्की:साल 2021 में बजट सत्र के दौरान बेहद चिंताजनक तस्वीरें भी सामने आईं थीं. जब तत्कालीन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के साथ सत्र के दौरान अभद्रता की गई थी. सभी मर्यादाओं को तार-तार (Scuffle with governor during budget session) करते हुए कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के साथ (Himachal Former Governor Bandaru Dattatreya) धक्का मुक्की की थी. वहीं, इस अभद्रता के लिए कांग्रेस विधायक मुकेश अग्निहोत्री, हर्षवर्धन चौहान, सुंदर सिंह ठाकुर, सतपाल रायजादा और विनय कुमार को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था. हालांकि विरोध के बाद निलंबन वापस ले लिया गया.
राज्यपाल के साथ हुई थी धक्कामुक्की. (फाइल फोटो). हिमाचल पुलिस की कॉफी टेबल बुक पर हुआ था विवाद:साल 2021 में हिमाचल पुलिस की कॉफी टेबल बुक पर भी एक विवाद हुआ था. एचपी पुलिस की कॉफी टेबल बुक 'वीरांगना' में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के संदेश को पार्टी के चिन्ह कमल के साथ छापा गया था, जबकि राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश राष्ट्रीय चिन्ह के साथ छापे गए थे. इस मुद्दे पर (Himachal Police Coffee Table book controversy) विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए सवाल उठाए थे. बता दें कि 8 मार्च को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में हिमाचल पुलिस की इस कॉफी टेबल बुक का विमोचन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने किया था. इस बुक हिमाचल पुलिस की महिला अधिकारियों और कर्मचारियों की विकास यात्रा से लेकर अन्य उपलब्धियों को दर्शाया गया था.
हिमाचल पुलिस कॉफी टेबल बुक विवाद. (फाइल फोटो). कारगिल युद्ध पर प्रतिभा सिंह के बयान की हुई थी आलोचना:हिमाचल प्रदेश में हुए उप-चुनावों के दौरान मंडी से कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा सिंह ने कारगिल की लड़ाई पर एक बयान दिया था, जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी. प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh on Kargil War) ने कारगिल हीरो रि. ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर पर बयान दिया था कि कारगिल की लड़ाई एक छोटी लड़ाई थी. बाद में विवाद बढ़ने पर कांग्रेस, प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने सफाई देते हुए कहा था कि उनके बयान को गलत पेश किया जा रहा है और कांग्रेस हमेशा से सैनिकों का सम्मान करती आई है. वहीं, बाद में प्रतिभा सिंह ने मामले को तूल पकड़ता देख माफी भी मांगी थी.
प्रतिभा सिंह और ब्रिगेडियर खुशाल सिंह. (फाइल फोटो). ये भी पढ़ें:Year Ender 2021: हिमाचल में पर्यटन की दृष्टि से यादगार रहा ये साल, मिली ये सौगातें