शिमलाःराजधानी में जेल में सजा काट रहे कैदियों द्वारा चलाए जा रहे बुक कैफे की पहचान ना केवल देश और विदेशों में भी है. इन दिनों बुक कैफे के निजी हाथों में सौंपने की कवायद चल रही है. लेकिन शिमला के साहित्यिक वर्ग बुक कैफे के निजीकरण करने के विरोध में है.
साहित्यकारों का कहना है कि इस बुक की पहचान को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि बुक कैफे को कारागार एवं सुधार सेवा विभाग के पास ही रखा जाना चाहिए. ताकि इस बुक कैफे की जो पहचान है वह कायम रह सके. साहित्यकारों को भी इस बुक कैफे ने साहित्यिक गतिविधियों के लिए स्थान मिलने की बात कही.
इस मांग को लेकर शिमला के लेखकों ने मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेटरी सहित हाई कोर्ट को भी पत्र लिखा है. इसके बाद लेखकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की जिसमें मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह निगम कमिश्नर से इस मामले को लेकर बात करेंगे.