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पुण्यतिथि स्पेशल: चाचा नेहरू ही नहीं सूरतराम प्रकाश भी थे आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री

आज पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि है. इस मौके पर देश उन्हें याद कर रहा है. चाचा नेहरू ही नहीं सूरतराम प्रकाश भी थे आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री. पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर आज हम आपको एक रोचक कहानी बताने जा रहे हैं.

SPECIAL STORY ON  PANDIT JAWAHARLAL NEHRU DEATH ANNIVERSARY
प्रधानमंत्री सूरतराम प्रकाश व उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी.

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Published : May 27, 2021, 1:46 PM IST

Updated : May 27, 2021, 3:41 PM IST

शिमला/ठियोग: देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आज 57वीं पुण्यतिथि है. देश के बच्चे-बच्चे को ये मालूम होगा कि चाचा नेहरू यानी पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन बहुत ही कम लोगों को ये मालूम होगा कि आजादी के एक अन्य परवाने सूरतराम प्रकाश देश की पहली जनतांत्रिक सरकार के प्रधानमंत्री बने थे.

जी हां, शिमला की समीपवर्ती ठियोग रियासत का शासन मानने से इनकार करने वाले स्वतंत्र चेतना के मालिक सूरतराम प्रकाश ने पांच हजार आम जन के अभिवादन के साथ ठियोग के पोटैटो ग्राउंड में देश की पहली जनतांत्रिक सरकार बनाई थी.

प्रधानमंत्री सूरतराम प्रकाश व उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी.

मंत्रिमंडल में 8 सदस्य हुए थे शामिल

उनके साथ आठ सदस्यीय मंत्रिमंडल ने भी सरकार में शामिल होकर शपथ ली थी. यह 16 अगस्त, 1947 की बात है. उस समय देश की रियासतों का भारत संघ में विलय नहीं हुआ था. ठियोग रियासत भी उनमें से एक थी, लेकिन यहां सूरतराम प्रकाश व अन्यों ने रियासत का शासन मानने से इनकार किया था.

प्रधानमंत्री सूरतराम प्रकाश व उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी.

सूरतराम प्रकाश व उनके साथियों के सरकार बनाने के हौसले को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी आकाशवाणी दिल्ली से सलाम किया था. यह सरकार छह महीने तक चली थी. उसके बाद रियासत का भारत संघ में विलय हो गया.

क्या है पूरी कहानी ?

आजादी से पहले भारत छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा था. अधिकांश रियासतों के शासक अत्याचारी थे. हिमाचल में भी छोटी-बड़ी कई रियासतें थीं, उन्ही में से एक रियासत थी ठियोग. हिमाचल के लोग रियासतों के शासक, जिन्हें राणा कहा जाता था, के अत्याचारों से तंग थे.

राणा शासक जनता से बेगार करवाते थे और उन्हें शारीरिक यातना दिया करते थे. ठियोग के राणा यानी शासक राणा कर्मचंद ठाकुर थे. सैंज उनकी राजधानी थी. पूरे हिमाचल में रियासती राजाओं के खिलाफ प्रजामंडल आंदोलन शुरू हुआ था. ये आंदोलन 1942 में ही शुरू हो गया था. अंग्रेजों के साथ-साथ आम जनता अंग्रेजों के पिट्ठू रियासती शासकों से भी लोहा ले रही थी.

स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखना चाहती थी रियासतें

आजादी के बाद रियासतों का देश में विलय होना शुरू हुआ. सरदार पटेल की सख्ती के बावजूद कई रियासतें भारत में शामिल नहीं होना चाहती थीं. ठियोग में भी ऐसा ही था, लेकिन यहां की आजाद चेतना पसंद अवाम ने सूरतराम प्रकाश व अन्य प्रजामंडल आंदोलनकारियों के साथ मिलकर रियासत से आजादी हासिल कर ली.

छह महीने तक चली पहली जनतांत्रिक सरकार

ठियोग के पोटैटो ग्राउंड में 16 अगस्त को पहली जनतांत्रिक सरकार बनी. सूरतराम प्रकाश के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही बुद्धिराम वर्मा, नंदराम बाबू, दिलाराम बाबू, सीताराम कंवर व मास्टर सीताराम आदि ने शपथ ली. यह सरकार छह महीने तक चली.

भारत में शामिल होने वाली पहली रियासत थी ठियोग

रियासतों के विलय के समय देश में शामिल होने वाली पहली रियासत भी ठियोग ही थी. यहां के नेताओं के बापू गांधी सहित सरदार पटेल व अन्य नेताओं से अच्छे संबंध थे. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी ठियोग के पोटैटो ग्राउंड में रैली की थी.

चूंकि ठियोग व आसपास के इलाकों में खूब आलू पैदा होता था और यहां मैदान में आलू की मंडी लगती थी, इसलिए इसे पोटैटो ग्राउंड कहा जाता था. आजादी के बाद से ही पोटैटो ग्राउंड में जश्न मनाया जाता है. ये परंपरा आज भी जारी है.

15 -16 अगस्त को आज भी लगता है आजादी का मेला

ठियोग से सम्बन्ध रखने वाले प्रदेश के विख्यात कवि लेखक मोहन साहिल सूरत राम प्रकाश के परिवार से भी करीब से जुड़े हुए हैं. साहिल बताते हैं कि ठियोग के पोटैटो ग्राउंड में 15 व 16 अगस्त को आजादी का मेला अभी भी लगता है. ये मेला देश की पहली जनतांत्रिक सरकार के प्रधानमंत्री सूरत राम प्रकाश व उनके साथियों की स्मृति में मनाया जाता है. मोहन साहिल के अनुसार सूरतराम प्रकाश के मंत्रिमंडल में सात सदस्य थे. ये सभी प्रजामण्डल आंदोलन से जुड़े हुए थे. पोटैटो ग्राउंड में 2 दिवसीय आजादी का जो मेला लगता है, वो देश का अनूठा आयोजन है. इलाके के लोग आज भी सूरतराम प्रकाश को आदर से याद करते हैं.

देश की पहली जनतांत्रिक सरकार के प्रधानमंत्री सूरतराम प्रकाश के बेटों राजेंद्र प्रकाश व जेपी खाची आज भी अपने पिता की आजाद चेतना को स्मरण करते समय भाव-विभोर हो उठते हैं. उनके मुताबिक सूरतराम प्रकाश व अन्य प्रजामंडल के साथियों ने रियासती शासकों के अत्याचारों के खिलाफ अलख जगाई थी.

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Last Updated : May 27, 2021, 3:41 PM IST

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