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राजधानी में बस अड्डों की सुरक्षा 'भगवान भरोसे', घट चुके हैं कई संगीन अपराध - शिमल बस स्टैंड न्यूज

शिमला के दो प्रमुख बस अड्डों पर रोजाना सैकड़ों लोग अपने गंतव्य को जाने के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में जहां लोगों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होना जरूरी है. इसके लिए प्रबंधकों और पुलिस की ओर से इंतजाम तो किए गए हैं, लेकिन ये नाकाफी हैं. लोगों ने बस अड्डों पर सुरक्षा बढ़ाए जाने की मांग की है.

bus stands of shimla
bus stands of shimla

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Published : Nov 12, 2020, 6:06 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में लॉकडाउन के बाद एक बार फिर लोगों की चहल-पहल लौटने लगी है. अपने रोजमर्रा कामों के लिए स्थानीय लोगों से लेकर हिमाचल घूमने आने वाले पर्यटक तक रोजाना शिमला के बस अड्डे पहुंचते हैं. प्रदेश से बाहर जाना हो या किसी दूसरे जिले तक पहुंचना हो, रोजाना सैकड़ों लोग हर रोज शिमला के बस अड्डों का रुख करते हैं.

ऐसे में जहां लोगों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होना जरूरी है. इसके लिए प्रबंधकों और पुलिस की ओर से इंतजाम तो किए गए हैं, लेकिन ये नाकाफी हैं. शिमला स्मार्ट सिटी बनने की दौड़ में भी शामिल है. सरकार और प्रशासन इस शहर को खूबसूरत के साथ सुरक्षित बनाने के दावे करते हैं, लेकिन शिमला के बस अड्डों की सुरक्षा राम भरोसे ही लगती है.

वीडियो.

बस अड्डों पर नाम मात्र की सुरक्षा

शिमला में दो बस अड्डे हैं. शहर से दूर 2010 में टूटीकंडी में आईएसबीटी बनाया गया. जहां नाम के लिए दो से तीन सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. खाकी वर्दी वाले भी तैनात हैं, लेकिन इक्का दुक्का ही नजर आते हैं.

दिन की चहल पहल के बाद रात में पसरा सन्नाटा और भगवान भरोसे सुरक्षा अपराधियों के लिए बस अड्डों को किसी जुर्म को अंजाम देने के लिए मुफीद बनाते हैं. रात में पुलिस अपनी मुस्तैदी दिखाने के लिए गश्त तो करती है, लेकिन लोग यहां 24 घंटे पुलिस की तैनाती चाहते हैं.

20 जनवरी 2015 को हई थीं डबल मर्डर की वारदात

सुरक्षा को लेकर प्रशासन का ये रवैया तब है जब इन बस अड्डों पर हत्या जैसी वारदातें भी अंजाम दी जा चुकी हैं. बता दें कि शिमला आईएसबीटी पर 20 जनवरी 2015 को दिल दहला देने वाली डबल मर्डर की वारदात हुई थीं. वहीं, बस अड्डों पर चोरी, लूट, नशा तस्करी जैसी कई वारदातें होती हैं.

वहीं, शिमला के ओल्ड बस स्टैंड 16 मई 2016 में पुराने बस अड्डे पर शरारती तत्वों ने डीएसपी की गाड़ी पर हमला कर दिया था, उसके बाद पुलिस को क्यूआरटी बुलाकर लाठीचार्ज करना पड़ा था.

मारपीट व लूटपाट के मामले भी आ चुके हैं सामने

बस अड्डों पर महिलाओं से छेड़छाड़ के मामले सहित जेब कतरे और चेन स्नेचर्स घूमते हैं और यहां कई बार टैक्सी चालकों से लेकर यात्रियों के साथ मारपीट के कई मामले सामने आ चुके हैं. कुछ मिलाकर ये बस अड्डे अपराधियों के अड्डे हैं जहां सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त होना बहुत जरूरी है.

उधर, एचआरटीसी के पास सुरक्षा के मोर्चे पर सिर्फ लाउडस्पीकर है. जो अपने सामान की रक्षा स्वयं करने की हिदायत देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा है. एचआरटीसी के डिविजनल मैनेजर दलजीत सिंह का कहना है कि बस अड्डे पर लोगों को जगरूक करने के लिए लाउडस्पीकर से समय-समय पर अनाउंसमेंट किया जाता है.

त्योहारी सीजन पर बढ़ाई गई गश्त

त्योहारी सीजन को देखते हुए पुलिस ने भी शहर में गश्त और नाके बढ़ा दिए हैं. इन दिनों बस अड्डों पर उमड़ती भीड़ को देखते हुए यहां भी सुरक्षा बढ़ाने की बात की जा रही है. हालांकि बस अड्डों पर स्थायी और बेहतर सुरक्षा का रोड मैप शायद अभी तैयार नहीं है.

एएसपी शिमला सिटी प्रवीर ठाकुर ने बताया कि त्योहारी सीजन पर शहर भर में चौकसी बढ़ाई गई है. इसी के साथ बस अड्डों पर भी सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं. सभी पुलिस एसएचओ को चौकसी बरते जाने के लिए कहा गया है, जिससे लोगों को परेशानी ना हो और आपराधिक मामलों को रोका जा सके.

कुल मिलाकर एचआरटीसी प्रबंधक और पुलिस लोगों को व्यपाक सुरक्षा देने की बात तो कर रही हैं, लेकिन लोगों के मुताबिक सारे इंतजाम नाकाफी हैं और बीते वक्त में बस अड्डों पर हुई वारदातें प्रशासन के दावों की पोल भी खोलती है.

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