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हिमाचल में इस बार पर्यटकों की पूरी होगी व्हाइट क्रिसमस की आस, मौसम वैज्ञानिकों ने बताई वजह

हिमाचल की राजधानी शिमला में सैलानियों को इस बार क्रिसमस के मौके पर बर्फबारी का दीदार हो सकता है. मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार दिसंबर माह में बर्फबारी का दौर जल्द शुरू होने की संभावना जताई है. पिछले 30 सालों में सैलानी सिर्फ दो बार साल 1991 और साल 2016 में ही क्रिसमस पर बर्फबारी का आनंद उठा सके हैं.

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Published : Oct 19, 2021, 9:55 PM IST

शिमला: गुजरते साल के आखिरी महीने यानी दिसंबर में पर्यटकों और शिमला के लोगों को बर्फबारी का इंतजार रहता है. खासकर देश-विदेश से सैलानी बड़े दिन यानी 25 दिसंबर को व्हाइट क्रिसमस सेलिब्रेशन की आस लिए शिमला आते हैं, लेकिन कई वर्षों से शिमला में क्रिसमस पर बर्फबारी नहीं हो रही है.

आखिरी बार 2016 में 25 साल बाद व्हाइट क्रिसमस देखने को मिला था, लेकिन इस बार क्रिसमस पर बर्फबारी के दीदार की संभावना बन रही है. अक्टूबर महीने में ही पहाड़ों पर बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार दिसंबर माह में बर्फबारी का दौर जल्द शुरू होने की संभावना जताई है. पिछले कई वर्षों से शिमला में बर्फबारी में काफी कमी आई है. क्लाइमेट चेंज का असर खास कर पहाड़ों पर साफ देखने को मिल रहा है. पहाड़ों पर पहले के समय दिसंबर माह से ही बर्फबारी का दौर जारी हो जाता था, लेकिन 1991 के बाद स्नो स्पेल कम होना शुरू हो गए.

शिमला में क्रिसमस पर बर्फबारी की बात करें तो 1991 में 25 दिसंबर को अच्छी बर्फबारी हुई थी. उसके बाद 2016 में ही क्रिसमस पर बर्फबारी देखने को मिली है, लेकिन उसके बाद क्रिसमस पर बर्फबारी नहीं हुई है. व्हाइट क्रिसमस मनाने खास कर बाहरी राज्यों से काफी तादाद में लोग शिमला आते हैं. पर्यटक क्रिसमस से दो दिन पहले ही शिमला पहुंच जाते हैं. इस दौरान शिमला में होटल पूरी तरह से पैक रहते हैं.

हालांकि, कई वर्षों से क्रिसमस पर बर्फबारी नहीं होने से पर्यटकों को निराश हो कर लौटना पड़ता है. पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों को भी क्रिसमस पर बर्फबारी का इतंजार रहता है. बर्फबारी देखने के लिए कई बार पर्यटक न्यू ईयर तक यहीं रहते हैं. ऐसे में पर्यटन कारोबारी की अच्छी आमदनी होती है. पर्यटन कारोबारियों को भी इस बार दिसंबर माह में बर्फबारी होने की आस है. कोरोना के चलते पहले ही दो सालों से पर्यटन कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया है. इस साल समर सीजन में ज्यादा पर्यटक नहीं आए हैं. ऐसे में विंटर सीजन में कारोबार होने की उम्मीद है.

मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल का कहना है कि बर्फबारी तापमान पर निर्भर करती है. तापमान में भारी कमी आने पर ही बर्फबारी होती है. इस बार अक्टूबर माह में ही बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में दिसंबर में शिमला में बर्फबारी की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि शिमला में क्रिसमस पर बर्फबारी काफी समय से नहीं हो रही है. बीते 30 सालों में केवल दो तीन बार ही बर्फबारी देखने को मिली है. बर्फबारी कम होने का मुख्य कारण क्लाइमेट चेंज है. पहाड़ों पर बर्फबारी के स्पेल हर साल कम होते जा रहे हैं. प्रदेश में 15 नवंबर से विंटर सीजन शुरू होगा और दिसंबर माह में यदि ठंड बढ़ती है तो बर्फबारी होने की उम्मीद है.

पहाड़ों की रानी शिमला में कई वर्षों से व्हाइट क्रिसमस की हसरत पूरी नहीं हो रही है. पर्यटक हर साल बर्फबारी की आस में शिमला में क्रिसमस मानने पहुंचे हैं. शिमला में 2016 में 25 सालों में एक बार ही व्हाइट क्रिसमस देखने को मिला था. इससे पहले शिमला में 1991 में 24 और 25 दिसंबर को जमकर बर्फबारी हुई थी. उसके बाद 2016 में बर्फबारी हुई थी. लेकिन पिछले चार सालों से व्हाइट क्रिसमस नहीं हो पाया है.

शिमला में बर्फबारी
साल कब से कब तक
1991 24 से 25 दिसंबर
1994 28 से 29 दिसंबर
1995 21, 22 और 31 दिसंबर
1997 1 और 20 दिसंबर
2000 3 दिसंबर
2003 31 दिसंबर
2006 11 दिसंबर
2007 14 और 15 दिसंबर
2010 31 दिसंबर
2012 11 दिसंबर
2013 16 दिसंबर
2016 25 दिसंबर
2017 30 और 31 दिसंबर
2018 12 दिसंबर
शिमला में साल 2019 और 2020 में क्रिसमस में बर्फबारी नहीं हुई.

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