शिमला: गुड़िया मर्डर केस में पुलिस लॉकअप हत्याकांड मामले में न्यायिक हिरासत में चल रहे शिमला के पूर्वएसपी डीडब्ल्यू नेगी को कोर्ट से राहत नहीं मिली है. सोमवार को शिमला हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर हुई सुनवाई को 19 मार्च के लिए टाल दिया है. पूर्व एसपी नेगी लॉकअप में हत्या के मामले में न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं.
पूर्व एसपी को एचसी से नहीं मिली जमानत आपको बता दें कि हिमाचल के इस बहुचर्चित मामले में 4 जुलाई 2017 को स्कूल से घर लौटते समय गायब हुई गुड़िया का क्षत-विक्षत शव 6 जुलाई को दांदी के जंगल में मिला था.
बता दें कि एसआईटी ने गुड़िया मामले में 6 लोगों को आरोपी बनाया था. उनमें से सूरज की लॉकअप में मौत हो गई थी. बाद में सीबीआई की जांच हुई और ये सामने आया कि लॉकअप में सूरज की मौत टार्चर के कारण हुई. इसलिए कस्टोडियल डैथ का मामला लॉकअप हत्याकांड बन गया. सूरज की हत्या के बाद हाईकोर्ट ने संज्ञान वाली मौजूदा जनहित याचिका में तत्कालीन एसआइटी प्रमुख और पूर्व आईजी जहूर जैदी समेत 8 पुलिसकर्मियों को प्रतिवादी बनाया और उन सभी से उनके द्वारा इस मामले में की गई जांच का विस्तृत ब्यौरा शपथपत्र के माध्यम से देने के आदेश दिए थे.
सभी प्रतिवादी पुलिसकर्मियों ने अपने अपने शपथपत्र सील्ड कवर में दाखिल किये थे. जांच एजेंसी ने इसी मामले में सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दायर करने से पहले भी यह शपथपत्र मांगे थे, लेकिन हाईकोर्ट ने यह शपथपत्र सौंपने से इनकार कर दिया था क्योंकि सीबीआई जांच उस समय लंबित थी. अब जबकि दोनों ही मामलों में चार्जशीट दायर की जा चुकी है इसलिए सीबीआई इन शपथपत्रों में दी गयी जानकारियों का इस्तेमाल ट्रायल के दौरान करना चाहती है.
गौर हो कि सीबीआई ने गुड़िया गैंगरोप और मर्डर केस में 13 अप्रैल 2018 को चिरानी नीलू को मंडी से गिरफ्तार किया था. जिसके बाद उसका रिमांड खत्म होने के बाद आरोपी को पुलिस ने फिर से वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से कोर्ट में पेश किया था. कोर्ट ने चार जून 2018 तक आरोपी नीलू की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. आरोपी नीलू को अभी तक सजा नहीं सुनाई गई है. उसका केस ट्रॉयल पर चल रहा है.