शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे. इस साल अब तक विभिन्न दुर्घटनाओं में 96 लोगों की मौत हो चुकी है. ब्लैक और ब्लाइंड स्पॉट्स की मरम्मत के बावजूद सड़क हादसे कम नहीं हो रहे. सभी उपाय करने के बाद भी हादसों पर अंकुश न लगने से अनमोल जीवन काल का ग्रास बन रहे हैं. अब हिमाचल में हादसों को रोकने के लिए अलग से रोड सेफ्टी फंड की अधिसूचना जारी की गई है.
सरकार हादसों का वैज्ञानिक अध्ययन भी करेगी. साथ ही अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन कर उनका दस्तावेज तैयार किया जाएगा. हिमाचल प्रदेश में हर रोज औसतन तीन लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं. एक अनुमान के अनुसार हिमाचल में मार्च 2020 से (road accident in himachal pradesh) जनवरी 2021 के बीच कोविड से हुई मौतों और सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में आंकड़ों के लिहाज से कोई अधिक फर्क नहीं है. कुछ जिलों में कोविड से अधिक मौत सड़क हादसों में हुई है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने रोड सेफ्टी फंड और हादसों को रोकने के लिए अब सक्रिय प्रयास शुरू कर दिए हैं. रोड सेफ्टी फंड की अधिसूचना के साथ ही प्रदेशवासियों से 30 दिन में सुझाव मांगे गए हैं. राज्य में सड़क हादसे कैसे रोके जा सकते हैं, इसे लेकर सरकारी व गैर सरकारी संगठनों सहित सभी लोगों से सुझाव मांगे गए हैं.
ड्राफ्ट नियम तैयार करने के साथ ही सरकार ने कहा है कि फंड का नाम 'हिमाचल प्रदेश रोड सेफ्टी फंड रहेगा'. इस फंड का उपयोग हादसे रोकने के लिए जागरूकता अभियानों को गति देने, सुरक्षित वाहन चलाने का प्रशिक्षण देने सहित ट्रैफिक नियमों पर जागरूक करना होगा. हादसों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा. यह पता लगाया जाएगा कि किस जिला में किन सड़कों पर किस तरह के हादसे पेश आ रहे हैं.
इसके अलावा रोड एक्सीडेंट का डाटा कलेक्ट कर उसकी समीक्षा की जाएगी साथ ही ब्लैक व ब्लाइंड स्पॉट्स पर दुर्घटनाओं का ट्रेंड पता किया जाएगा. अधिकांश हादसे ओवर स्पीड, नशे की हालत में वाहन चलाने और तीखे मोड़ के कारण होते हैं. फंड के जरिए पुलिस को सड़क सुरक्षा संबंधित उपकरण दिए जाएंगे और परिवहन विभाग को ट्रैफिक नियम सख्ती से लागू करवाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.
हिमाचल प्रदेश में स्कूली बच्चों के वाहन भी हादसों (road accidents in Himachal) का शिकार हुए हैं. रोड सेफ्टी को दरकिनार करते हुए ओवर लोडिंग की जाती है. नूरपुर स्कूली बस हादसे के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को कई निर्देश दिए थे. उन सभी निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा.
सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर सड़क हादसों में घायल होने वालों के लिए तुरंत इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित बनाने के लिए हर जिला में ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा. इसके अलावा खतरनाक सड़क मार्गों पर क्रैश बैरियर्स (crash barriers in hp) लगाए जाएंगे. जरूरत के अनुसार पैरापिट बनाए जाएंगे. इस व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर एक्सीडेंट में घायल लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत कैशलेस इलाज की व्यवस्था की जाएगी.