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Published : Nov 2, 2020, 5:19 PM IST

Updated : Nov 2, 2020, 7:30 PM IST

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आठ महीने बाद खुले स्कूल, अभिभावकों में दिखा डर

शिमला के मॉडल कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर में भी मात्र 20 से 25 के करीब छात्राएं ही नियमित कक्षाएं लगाने के लिए स्कूल पहुंची. जबकि स्कूल ने नौंवी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक कि छात्राओं की संख्या 1200 से भी अधिक है. ऐसे में छात्राओं की संख्या को देखते हुए यह स्पष्ट हो रहा है कि अभिभावक अभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है.

Schools reopen in Shimla
आठ महीने बाद खुले स्कूल

शिमला: प्रदेश में आज आठ महीने के बाद स्कूल और कॉलेजों को छात्रों की नियमित कक्षाएं लगाने के लिए खोल दिया गया है. स्कूल नौंवी कक्षा से लेकर बाहरवीं कक्षा तक के छात्रों की नियमित कक्षाओं के लिए खोले गए है.

स्कूल खोलने के पहले दिन पहले स्कूल आने वाले छात्रों की संख्या बेहद कम रही. शिमला के स्कूलों में नौंवी से बाहरवीं तक के छात्रों की जो संख्या थी उसके आधे बच्चे भी कक्षाएं लगाने के लिए स्कूल कैंपस नहीं आए.

वीडियो रिपोर्ट

शिमला के मॉडल कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर में भी मात्र 20 से 25 के करीब छात्राएं ही नियमित कक्षाएं लगाने के लिए स्कूल पहुंची, जबकि स्कूल में नौंवी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक कि छात्राओं की संख्या 1200 से भी अधिक है. ऐसे में छात्राओं की संख्या को देखते हुए यह स्पष्ट हो रहा है कि अभिभावक अभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है.

स्कूल प्रबंधन की ओर से पूरी व्यवस्था कैंपस में की गई हैं. थर्मल सकैंनिग और हाथ सेनिटाइज करने के बाद ही छात्रों को प्रवेश स्कूल में दिया गया. वहीं, शिक्षकों और गैर शिक्षकों को भी इसी तरह से प्रवेश स्कूल में दिया गया.

वहीं, जो भी छात्राएं स्कूल पहुंची थी उनकी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कक्षाओं में बैठाया गया. छात्राएं इतनी कम थी कि एक डेस्क पर एक ही स्टूडेंट को बैठाया गया. शिक्षकों ने कक्षाओं में आ कर छात्राओं को पढ़ाया.

वहीं, जो छात्राएं स्कूल आई थी उन्होंने कहा कि स्कूल में नियमित कक्षाएं लगने से वह खुश है, लेकिन कोरोना वायरस को लेकर अभी भी उनके मन में डर है. हालांकि, स्कूल में जो व्यवस्था है उसे देखकर वह संतुष्ट है और उन्हें सुरक्षित महसूस हो रहा है.

छात्राओं ने कहा कि भले ही अभी ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थी, लेकिन कुछ एक विषयों को समझना उन्हें मुश्किल हो रहा था अब जब वह स्कूल आ पाएंगे तो उनके सभी डाउट क्लियर हो पाएंगे. छात्राओं ने कहा कि अभिभावक उन्हें स्कूल भेजने को लेकर चिंतित थे. अभिभावको ने उन्हें सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने और मास्क पहनने के साथ ही हाथों को बार-बार सेनिटाइज करने की सलाह दी है.

वहीं, स्कूल के प्रिंसिपल नरेंद्र सूद ने बताया कि स्कूल पहुंची छात्राओं की संख्या बहुत ही कम है. स्कूल ने पूरी व्यवस्था की थी और माइक्रो प्लान तैयार था कि अगर ज्यादा संख्या में छात्राएं स्कूल आती तो किस तरह से उन्हें बैठाया जाएगा. आगामी समय मे अगर छात्राओं की संख्या ज्यादा बढ़ती है तो माइक्रो प्लान के तहत ही पूरी व्यवस्था की जाएगी.

भले ही स्कूल खोल दिए गए हैं लेकिन जो छात्र अभी स्कूल नहीं आना चाहते है उनके लिए ऑनलाइन कक्षाएं भी सुचारू रूप से लगती रहेंगी. बता दें कि विभाग की ओर से जो एडवाइजरी जारी की गई है उसके तहत शैक्षणिक संस्थानों को सेनिटाइज करने के साथ ही कक्षाओं में सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना अनिवार्य किया गया है.

इसके साथ ही जिन छात्रों, शिक्षकों और गैर शिक्षकों में फ्लू, फीवर के लक्षण है, उन्हें स्कूल में प्रवेश ना देने के आदेश है. वहीं, सभी को मास्क पहनाना भी अनिवार्य किया गया है. वहीं, अगर शिमला के अन्य स्कूलों की बात करें तो कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लक्कड़ बाजार में 320 के करीब छात्राओं में से मात्र 5 छात्राएं ओर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला छोटा शिमला में नौंवी से बाहरवीं तक छात्रों की संख्या 500 से अधिक थी जिसमें से 6 छात्र ही स्कूल आए थे.

हाजिरी की नहीं है कोई अनिवार्यता

प्रदेश के स्कूलों में नौवीं कक्षा से लेकर बाहरवीं कक्षा तक के छात्रों की नियमित कक्षाएं तो लग गयी है लेकिन अभी भी हाजिरी को अनिवार्य नहीं रखा गया है. छात्र स्कूल आ कर भी और ऑनलाइन माध्यम से भी अपनी कक्षाएं लगा सकते है.छात्रों को स्कूल आने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा.

Last Updated : Nov 2, 2020, 7:30 PM IST

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