शिमलाः हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में लॉकडाउन के बाद एक बार फिर लोगों की चहल-पहल लौटने लगी है. अपने रोजमर्रा कामों के लिए स्थानीय लोगों से लेकर हिमाचल घूमने आने वाले पर्यटक तक रोजाना शिमला के बस अड्डे पहुंचते हैं. प्रदेश से बाहर जाना हो या किसी दूसरे जिले तक पहुंचना हो, रोजाना सैकड़ों लोग हर रोज शिमला के बस अड्डों का रुख करते हैं.
ऐसे में जहां लोगों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होना जरूरी है. इसके लिए प्रबंधकों और पुलिस की ओर से इंतजाम तो किए गए हैं, लेकिन ये नाकाफी हैं. शिमला स्मार्ट सिटी बनने की दौड़ में भी शामिल है. सरकार और प्रशासन इस शहर को खूबसूरत के साथ सुरक्षित बनाने के दावे करते हैं, लेकिन शिमला के बस अड्डों की सुरक्षा राम भरोसे ही लगती है.
बस अड्डों पर नाम मात्र की सुरक्षा
शिमला में दो बस अड्डे हैं. शहर से दूर 2010 में टूटीकंडी में आईएसबीटी बनाया गया. जहां नाम के लिए दो से तीन सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. खाकी वर्दी वाले भी तैनात हैं, लेकिन इक्का दुक्का ही नजर आते हैं.
दिन की चहल पहल के बाद रात में पसरा सन्नाटा और भगवान भरोसे सुरक्षा अपराधियों के लिए बस अड्डों को किसी जुर्म को अंजाम देने के लिए मुफीद बनाते हैं. रात में पुलिस अपनी मुस्तैदी दिखाने के लिए गश्त तो करती है, लेकिन लोग यहां 24 घंटे पुलिस की तैनाती चाहते हैं.
20 जनवरी 2015 को हई थीं डबल मर्डर की वारदात
सुरक्षा को लेकर प्रशासन का ये रवैया तब है जब इन बस अड्डों पर हत्या जैसी वारदातें भी अंजाम दी जा चुकी हैं. बता दें कि शिमला आईएसबीटी पर 20 जनवरी 2015 को दिल दहला देने वाली डबल मर्डर की वारदात हुई थीं. वहीं, बस अड्डों पर चोरी, लूट, नशा तस्करी जैसी कई वारदातें होती हैं.
वहीं, शिमला के ओल्ड बस स्टैंड 16 मई 2016 में पुराने बस अड्डे पर शरारती तत्वों ने डीएसपी की गाड़ी पर हमला कर दिया था, उसके बाद पुलिस को क्यूआरटी बुलाकर लाठीचार्ज करना पड़ा था.