शिमला: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की तरफ से मुफ्त की रेवड़ियां बांटने (supreme court strict on free scheme announcement) को लेकर केंद्र सरकार को समाधान खोजने के निर्देश (supreme court on freebies ) दिए हैं. दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने तो इसे कल्चर ही बना लिया है, लेकिन कर्ज के बोझ तले दबे पहाड़ी राज्य हिमाचल (Debt Burden on Himachal Pradesh) में भी ऐसी घोषणाओं का चलन बढ़ने लगा है. हाल ही में हिमाचल सरकार ने तीन ऐसे बड़े ऐलान किए हैं, जिन्हें चुनावी साल में मुफ्त रेवड़ी के तौर पर देखा जा सकता है.
1) महिलाओं को बस के सफर में 50% की छूट- हिमाचल दिवस के अवसर पर राज्य सरकार ने सरकारी बसों में महिलाओं को किराए में 50 फीसदी की छूट का ऐलान किया था. ये योजना जुलाई महीने से लागू हो गई है. इसके तहत हिमाचल में बस में सफर करने वाली महिलाओं का बस में 'हॉफ टिकट' यानी आधा किराया लगेगा. महिलाओं को ये छूट बस पास में भ मिलेगी.
परिवहन निगम का घाटा- महिलाओं को बस किराये में छूट के अलावा सरकार ने चुनावी साल में न्यूनतम किराये में दो रुपये की कमी का भी ऐलान किया है. जो अब 7 रुपये की बजाय 5 रुपये होगा. ये छूट ऐसे वक्त में दी गई है जब परिवहन निगम पहले से ही एक हजार करोड़ रुपए से अधिक के घाटे में है, महिलाओं को सफर में 50 फीसदी छूट देने से और भी बढ़ेगा. हिमाचल सरकार ने नारी को नमन नाम से इस योजना की शुरुआत की है लेकिन इससे सालाना 60 करोड़ का बोझ पड़ेगा.
2) 125 यूनिट बिजली मुफ्त-इसी प्रकार हिमाचल सरकार ने 125 यूनिट बिजली मुफ्त (125 units of electricity free in Himachal) देने का ऐलान किया है. यानी उपभोक्ताओं को पहले 125 यूनिट के लिए कोई बिल नहीं चुकाना होगा और अगर किसी परिवार की बिजली की खपत 125 यूनिट तक है तो बिजली का बिल नहीं आएगा. सियासी जानकार मानते हैं कि आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली के बाद पंजाब में मुफ्त बिजली के फैसले को देखते हुए हिमाचल सरकार ने ये फैसला पहले ही ले लिया है.
बिजली विभाग का नुकसान- इस फैसले से प्रदेश के सभी 17 लाख परिवार लाभान्वित होंगे क्योंकि शुरुआती 125 यूनिट तो सभी को मुफ्त मिलेगी. अनुमानित 4 लाख परिवार तो ऐसे हैं जिनकी बिजली की खपत कुल 125 यूनिट तक होगी, वहीं सात लाख उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनकी महीने की बिजली खपत महज 60 यूनिट है. ऐसे में इन 11 लाख परिवारों का बिजली बिल शून्य होगा और हिमाचल में 125 यूनिट से अधिक बिजली की खपत करने वाले करीब 6 लाख परिवार और औद्योगिक इकाइयां ही बिजली बिल का भुगतान करेंगी. इसका बोझ भी सरकार के खजाने पर पड़ेगा
3) ग्रामीण इलाकों में पेयजल माफ-जयराम सरकार ने ग्रामीण इलाकों में पानी का बिल माफ करने का ऐलान किया था. ये सौगात सिर्फ ग्रामीण इलाकों तक ही सीमित है. लेकिन ग्रामीण इलाकों के पेयजल बिल से सालाना 30 करोड़ का राजस्व सरकार को मिलता था, जो सरकार की मुफ्त रेवड़ी बांटने के बाद नहीं मिलेगा.