हैदराबादः स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक चंद्रशेखर आजाद की आज पुण्यतिथि (Chandra Shekhar Azad Death Anniversary) है. मां भारती को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए वीर सपूतों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया. सैकड़ों सपूतों के बलिदान के बाद 15 अगस्त 1947 को देश को खुली हवा में सांस लेने का मौका मिला था. उन्हीं में से एक क्रांतिकारी वीर थे चंद्रशेखर आजाद. जिनका महज नाम लेने से ही इतिहास गौरवान्वित हो जाता है.
चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के झाबुआ में 23 जुलाई 1906 को हुआ था. जहां चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) का जन्म हुआ उस जगह को अब आजादनगर नाम से जाना जाता है. आजाद ने बचपन में ही निशाने बाजी सीख ली थी. चंद्रशेखर सिर्फ 14 साल की उम्र में 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए थे. अचानक गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन को बंद कर देने से इनकी विचारधारा में बदलाव आया. वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए.
जज ने पूछा नाम तो बताया था 'आजाद':चंद्रशेखर आजाद 14 साल की उम्र में ही गिरफ्तार होकर जेल पहुंच गए थे. जब उन्हें जज के समक्ष पेश किया गया था तो जज ने जब इनका नाम पूछा तो पूरी दृढ़ता से उन्होंने कहा- 'आजाद'. पिता का नाम पूछने पर बोले, 'स्वतंत्रता'. जब चंद्रशेखर से उनका पता पूछ गया तो उन्होंने निडर होके कहा था- 'जेल'. जवाब सुनकर जज ने उन्हें सरेआम 15 कोड़े मारे जाने की सजा सुनाई थी. चंद्रशेखर की पीठ पर जब कोड़े पड़ रहे थे तो वे वंदे मातरम् का उदघोष कर रहे थे. इसी दिन से उनके साथी उन्हें आजाद के नाम से पुकारने लगे थे.
निशानेबाजी में थे पारंगत: सन 1922 में चौरी चौरा कांड के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया तो देश के कई नवयुवकों की तरह चंद्रशेखर का भी कांग्रेस से मोहभंग हो गया. इसके बाद पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, शचीन्द्रनाथ सान्याल, योगेशचन्द्र चटर्जी ने 1924 में उत्तर भारत के क्रान्तिकारियों को लेकर एक दल हिन्दुस्तानी प्रजातान्त्रिक संघ का गठन किया. इस संगठन की चंद्रशेखर आजाद ने सदस्यता ले ली. क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (एचआरए) से जुड़ने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई.