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हिमाचल में स्क्रब टाइफस की दस्तक से हड़कंप, यहां जानिए लक्षण और उपाय

Scrub Typhus in Himachal, हिमाचल प्रदेश स्क्रब टाइफस का कहर बढ़ता ही जा रहा है. स्क्रब टाइफस बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ लोगों की भी चिताएं बढ़ा दी हैं. प्रदेश में अब तक 54 लोग इससे संंक्रमित हो चुके हैं. स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जानिए स्क्रब टाइफस के लक्षण और इससे बचने के क्या उपाय हैं...

scrub typhus cases increased in himachal
हिमाचल में स्क्रब टाइफस

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Published : Aug 26, 2022, 9:59 PM IST

शिमला: हिमाचल में जहां अभी कोरोना (Corona Cases in Himachal) वायरस खत्म नहीं हुआ है. वहीं, इसी बीच स्क्रब टायफस सक्रिय हो गया है इस साल स्क्रब के अभी तक 573 मरीजों के टेस्ट किए गए हैं, जिसमें से 54 मामले पॉजिटिव (Scrub Typhus in Himachal) आ चुके हैं. ध्यान रहे कि अब सीजन शुरू हो गया है अब लगातार स्क्रब टायफस के मामले आने शुरू हो गए हैं. ऐसे में लोगों को सावधानी बरतनी होगी.

बता दें कि हर साल स्क्रब टाइफस प्रदेश में लोगों को अपना ग्रास बनाता है. आपको इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. चिकित्सक द्वारा कोरोना के साथ-साथ अब सक्रब टाइफस के टेस्ट किए जा रहे हैं. हर साल मामले को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी अर्लट रहता है. पहले ही विभाग ने लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी है. डॉक्टरों ने लोगों को निर्देश दिए हैं कि अगर कोई घास काटता है और उसमें ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो वे इलाज के दौरान डॉक्टर को जरूर बताएं. ताकि डॉक्टर समय से उसका इलाज कर सकें.

बरसात के दिनों में स्क्रब टाइफस के अधिक मामले आते हैं. विभाग का दावा है कि स्क्रब टाइफस की स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है, लेकिन महज नजर रखने से इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल है. स्क्रब टाइफस चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें और घास आदि के बीच न जाएं. लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि आगामी दिनों में खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है.

हिमाचल में स्क्रब टाइफस के टेस्ट:वैसे कोरोना महामारी के चलते दो साल से स्क्रब टाइफस के कम टेस्ट हो रहे हैं. इसका कारण यह है कि जिस लैब में कोरोना के टेस्ट होते हैं, उसी लैब में स्क्रब टाइफस के टेस्ट होते हैं. यहां पर कोरोना के टेस्ट भी कई बार पेंडिंग में रहते हैं. ऐसे में स्क्रब टाइफस के टेस्ट करवाने के लिए लैब में कम समय बचा होता है. चिकित्सक भी जरूरत के हिसाब से ही स्क्रब के टेस्ट करवा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की यह लापरवाही भारी पड़ सकती है. इस बार तो अब कोरोना की सैंपलिंग भी कम हो रही है. ऐसे में स्क्रब टाइफस के ज्यादा से ज्यादा टेस्ट होने चाहिए.

क्या कहते हैं आईजीएमसी के एमएस: आईजीएमसी के कार्यकारी एमएस डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि पॉजिटिव मामले आते हैं और इससे मौतें भी हो जाती हैं. लोगों के लिए एडवाजरी जारी की जाती है कि अगर किसी को इसके लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत अस्पताल आएं. लोग इससे बचने के लिए स्वयं भी जिम्मेदार बनें. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस मौसम में बिल्कुल भी लापवाही न बरतें.

ऐसे फैलता है स्क्रब टाइफस:स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू (What is scrub typhus) के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है. इन दिनों खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है. लोगों को जैसे ही कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.

स्क्रब टाइफस के लक्षण:स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार की शिकायत (Symptoms of scrub typhus) होती है. 104 से 105 तक बुखार संभव है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना. अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू, कमर के नीचे गिल्टी/गांठ होना आदि इसके लक्षण है.

स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय: स्क्रब टाइफस से बचने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर और आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर और आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरुआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है.

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