शिमला:आईजीएमसी में एडमिट हाेने वाले हर मरीज का अब काेराेना के साथ-साथ टीबी का टेस्ट भी (Patient admitted in IGMC) करवाया जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने सभी एचओडी काे आदेश (TB Test IGMC) जारी कर दिए हैं. ऐसा इसलिए किया गया है क्याेंकि एक ओर जहां काेराेना के बाद टीबी का खतरा बढ़ा है. वहीं, सरकार टीबी काे 2022 तक खत्म करने के लिए भी प्रयासरत है.
ऐसे में यदि व्यक्ति टीबी से संक्रमित पाया जाएगा, ताे उसे अन्य बीमारियाें के साथ-साथ टीबी की दवाएं भी दी जाएगी. ऐसे लोगों का एक डाटा भी आईजीएमसी अपने पास रखेगा, ताकि यह पता रहे कि राेजाना कितने मरीज संक्रमित हाे रहे हैं. वहीं, मरीजाें काे समय पर दवाएं लेने के लिए भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता जागरूक (People will be made aware about TB) करेंगे.
काेराेना के बाद यह भी सामने आया है कि सर्दी खांसी के लक्षणाें (cold cough symptoms) के साथ अस्पतालाें में बढ़ रहे काेराेना के मरीजों और संक्रमण के बाद ठीक हाे चुके लाेगाें काे अब टीबी हाेने का डर है. टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है. सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में (TB Dots centers) इसका फ्री इलाज होता है. इसमें सबसे जरूरी बात यह है कि टीबी का इलाज पूरी तरह ठीक होने तक चले.
इसे बीच में छोड़ देने से बैक्टीरिया में दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. अगर 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी है तो डॉक्टर को दिखाएं. वहीं, दवा का कोर्स भी जरूर पूरा करें. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम मरीज से संपर्क में भी रहती है, ताकि समय-समय पर पता चल सके कि मरीज दवाएं समय पर ले रहा है और कितना फिसदी रिकवर हाे रहा है.