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E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL: हिमाचल विधानसभा पहुंची असम असेंबली की टीम, ई विधानसभा को सराहा

असम विधानसभा की टीम इन दिनों हिमाचल के अध्ययन प्रवास पर है. असम के प्रतिनिधिमंडल ने ई विधानसभा की कार्य प्रणाली को जाना. असम की टीम सभापति लॉरेंस इजलैरी की अध्यक्षता में आई है. सभापति के अतिरिक्त समिति में विधायक रूपक शर्मा, मानव डेका, पृथ्वी राज राभा, राजीब भट्टाचार्य, संयुक्त सचिव, एन चक्रवर्ती, समिति अधिकारी और असम विधान सभा के अन्य अधिकारी कर्मचारी (ASSAM OFFICIALS TEAM IN HIMACHAL) शामिल थे. हिमाचल विधानसभा को अगस्त 2014 में देश की पहली ई विधानसभा बनने का गौरव हासिल हुआ था.

ASSAM SPEAKER HIMACHAL TOUR
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Published : Dec 28, 2021, 6:27 PM IST

Updated : Dec 28, 2021, 7:35 PM IST

शिमला: देश की पहली ई विधान सभा में मंगलवार को असम विधान सभा की एक टीम ने यहां की ई प्रणाली (E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL) को जाना. असम विधान सभा की रोजगार समीक्षा समिति ने ई-विधान का दौरा किया. ये समिति हिमाचल के अध्ययन प्रवास पर है. असम के प्रतिनिधिमंडल ने ई विधान सभा की कार्य प्रणाली को जाना साथ ही यहां की व्यवस्था की जानकारी भी ली.

असम की टीम सभापति लॉरेंस इजलैरी की अध्यक्षता में आई है. सभापति के अतिरिक्त समिति में विधायक रूपक सैरम, मोनेव डेका, पृथ्वी राज रावा, राजीब भट्टाचार्य, संयुक्त सचिव, एन चक्रवर्ती, समिति अधिकारी और असम विधान सभा के अन्य अधिकारी कर्मचारी (TEAM OF ASSAM OFFICIALS) शामिल थे. इस अवसर पर समिति ने हिमाचल प्रदेश विधान सभा के संयुक्त सचिव बेग राम कश्यप, संजीव गुप्ता उप सचिव विधान सभा के साथ बैठक की. समिति ने ई विधान प्रणाली और ई निर्वाचन क्षेत्र प्रबंधन के लिए हिमाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार को बधाई दी.

गौरतलब है कि देश के कई राज्य अपने यहां भी ई-विधान प्रणाली लागू करना चाहते हैं. कई दल इस प्रणाली का अध्ययन कर चुके हैं. उत्तर पूर्व के राज्यों सहित हरियाणा व कर्नाटक भी पेपरलैस विधान सभा (HIMACHAL PAPERLESS ASSEMBLY) स्थापित करना चाहते हैं. हिमाचल में पूर्व कांग्रेस सरकार के समय ई विधान सभा शुरू हुई थी. तब बीबीएल बुटेल विधान सभा अध्यक्ष थे. यह प्रोजेक्ट यूपीए-2 के कार्यकाल में मंजूर हुआ था.

हिमाचल प्रदेश विधान सभा को अगस्त 2014 में देश की पहली ई विधान सभा बनने का गौरव हासिल हुआ था. पेपरलेस प्रणाली से हर साल छह हजार से अधिक पेड़ कटने से बचते हैं और सालाना 15 करोड़ रुपए की बचत होती है. हिमाचल विधान सभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार के अनुसार देवभूमि देश के अन्य राज्यों को इस प्रणाली की सिखाने के लिए हरसंभव सहयोग करेगी.

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Last Updated : Dec 28, 2021, 7:35 PM IST

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