शिमला: कोरोना महामारी से पहले हिमाचल की ये वादियां पर्यटकों से गुलजार रहती थी, लेकिन कोरोना की ऐसी नजर लगी कि पूरा पर्यटन सीजन पहले लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया और फिर जब अनलॉक हुआ तो कोरोना का डर इस कारोबार पर भारी पड़ गया है.
प्रदेश के सभी पर्यटक स्थल इन दिनों वीरान पड़े हुए हैं, जिससे होटल संचालकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें देखी जा रही हैं. हालांकि संचालक आस लगाए बैठे हैं कि सैलानियों की आवाज हिमाचल में जरुर गूंजेगी. आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल मार्च से अगस्त तक करीब 50 लाख पर्यटक हिमाचल आए हैं, जबकि साल 2019 में कुल 1 करोड़ 72 लाख सैलानियों ने देवभूमि का दीदार किया है.
प्रदेश में कुल 6000 पर्यटन इकाइयां हैं. इसके अलावा कई और कारोबार भी पर्यटन के साथ जुड़े रहते हैं. इन सभी पर इस बार कोरोना की मार पड़ी है. वहीं, पर्यटन हिमाचल की आर्थिकी का मुख्य जरिया है और प्रदेश की जीडीपी में पर्यटन की 7 फीसदी हिस्सेदारी है.
बता दें कि प्रदेश की सीमाएं पर्यटकों के लिए अनलॉक के दूसरे चरण में खोल दी गई थी, लेकिन पांच दिन का स्टे पर्यटकों के लिए प्रदेश में अनिवार्य किया गया है. यही वजह थी कि प्रदेश में पर्यटन आने में रूचि नहीं दिखा रहे थे और प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो रहा था, लेकिन अब सरकार की ओर से प्रदेश में पर्यटकों के स्टे के समय को कम कर उसे दो दिन कर दिया है जिससे कि जो पर्यटक कम समय के लिए प्रदेश में आना चाहते है वह अब आसानी से यहां आ सकते हैं.
वहीं, पर्यटकों को प्रदेश में आने के लिए पंजीकरण के नियमों में भी बदलाव किया गया हैं. अब सैलानियों को हिमाचल आने के लिए टूरिस्ट कैटेगिरी में पंजीकरण करवाना होगा. वहीं, पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद अगर 24 घंटे में संबंधित जिला उपायुक्त ने आवेदन को मंजूर नहीं किया तो सॉफ्टवेयर खुद स्वीकृति जारी कर देगा.
सरकार की ओर से नियमों में दी गईं छूट से पर्यटन कारोबारी खुश तो हैं, लेकिन उन्हें यह कदम नाकाफी नजर आ रहा है. उनका मानना है कि सरकार को कुछ कदम भी सकारात्मक रूप से इस दिशा की तरफ उठाने होंगें जिससे कि पर्यटक प्रदेश में आए और पर्यटन क्षेत्र पर जो संकट के बादल छाए है वो छंट सके.
शिमला के टूर एंड ट्रैवल के अध्यक्ष नवीन पॉल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पर्यटकों के लिए प्रदेश में स्टे का समय कम किया है जो एक बेहतर निर्णय है. इस से प्रदेश में साथ ही लगते राज्यों से पर्यटक दो दिन के लिए प्रदेश में घूमने आ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि कोविड की वजह से पर्यटन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. ऐसे में सरकार को इसे वापिस पटरी पर लाने के लिए नियमों में कुछ एक बदलाव ओर सुधार करना चाहिए. जिस तरह से अन्य पर्यटन राज्यों में पर्यटकों को बॉर्डर पर रैपिड कोविड टेस्ट किया जा रहा है और 10 मिनट के अंदर उन्हें रिपोर्ट दी जा रही है.
ऐसे में जिन पर्यटकों का कोविड टेस्ट निगेटिव है उन्हें प्रवेश दिया जा रहा है. इसी तरह का विकल्प प्रदेश के बॉर्डर पर भी होना चाहिए. जिससे कि पर्यटकों को पहले ही यहां कोविड टेस्ट की रिपोर्ट ले कर ना आना पड़े.
टेस्ट महंगा है इस वजह से भी लोग टेस्ट करवा कर आना नहीं चाह रहे हैं. अगर सरकार यह टेस्ट खुद ही सीमा पर करे तो इससे यहां आने वाले पर्यटकों का आंकड़ा बढ़ेगा. आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल मार्च से अगस्त तक करीब 50 लाख पर्यटक हिमाचल आए, जबकि साल 2019 में कुल 1 करोड़ 72 लाख सैलानियों ने देवभूमि का दीदार किया.