शिमला:साल 2021 अपने अंतिम चरण में है, लेकिन कोरोना काल में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद देवभूमि हिमाचल प्रदेश ने कारोबार जगत में इस साल कई ऐसी उपलब्धियां हासिल की, जो काबिल-ए-तारीफ है. इस साल एक ओर फूल कारोबार से हिमाचल महका उठा, वहीं दूसरी ओर केसर और हींग की खेती ने भी किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी. इस साल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से करीब तीन लाख महिलाएं भी जुड़ीं. इससे पहले कि हम 2021 को अलविदा (Top Ten Business News of Himachal Pradesh in 2021 ) कहें, आइए एक नजर डालते हैं, पिछले एक साल में कारोबार जगत में मिली बड़ी उपलब्धियों पर.
फूलों कारोबार में उछाल, कोरोना के बाद देशभर में पहुंचे हिमाचल में उगाए गए फूल:हिमाचल प्रदेश में इस साल फूलों के कारोबार में भी खूब उछाल देखने को मिला. कोरोना के मामले कम होने के बाद हिमाचल में उगाए गए फूल देशभर के हर कोने तक पहुंचे. हिमाचल में फूलों की खेती के लिए उपयुक्त (Flower business in Himachal) जलवायु उपलब्ध होने की वजह से किसान भी इस लाभप्रद खेती को अपनाने के लिए आगे आ रहे हैं. इसी का परिणाम है कि आज हिमाचल के फूलों की महक देश नहीं बल्कि विदेशों तक भी पहुंच रही है.
हिमाचल के किसान फ्लाइट के माध्यम से चंडीगढ़ से दिल्ली, गाजीपुर मंडी तक फूल तक पहुंचते हैं. अच्छी क्वालिटी होने के कारण हिमाचल के फूलों की मांग अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी बढ़ने लगी है. इस समय प्रदेश में लगभग पांच हजार से अधिक किसान 650 हेक्टेयर जमीन में फूलों की व्यावसायिक खेती कर रहे हैं, जिससे (Flower cultivation in Himachal) लगभग सौ करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हो रहा है.
हिमाचल में फूलों का कारोबार. (फाइल फोटो). प्रदेश में मुख्यतः गेंदा, गुलाब, ग्लेडियोलस, गुलदाउदी, कारनेशन, लिलियम, जरबैरा और अन्य मौसमी फूल उगाए जा रहे हैं. प्रदेश में इस समय 'कट फ्लावर' का उत्पादन लगभग 16.74 करोड़ रुपए का हो रहा है. खुले बिकने वाले गेंदा और गुलदाउदी जैसे फूलों का यहां लगभग 12500 मीट्रिक टन का उत्पादन हो रहा है.इसके अलावा किसानों ने ग्रीन हाउस तथा अन्य नियंत्रित व्यवस्था जैसे शेड नेट हाउस में भी विदेशी फूलों-जिनकी राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय मण्डियों में विशेष मांग रहती है, की खेती की जा रही है. इनमें एल्स्ट्रोमीरिया, लिमोनियम, आइरिस, ट्यूलिप और आर्किड जैसे फूलों की किस्मों को उगाना शुरू कर दिया है. प्रदेश में पहले ही सोलन, बिलासपुर, मंडी व हमीरपुर जिले में बड़े पैमाने पर फूल उगाए जाते हैं.
कोरोना के बाद हिमाचल में पटरी पर लौटा पर्यटन कारोबार:यूं तो इस साल भी कोरोना ने हिमाचल में खूब कहर मचाया, लेकिन कोरोना संक्रमण कम होने के बाद पर्यटन सेक्टर में भी तेजी देखी गई. देशभर के साथ हिमाचल प्रदेश में भी कोरोना के आंकड़ों में गिरावट आने और सरकार की ओर से बंदिशों (Tourist places in Himachal Pradesh) में ढील मिलने के बाद लगातार प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में ईजाफा हुआ. अनलॉक की प्रक्रिया के बीच हिमाचल प्रदेश का पर्यटन कारोबार धीरे-धीरे पटरी पर लौट. जबकि बाद में लगातार पर्यटन कारोबार में तेजी देखने (Tourism sector of Himachal Pradesh) को मिली.
हिमाचल में पर्यटन कारोबार. (फाइल फोटो). इस साल त्योहारी सीजन के दौरान काफी संख्या में पर्यटकों ने हिमाचल का रूख किया. शिमला, मनाली, कुल्लू, धर्मशाला, केलांग, लाहौस सपीति, अटल टनल के अलावा कई अन्य पर्यटन स्थलों पर साल भार पर्यटकों की भीड़ देखने को मिली. वहीं, क्रिसमस पर भी हजारों की संख्या में पर्यटक शिमला, मनाली और धर्माशाल पहुंचे थे. जबकि न्यू ईयर मनाने के लिए भी पर्यटक अब हिमाचल का रूख कर रहे हैं. पर्यटकों की आमद में बढ़तरी के चलते कारोबारी भी इस साल खुश नजर आए.
हिमाचल में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़ीं तीन लाख महिलाएं:हिमाचल प्रदेश में इस साल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से करीब तीन लाख महिलाएं जुड़ीं. हिमाचल (Himachal Pradesh) के प्रसिद्ध हस्तनिर्मित शॉल, स्वेटर, कालीन, जैविक शहद, फल और मसाले सहति अन्य प्रोडक्ट्स भी अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं. हिमाचल (Himachali products on E Commerce Platform) के कारोबारी अपने उत्पादों की बिक्री अमेजन, फ्लिपकार्ट (Amazon, Flipkart) और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जेम) जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी कर रहे हैं.
दरअलस राज्य सरकार ने 27,000 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी 2.80 लाख महिलाओं को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म तक पहुंच प्रदान करने की योजना बनाई थी ताकि (E Commerce Platform Himachal) वे अपने उत्पादों को बड़े बाजार में बेच सकें. इसी योजना के तहत इस साल करीब तीन लाख महिलाएं ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़ीं. ई-कॉमर्स मंचों के जरिए बेचे जाने वाले सामानों में हस्तनिर्मित शॉल, स्वेटर, कालीन, (shawls, sweaters, carpets) जैविक शहद, फल, सूखे मेवे, मसाले, अचार, औषधीय जड़ी-बूटियां जैसे उत्पाद शामिल है.
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सेब की विदेशी किस्मों से कारोबारियों को मिला लाभ:हिमाचल प्रदेश में इस साल बागवानों को सेब की विदेशी किस्मों से भी काफी लाभ मिला. कुल्लू जिले सहित अन्य क्षेत्रों में विदेश से आ रही सेब की किस्मों की ओर बागवानों का रुझान बढ़ा है. वहीं, जल्दी फसल देने वाली इन किस्मों से बागवानों ने खूब लाभ उठाया. साथ ही इन पौधों के लिए हिमाचल का वातावरण भी उपयुक्त माना गया. कुल्लू जिले की बात करें, तो यहां इटली से आ रहे सेब के नए पौधों के (Apple business in Himachal Pradesh) बारे में बागवान आकर्षित हुए हैं. कई बगीचों में इसकी खेती भी की जा रही है.
हिमाचल में सेब का कारोबार. (फाइल फोटो). दरअसल, सेब की यह किस्म कम समय में उत्पादन शुरू कर देती है. इनका आकार भी छोटा रहता है. साथ ही किसी भी खराब मौसम में इस किस्म के पौधों को नेट में सुरक्षित रखा जा सकता है. बागवानी विभाग पिछले कुछ सालों से बागवानों को इटली की अच्छी किस्म व ज्यादा फल देने वाले सेब के पौधे उपलब्ध करवा रहा है. वहीं, बागवान अब खुद भी इटली से यह पौधे मंगवा रहे हैं. विभाग द्वारा चलाई जा रही योजना के तहत विश्व बैंक योजना के अंतर्गत क्लस्टर आधार पर बनाए समूह में प्रति किसान को इटली के 50 सेब के पौधे उपलब्ध करवाए जाते हैं.
हिमाचल स्टेट कोऑपरेटिव बैंक ने कोरोना महामारी में भी किया 19 हजार करोड़ का कारोबार:वर्तमान समय में जहां बड़े-बड़े को-ऑपरेटिव संस्थान अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहे हैं. वहीं, हिमाचल सहकारी बैंक ने प्रदेश में इस साल 9 हजार करोड़ रुपए का कारोबार करके एक नया कीर्तिमान स्थापित किया. बैंक ने इस साल कृषि गतिविधियों में शामिल प्रदेशवासियों को 1448 करोड़ रुपए का ऋण प्रदान किया. वहीं, कोरोना महामारी के (Himachal State Cooperative Bank) समय में बैंक ने अपनी इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम के माध्यम से उपभोक्ताओं को बैंक सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
हिमाचल कोऑपरेटिव बैंक ने किया 19 हजार करोड़ का कारोबार. (फाइल फोटो). इसके अलावा बैंक प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में अपनी 218 शाखाओं और 23 विस्तार केन्द्रों के माध्यम से 16 लाख उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण व विश्वसनीय बैंक सेवाएं प्रदान कर रहा है. इसके अलावा बैंक अपने 100 से अधिक एटीएम के माध्यम से उपभोक्ताओं को आधुनिक बैंक सेवाएं भी प्रदान कर रहा है. उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए बैंक उपभोक्ताओं को यूपीआई सक्षम डिजिटल सेवाएं, गूगल पे, फोन पे, आईएमपीएस, पीएफएमएस, आरटीजीएस/एनईएफटी और मोबाइल बैंकिंग जैसी सेवाएं प्रदान कर रहा है.
हिमाचल में बलवती हुई केसर के कारोबार की संभावनाएं:हिमाचल प्रदेश के चंबा, कुल्लू, मंडी और किन्नौर में केसर की खेती किसानों की तकदीर बदलेने वाली है. इस साल हिमाचल में चार जिलों की 25 कनाल भूमि पर 35 से 49 क्विंटल केसर बीज बोए गए. भरमौर, तीसा, सलूणी में छह कनाल भूमि के लिए आठ से नौ क्विंटल केसर का बीज किसनों को उपलब्ध करवाए गए, ताकि किसान इसकी खेती कर सकें. दरअसल समुद्र तल से 1500 से लेकर 2500 मीटर की ऊंचाई (saffron cultivation in Himachal) पर केसर की खेती होती है. केसर के बीज की रोपाई के बाद इसे सिंचाई सुविधा मिल जाए तो बढ़िया फसल होती है.
हिमाचल में केसर की खेती. (फाइल फोटो). चंबा के भरमौर, सलूणी और तीसा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों को केसर की खेती के लिए चयनित किया गया है. भरमौर, सलूणी और तीसा में इस साल ट्रायल के तौर पर लगाई गई केसर की खेती में फ्लावरिंग भी देखने को मिली. नाचन और सराज में अब चैलचौक, मोवीसेरी, खनियारी, ओहन, बडींन, तांदी, कुंसोट जेल करनाला, गेर, भलोठी, बाग, रहिधार, ओहन, तांदी, कटयांदी, शरण, धलवास, कुराहनी, खनियारी, बह मझोठी, चकदयाला, करसला, डूंगाधार, शमनोश, बानीसेरी, शांगरी, स्यांज , मुराटन, पनगलियुर, ग्वाड़, काफलु, तरौर, सेगली काढ़ि, बाग, बालहड़ी बुरहटा, मझोठी, सुनाथर, टीली काढ़ि शीलह और शकरैणी में हींग और केसर की खेती की जा रही है.
हिमाचल में इस साल औषधीय पौधों के कारोबार ने पकड़ा जोर:हिमाचल प्रदेश में इस साल औषधीय पौधों के कारोबार ने भी जोर पकड़ा. वहीं, प्रदेश सरकार की ओर से भी इन औषधीय पौधों को बढ़वा देने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. इस साल हिमाचल की वन औषधियों जैसे बनक्शा, काला जीरा, चिरायता, कुटकी गिलोय (Medicinal plants business in Himachal) की बाजार में काफी डिमांड रही. बता दें कि कुछ वर्षों से प्राकृतिक और हर्बल उत्पादों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है.
हिमाचल में औषधीय पौधों का कारोबार. (फाइल फोटो). वैश्विक महामारी के इस दौर में लोग प्राकृतिक उत्पादों का इस्तेमाल करना चाहते हैं. ये उत्पाद न केवल (Medicinal plants cultivation in Himachal) पौष्टिक हैं, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक हैं. वहीं, कृषि और बागवानी विभाग भी औषधीय पौधों के प्रति किसानों को प्रेरित कर रहा है. इस साल भी किसानों को कई प्रजातियों के पौधे बांटे गए हैं. वहीं, किसानों को प्राकृतिक और हर्बल उत्पादों के बेहतर दाम भी मिल रहे हैं. वहीं, सोलन के बनलगी में एक हर्बल मंडी भी शुरू की गई है. यहां पर किसान जड़ी बूटियों के अलावा हरड़, बेहड़ा, आंवला, अश्वगंधा इत्यादि बेच सकेंगे.
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हिमाचल में पारंपरिक गहनों के कारोबार में भी आया उछाल:हिमाचल में इस साल पारंपरिक गहनों के कारोबार में भी बढ़ोतरी देखने को मिली. कोरोना संक्रमण से कुछ राहत मिलने के बाद हिमाचल आए सैलानियों को पारंपरिक आभूषण, गोखरू, बरागर, चांदी के कड़े को खूब पसंद आए. जिसके चलते कारोबार में उछाल देखा गया. वहीं, हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके चांदी के आभूषण भी अब जोर पकड़ने लगे हैं. खासकर (Traditional jewelry of Himachal) युवा पीढ़ी में भी अब इन परंपरागत आभूषणों का क्रेज बढ़ रहा है. यहां मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहारों, विवाह, सांस्कृतिक और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान महिलाएं पुरातन आभूषण पहन रही हैं.
हिमाचल के पारंपरिक गहने. (फाइल फोटो). अभी तक स्वागत या सांस्कृतिक समारोहों में ही महिलाएं पुरातन आभूषण पहने दिखती थी. वहीं, अब इन आभूषणों में महिलाएं खास कार्यक्रमों में भी दिख रही हैं. अब हर तीसरे, चौथे परिवार में लोग इन आभूषणों को बनाने पर भारी भरकम रकम खर्च कर रहे हैं. फैशन के इस दौर में भी चांदी के आभूषणों में महिलाएं बाड़ी, मूलन, चंद्र हार को तरजीह दे रही हैं. इसमें पोशल और पेरग लगवाने के लिए लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. इसी साल लाहौल में हुए स्नो फेस्टिवल में के दौरान भी महिलाओं का पुरातन आभूषणों का शृंगार हर किसी को आकर्षित कर रहा था.पुराने समय में महिलाएं इन्हीं आभूषणों से सजती थीं.
हिमाचल में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग ने भी पकड़ा जोर:हिमाचल में इस साल प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग का कारोबार भी खूब फला फूला. कोरोना संक्रमण कम होने के बाद कोचिंग कारोबार में बहार देखने को मिली. शिमला सहित राज्य के अन्य बड़े शहरों में इस साल देश के कई बड़े कोचिंग संस्थानों की शाखाएं भी खुलीं. यहां तक की हिमाचल के बच्चे भी अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए इन कोचिंग संस्थानों का सहारा ले रहे हैं.
कोचिंग संस्थान. (फाइल फोटो). इसके (Coaching Institutes in Himachal) अलावा प्रदेश सरकार की मेधा प्रोत्साहन योजना के तहत भी आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को कोचिंग दी जा रही है. इस योजना के तहत विद्यार्थियों को नीट, जेईई की कोचिंग दी जा रही है. मेधा प्रोत्साहन योजना के तहत चयनित विद्यार्थियों को 1 साल में कोचिंग के लिए 1 लाख की आर्थिक मदद भी दी जाती है.
हिमाचल में माइक्रो हाइड्रो प्रोजेक्ट को बढ़ावा दे रही सरकार:हिमाचल के ऊर्जा क्षेत्र में प्रदेश सरकार माइक्रो हाइड्रो प्रोजेक्ट को बढ़ावा दे रही. इसके लिए बड़ी संख्या में हाइड्रो पावर सेक्टर में निजी निवेशक भी आ रहे हैं. वहीं, ऊर्जा का कारोबार बढ़ने से सरकार को भी लाभ हो रहा है. इस साल की बात करें, तो प्रदेश के कई नए माइक्रो हाइड्रो प्रोजेक्ट (Micro hydro project in Himachal) का प्लान तैयार किया गया, जबकि कई प्रोजेक्ट के शिलान्यास भी किए गए. हिमाचल प्रदेश में पहले ही कई माइक्रो हाइड्रो प्रोजेक्ट काम कर रहे हैं, ऐसे में सरकार इनके विस्तार की योजना पर काम कर रही है.
हिमाचल में माइक्रो हाइड्रो प्रोजेक्ट. (फाइल फोटो). ये भी पढ़ें:Year Ender 2021: इस साल हिमाचल ने हासिल की कई उपलब्धियां, शत प्रतिशत वैक्सीनेशन से लेकर इन वजहों से सुर्खियों में रहा प्रदेश