शिमला :शारदीय नवरात्रि का आज आठवां दिन है. जिसे अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्रि के आठवें दिन भगवती के महागौरी रूप की पूजा की जाती है. माता महागौरी की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है. सारे कष्ट दूर होते हैं. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां महागौरी ने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने महागौरी को दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गोरा हो गया और इनका नाम गौरी हो गया. माना जाता है कि माता सीता ने राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी.
मां महागौरी ने की थी कठोर तपस्या:मां महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति रूप में पाने करने के लिए कठोर तपस्या की थी. एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं. जिससे देवी के मन आहत हो जाता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती है. इस तरह सालो तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं. वहां पहुंचे तो वहां पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं. पार्वती जी का रंग बेहद ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामने सफेद दिखाई पड़ती है. वहीं मध्यप्रदेश के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी ट्विटर पर लिखा- मां महागौरी की असीम कृपा आप सभी पर बनी रहे.
महागौरी का स्वरूप:मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है. कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ गया. जिसके बाद भगवान प्रसन्न होकर इन्हें स्वीकार करते हैं. फिर इनके शरीर को गंगाजल से धोते हैं. तब देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.
माता महागौरी की सवार वृषभ (बैल) है. इनका अस्त्र त्रिशूल है. इन्हें भी भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में माना गया है. माता का रूप गौर वर्ण है. मान्यता है कि इस दिन यज्ञ (हवन) करने का विधान है. हवन करने से रोग दूर होते हैं. सारे कष्ट दूर होते हैं.
मंत्र:श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः | महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ||