शिमला: अफसरशाही की सबसे हॉट सीट से विवादों को साथ लेकर कोई भी अफसर विदा होना नहीं चाहता है, लेकिन पावरफुल अफसर रामसुभग सिंह करिअर के अंत में विवादों से घिर गए. रामसुभग सिंह को मुख्य सचिव के पद से हटाया (Former Himachal Chief Secretary Ramsubhag Singh) गया. दिलचस्प बात है कि रामसुभग सिंह जब अतिरिक्त मुख्य सचिव थे तो भी उनसे एक विभाग वापस ले लिया गया था.
तीन साल पहले इन्हीं दिनों की बात थी. रामसुभग सिंह उस समय अतिरिक्त मुख्य सचिव थे और उनके पास पर्यटन विभाग था. हिमाचल में तब जयराम सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट चर्चित था. सरकार इसे लेकर बहुत उत्साहित थी. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्मशाला में इन्वेस्टर्स मीट (Global Investors Meet in Dharamshala) के लिए आए थे. ये घटनाक्रम उनके धर्मशाला आगमन से पहले का है.
पोर्टल पर डॉक्यूमेंट अपलोड होने के बाद गया था हंगामा: हिमाचल सरकार ने तब ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट (Global Investors Meet in Himachal) के लिए खास तौर पर राइजिंग हिमाचल नाम से ऑनलाइन पोर्टल स्थापित किया था. ये पोर्टल पर्यटन सेक्टर में इन्वेस्टमेंट आदि के लिए था. इस पोर्टल पर रामसुभग सिंह ने एक विवादित डॉक्यूमेंट अपलोड किया था. ये डॉक्यूमेंट लैंड सीलिंग एक्ट से जुड़ा था. हैरानी की बात ये थी कि इस डॉक्यूमेंट के बारे में खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व कैबिनेट को मालूम नहीं था. खैर, पोर्टल पर डॉक्यूमेंट अपलोड होने के बाद हंगामा मच गया. तीन साल पहले उन दिनों हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा था. अगस्त का आखिरी सप्ताह था. तब 28 अगस्त को सरकारी पोर्टल राइजिंग हिमाचल पर पर्यटन विभाग की तरफ से डाले गए विवादित डॉक्यूमेंट को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ.
विपक्ष ने इस मसले पर सरकार को जमकर घेरा. इस मामले में सदन के भीतर भाजपा सरकार की खूब किरकिरी हुई. विपक्ष तो पहले से ही ये आरोप लगाता रहा था कि अफसरशाही जयराम ठाकुर सरकार के बस में नहीं हैं और बेलगाम हो चुकी है. खैर, बाद में सीएम जयराम ठाकुर डैमेज कंट्रोल के लिए आगे आए. सीएम ने इस मामले में जांच के आदेश दिए. मुख्य सचिव को इस मामले की जांच के आदेश दिए गए थे. मुख्य सचिव को तब तीन दिन में सारी रिपोर्ट सरकार को सौंपने के लिए कहा गया था.
क्या था पूरा मामला: नवंबर 2019 में धर्मशाला में आयोजित इन्वेस्टर्स मीट के लिए राज्य सरकार ने राइजिंग हिमाचल के नाम से एक पोर्टल बनाया था. इस पोर्टल पर पर्यटन विभाग ने एक ऐसा डॉक्यूमेंट अपलोड कर दिया था, जिसकी जानकारी न तो मुख्यमंत्री कार्यालय को दी गई और न ही कैबिनेट को इसका पता था. पर्यटन विभाग ने लैंड सीलिंग एक्ट को बदलने तक की बात कह डाली. रामसुभग सिंह पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे.
उन्होंने डॉक्यूमेंट के माध्यम से पर्यटन निगम ने निवेशकों को ये भी प्रस्ताव दे डाला कि घाटे में चल रहे निगम के होटलों को भी लीज पर दे दिया जाएगा. इसमें कुल 14 होटल लीज पर देने की बात कही गई थी. साथ ही चाय बागानों में कमर्शियल गतिविधियों के लिए लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव का भरोसा दिया गया था. मामला उछलने के बाद विवाद बढ़ा और विपक्ष ने सरकार पर हिमाचल के हितों को बेचने का आरोप लगाया.
सीएम जयराम ठाकुर ने इस मसले पर स्थिति स्पष्ट की थी और कहा था कि न तो धारा-118 में संशोधन का कोई इरादा है और न ही लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव का. तब विधानसभा में सदन के भीतर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) ने आरोप लगाया कि सरकारी संपत्तियों को बेचा जा रहा है. उन्होंने नियम 67 के तहत इस पर चर्चा की मांग की थी. तत्कालीन स्पीकर डॉ. राजीव बिंदल ने इस मांग को ठुकरा दिया. विपक्ष ने आधे घंटे तक इस मुद्दे पर हंगामा किया और फिर वॉकआउट कर दिया था.