शिमला:हिमाचल में हर साल बंदर और जंगली जानवर फलों और फसलों को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाते हैं. इससे बचाव के लिए प्रदेश सरकार की ओर से मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना (CM Farm Protection Scheme in Himachal) के तहत दी जाने वाली सोलर फेंसिंग (solar fencing in himachal) के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं. योजना के अंतर्गत अभी तक लगभग 175.38 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. जिसके बाद करीब 4,669.20 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि की रक्षा की गई है, जो बेसहारा पशुओं, जंगली जानवरों और बंदरों के खतरे के कारण बंजर पड़ी थी. प्रदेश के लगभग 5,535 किसान इस योजना का लाभ उठा चुके हैं.
कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर का कहना (Virender Kanwar on Farm Protection Scheme) है कि योजना के अंतर्गत कृषकों को सौर ऊर्जा चालित बाड़ लगाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है. व्यक्तिगत स्तर पर सौर ऊर्जा बाड़ लगाने के लिए 80 प्रतिशत तथा समूह आधारित बाड़बंदी के लिए 85 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान (mukhymantri khet Sanrakshan Yojana in himachal) इसमें किया गया है. बाड़ को सौर ऊर्जा से संचारित किया जा रहा है. बाड़ में विद्युत प्रवाह से बेसहारा पशुओं, जंगली जानवरों एवं बंदरों को दूर रखने में मदद मिल रही है.
प्रदेश सरकार ने किसानों की मांग तथा सुझावों को देखते हुए कांटेदार तार अथवा चेनलिंक बाड़ लगाने के लिए 50 प्रतिशत उपदान और कम्पोजिट बाड़ लगाने के लिए 70 प्रतिशत उपदान का भी प्रावधान किया है. मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना (CM Farm Protection Scheme in Himachal) का लाभ उठाने के लिए किसान व्यक्तिगत तौर पर अथवा किसान समूह के रूप में नजदीक के कृषि प्रसार अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी अथवा विषयवाद विशेषज्ञ (एसएमएस) के माध्यम से कृषि उपनिदेशक के समक्ष आवेदन कर सकते हैं. विभाग के वृत्त, विकास खंड एवं जिला स्तरीय कार्यालयों में आवेदन फॉर्म उपलब्ध रहते हैं. आवेदन के साथ उन्हें अपनी भूमि से संबंधित राजस्व दस्तावेज संलग्न करने होंगे.
हिमाचल की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान:हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है. कृषि विभाग के एक अनुमान के अनुसार प्रदेश के लगभग 90 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और 70 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर हैं. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि व इससे जुड़े क्षेत्रों का योगदान लगभग 13.62 प्रतिशत है. प्रदेश में लगभग 9.97 लाख किसान परिवार हैं. 9.44 लाख हेक्टेयर भूमि पर काश्त होती है. यहां औसतन जोत का आकार लगभग 0.95 हेक्टेयर है.
प्रदेश में 88.86 प्रतिशत किसान सीमान्त और लघु वर्ग के हैं, जिनके पास बोई जाने वाली भूमि का लगभग 55.93 प्रतिशत (Solar fencing is protecting agriculture) भाग है. 10.84 प्रतिशत किसान मध्यम श्रेणी के हैं और 0.30 प्रतिशत ही बड़े किसानों की श्रेणी में आते हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार की खेत संरक्षण योजना सीमान्त, लघु व मध्यम वर्ग के किसानों के लिए वरदान बन कर आई है. बेसहारा व जंगली जानवरों के उत्पात से खेती-किसानी से किनारा कर रहे कृषक फिर से खेतों की ओर मुड़े हैं. यह योजना हिमाचल में सुरक्षित खेती की नई इबारत लिख रही है.