शिमला: हिमाचल में जहां अभी कोरोना (Corona Cases in Himachal) वायरस खत्म नहीं हुआ है. वहीं, इसी बीच स्क्रब टायफस सक्रिय हो गया है इस साल स्क्रब के अभी तक 573 मरीजों के टेस्ट किए गए हैं, जिसमें से 54 मामले पॉजिटिव (Scrub Typhus in Himachal) आ चुके हैं. ध्यान रहे कि अब सीजन शुरू हो गया है अब लगातार स्क्रब टायफस के मामले आने शुरू हो गए हैं. ऐसे में लोगों को सावधानी बरतनी होगी.
बता दें कि हर साल स्क्रब टाइफस प्रदेश में लोगों को अपना ग्रास बनाता है. आपको इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. चिकित्सक द्वारा कोरोना के साथ-साथ अब सक्रब टाइफस के टेस्ट किए जा रहे हैं. हर साल मामले को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी अर्लट रहता है. पहले ही विभाग ने लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी है. डॉक्टरों ने लोगों को निर्देश दिए हैं कि अगर कोई घास काटता है और उसमें ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो वे इलाज के दौरान डॉक्टर को जरूर बताएं. ताकि डॉक्टर समय से उसका इलाज कर सकें.
बरसात के दिनों में स्क्रब टाइफस के अधिक मामले आते हैं. विभाग का दावा है कि स्क्रब टाइफस की स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है, लेकिन महज नजर रखने से इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल है. स्क्रब टाइफस चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें और घास आदि के बीच न जाएं. लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि आगामी दिनों में खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है.
हिमाचल में स्क्रब टाइफस के टेस्ट:वैसे कोरोना महामारी के चलते दो साल से स्क्रब टाइफस के कम टेस्ट हो रहे हैं. इसका कारण यह है कि जिस लैब में कोरोना के टेस्ट होते हैं, उसी लैब में स्क्रब टाइफस के टेस्ट होते हैं. यहां पर कोरोना के टेस्ट भी कई बार पेंडिंग में रहते हैं. ऐसे में स्क्रब टाइफस के टेस्ट करवाने के लिए लैब में कम समय बचा होता है. चिकित्सक भी जरूरत के हिसाब से ही स्क्रब के टेस्ट करवा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की यह लापरवाही भारी पड़ सकती है. इस बार तो अब कोरोना की सैंपलिंग भी कम हो रही है. ऐसे में स्क्रब टाइफस के ज्यादा से ज्यादा टेस्ट होने चाहिए.