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इस तरह आजाद भारत के पहले वोटर बने थे श्याम सरन नेगी, जानिए स्कूल टीचर की रोचक कहानी - चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने 17वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है. आजाद भारत में साल 1952 में पहली बार हुआ था चुनाव. देश के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी का पोलिंग बूथ पर होता खास स्वागत.

श्याम सरन नेगी

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Published : Mar 12, 2019, 2:05 PM IST

शिमला: चुनाव आयोग ने 17वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है. सात चरण में होने वाले मतदान में हिमाचल प्रदेश के लोग 19 मई को अपने मतों का प्रयोग करेंगे. इन्हीं वोटर्स में शामिल हैं आजाद भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी.

श्याम सरन नेगी

किन्नौर जिले के काल्पा के रहने वाले 102 साल के बुजुर्ग श्याम सरन नेगी के देश के पहले मतदाता बनने की कहानी बेहद रोचक है. ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भारत में फरवरी 1952 में पहला आम चुनाव हुआ था. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि भारत के जनजातीय इलाके भी आम चुनाव में हिस्सा लें. चूंकि जनजातीय इलाकों में बर्फबारी के कारण आवागमन अवरुद्ध हो जाता है, लिहाजा इन इलाकों में भारत के अन्य हिस्सों से पहले ही मतदान का फैसला लिया गया था और 25 अक्टूबर 1951 को जनजातीय क्षेत्र में चुनाव आयोजित किए गए.

देशभर के जनजातीय इलाकों में सबसे पहले हिमाचल के किन्नौर इलाके को ही चुना गया. उस समय किन्नौर में स्कूल टीचर श्याम सरन नेगी को पोलिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी निभानी थी. सुविधाओं और संसाधनों की कमी के साथ ही किन्नौर का इलाका भी दुर्गम था. मतपेटी तो थी नहीं, ऐसे में श्याम सरन नेगी ने टीन के कनस्तर को मतपेटी का रूप दिया.

अब मतदान की बारी थी. स्थितियां ऐसी थीं कि कोई भी मतदान के लिए मौजूद नहीं था, तो श्याम सरन नेगी ने ही सबसे पहले मतदान किया. यह 25 अक्टूबर 1951 की बात थी. खुद वोट डालने के बाद श्याम शरन नेगी ने महीने भर पूरे कबायली इलाके में घूम-घूम कर लोगों को मतदान का महत्व समझाया और उनसे मतदान करवाया.

श्याम सरन के इस प्रयास को देशभर में सराहना मिली थी. भारत में लोकतंत्र की मजबूती और मतदान को लेकर श्याम सरन के योगदान पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. उन पर भारत के चुनाव आयोग ने बेहद भावुक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है, जिसे अब तक यू-ट्यूब पर लाखों लोग देख चुके हैं. हर चुनाव में वोट डालने के लिए पहुंचने वाले नेगी लोकतंत्र में भारतीय आस्था के प्रतीक बन चुके हैं. उन्हें मतदान केंद्र तक लाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी खास वाहन का इंतजाम करते हैं. साथ ही रेड कारपेट भी बिछाया जाता है.

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