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SFI ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा, फीस माफ करने की उठाई मांग

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Published : Jun 8, 2020, 11:00 PM IST

गैर शिक्षक पदों के लिए आवेदन करने को लेकर तय की गई भारी भरकम फीस के विरोध में छात्र सगठनों ने मोर्चा खोल दिया है. एसएफआई का कहना है कि एचपीयू ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार का अवसर देने के बजाए उन पर भारी भरकम आवेदन फीस का भार डाल दिया है. एचपीयू के इस तरह के निर्णय से छात्रों पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है.

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SFI ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा

शिमलाः हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से गैर शिक्षक पदों के लिए आवेदन करने को लेकर तय की गई भारी भरकम फीस के विरोध में छात्र सगठनों ने मोर्चा खोल दिया है. छात्रों ने विरोध का अनोखा तरीका निकाला है. इस समय विश्वविद्यालय बंद है और छात्र अपने घर पर हैं. ऐसे में छात्र संगठन एसएफआई के माध्यम से घरों में रह रहे छात्रों ने विश्वविद्यालय के खिलाफ अपना विरोध जताया है.

एसएफआई इकाई अध्यक्ष रविंद्र चंदेल ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया था, लेकिन दिन प्रतिदिन हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं. देश व प्रदेश के करोड़ों छात्र भी अपने घरों में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. एक ओर पूरा विश्व इस महामारी से लड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की फीस माफ करने के बजाय बढ़ा रहे हैं.

एसएफआई का कहना है कि एक तो पहले से ही छात्र चिंतित हैं. एचपीयू ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार का अवसर देने के बजाए उन पर भारी भरकम आवेदन फीस का भार डाल दिया है. एचपीयू के इस तरह के निर्णय से छात्रों पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है. एसएफआई ने मांग कि है कि गैर शिक्षक पदों पर आवेदन फीस को कमाई का साधन बनाना बंद किया जाए.

प्रदेश विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया में आवेदन फीस बढ़ोतरी वापिस ली जाए. सरकारी आदेशानुसार महिलाओं को निशुल्क आवेदन का अवसर दिया जाए. यूजीसी के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय को संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या देख कर फिलहाल अभी नहीं खोला जाए.

एसएफआई का कहना है कि अगर एचपीयू ने यह सब मांगें नहीं मानी और निर्णय वापिस नहीं लिया गया, तो आने वाले समय में विश्वविद्यालय प्रशासन आंदोलन के लिए तैयार रहे. बता दें कि एचपीयू की ओर से गैर शिक्षक पदों के आवेदन के लिए सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 2 हजार रुपये और 12 सौ रुपए आरक्षित वर्ग के आवेदकों के लिए रखी गई है. इस भारी भरकम फीस का विरोध छात्र संगठन कर रहे हैं.

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