शिमला: भाजपा द्वारा आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 70 साल से कम उम्र के लोगों को ही टिकट देने पर सहमति बनने से हिमाचल में कई नेताओं के टिकट संकट मंडराने लगा है. एक-दो अपवादों में इस नियम से छूट मिलेगी. अगर ये नियम लागू हुआ तो भाजपा के मौजूदा सांसदों में से कई सांसदों को टिकट नहीं मिलेगा. हालांकि लोकसभा चुनाव तो अभी दूर है, लेकिन भाजपा हाईकमान विधानसभा चुनाव के लिए यह फॉर्मूला लगा देती है तो दो वरिष्ठ मंत्रियों और कई विधायकों, पूर्व विधायकों के टिकट कट सकते हैं.
पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (BJP National President JP Nadda) द्वारा दिल्ली में वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी के आला नेताओं के साथ हुई बैठक में 70 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को लोकसभा का टिकट नहीं देने पर चर्चा हुई थी. इस बैठक के बाद से ही प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जारी है कि अगर प्रदेश में भी यह फॉर्मूला अपनाया जाता है तो फिर कई दिग्गजों को भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने से वंचित रहना पड़ेगा.
कई वरिष्ठ नेताओं का हिमाचल में कुछ माह बाद होने वाला विधानसभा चुनाव अंतिम होगा. इनमें से कई नेता अपने राजनीतिक जीवन के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. ज्यादातर नेता अपनी जिंदगी का अंतिम चुनाव होने के नाम पर अपने या बेटे के लिए टिकट व जनता से समर्थन मांग रहे हैं. अब इनमें से कितनों की मुराद पूरी होगी, यह कुछ महीने बाद स्पष्ट हो जाएगा.
इन दिग्गजों के टिकट पर चल सकती है कैंची: अगर 70 वर्ष का बैरियर हिमाचल में भी लागू होता है तो वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों में महेंद्र सिंह ठाकुर (1950) 72 वर्ष और सुरेश भारद्वाज (1952) 70 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं. इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल (1944) 78 वर्ष और पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर (1948) 74 वर्ष के हैं. कुल्लू से वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व लोकसभा सांसद व विधायक महेश्वर सिंह (1951) 71 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं. इसके अलावा पूर्व मंत्री और वर्तमान सरकार में कैबिनेट रैंक के बराबर दर्जा प्राप्त रमेश चंद धवाला (1948) भी 71 वर्ष के हैं. विधायकों में कर्नल इंद्र सिंह (1944) 78 वर्ष, पवन नैयर (1952) 70 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं.
70 प्लस फॉर्मूला के दायरे में हैं ये मंत्री: कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर (Cabinet Minister Mahender Singh Thakur) धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं. अगर भाजपा हाईकमान 70 वर्ष का फॉर्मूला लगाती है तो वह भी इसी दायरे में आएंगे. महेंद्र सिंह ने कई चुनाव चिन्हों पर विधानसभा चुनाव लड़े हैं और सभी में जीत हासिल की है. अगर इनका टिकट कटता है तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ने से गुरेज नहीं करेंगे. भाजपा के पास भी धर्मपुर में मजबूत कैडर मौजूद है. इस स्थिति में भाजपा उपाध्यक्ष संजीव कटवाल और युवा नेता नरेंद्र अत्री में से किसी पर भाजपा दांव खेल सकती है.