शिमलाः कोरोना वायरस की महामारी के दौर में जयराम सरकार में हुए सेनिटाइजर घोटाले में आरोपी सुपरिंटेंडेंट को सस्पेंड किया गया है. प्रदेश सरकार का कहना है कि यह कदम विभागीय जांच के बाद उठाया गया है. फिलहाल मामले की जांच विजिलेंस के हवाले की गई है.
मामले में विजिलेंस सीसीटीवी फुटेज से लेकर क्लर्कों के बयानलेकर इस घोटाले की कड़ियां जोड़ने में जुटी हुई है. कहा जा रहा है कि सेनिटाइजर घेटाले के सामने आने से पहले आरोपी सुपरइटेंडेंट को इस शाखा से बदलने का तीन बार जयराम ठाकुर के बड़े बाबूओं से आग्रह किया जा चुका है, लेकिन आला अधिकारियों ने एक बार भी इस आग्रह पर गौर नही फरमाया है.
बताते हैं कि इस सुपरइंटेंडेंट की सरकार के समर्थक वाले एक संगठन में अंदर तक पैठ है. प्रदेश सचिवालय में चर्चा है कि गेट पर लगे सीसीटीवी फुटेज के अनुसार सुप्रीटेंडेंट और सप्लायर एक ही सरकारी गाड़ी से पहुंचते हैं और साथ ही अंदर आते हुए दिखाई देते हैं. चर्चा यह भी है कि स्टोर रूम में ही पेटियां फाड़ कर सेनिटाइजर की शीशियों पर अंकित मूल्य 30 रूपये के स्थान पर 130 रुपये की मुहर लगाई गई.
हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है यह अभी जांच का विषय है और विजिलेंस मामले से संबंधित दस्तावेज अपने साथ ले गई है. इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जा रही है. इस संबंध में जांच एजेंसी द्वारा तीन क्लर्कों के बयान भी दर्ज किए हैं और इन सभी ने यह बात लिखित में स्वीकार की है कि 30 रुपये के स्थान पर 130 रूपये की मुहर लगाई है. फिलहाल इस पर जांच जारी है.