शिमला: राजधानी के एक कारोबारी के चार साल के मासूम बच्चे को दरिंदों ने अपहरण के बाद मौत के घाट (Yug murder case of Shimla) उतार दिया था. आठ साल पहले इस क्रूर अपराध के दोषियों को वैज्ञानिक जांच के साथ गिरफ्तार किया गया था. वर्ष 2018 में शिमला की स्थानीय अदालत ने तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. मौत की सजा के पुष्टिकरण को लेकर हाईकोर्ट आज इस मामले में अंतिम सुनवाई (final hearing in Shimla Yug murder case) करेगा.
इससे पहले मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में कई बार सुनवाई टलती रही है. इस दौरान मासूम के शव के कंकाल को परिजनों को सौंप दिया गया था. तीन साल पहले 27 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट ने मासूम के कंकाल को पिता को सौंपने के आदेश (High court on Yug murder case) जारी किए थे. हालांकि मौत की सजा पर पुष्टिकरण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई टलती रही थी.
पानी के टैंक में मिला था युग का कंकाल:जून 2014 में शिमला के राम बाजार के एक कारोबारी के चार साल के बच्चे का अपहरण कर लिया गया था. फिर साल बाद अगस्त 2016 में शिमला के उपनगर भराड़ी के पेयजल टैंक से एक बच्चे का कंकाल मिला, बाद में फॉरेंसिक जांच से पुष्टि हुई कि यह मास्टर युग का ही कंकाल है. इस केस को सुलझाने के जिम्मा सीआईडी को दिया गया था. जांच एजेंसी ने डिजिटल एविडेंस जुटाए थे.
बाद में शिमला की स्थानीय अदालत में इन्हीं मजबूत और वैज्ञानिक साक्ष्यों के कारण दोषियों को सजा मिली. शिमला की स्थानीय अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने तीनों दोषियों तेजेंद्र पाल, विक्रांत बख्शी व चंद्र शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर अपराध (rarest of rare crime in shimla) बताया था.