शिमला:नागरिक सभा का अधिवेशन मंगलवार शिमला के कालीबाड़ी हाल में आयोजित किया गया. जिसमें शिमला शहर के सभी वार्डों से सैकड़ों लोगों ने भाग लिया. इसमें शहर के मुद्दों पर चर्चा की गई और सरकार व नगर निगम शिमला की नीतियों के कारण आम जनता पर आर्थिक बोझ डालने के कारण जनता का संकट बढ़ रहा है.
सरकार व नगर निगम की इन नीतियों के कारण आम जनता को शहर में रहना दूभर हो गया है और केवल अमीर व साधन संपन्न लोगों के लिए यह शहर रहने योग्य बनाया जा रहा है. इस अधिवेशन में निर्णय लिया गया कि 15 अप्रैल, 2022 तक वार्ड व मुहल्ले के स्तर पर शिमला नागरिक सभा की कमेटियों का गठन किया जाएगा और जनता के मुद्दों पर संघर्ष किया जाएगा.
विधायक राकेश सिंघा बैठक में विशेष रूप से उपस्थित रहे:अधिवेशन में शिमला नागरिक सभा के संयोजक संजय चौहान ने कहा कि देश व प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों के कारण देश में व्यापक महंगाई व बेरोजगारी फैली है. आज सभी खाद्य व आवश्यक वस्तुओं जिसमें पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन व अन्य सेवाएं सरकार की नीतियों के कारण महंगी की जा रही है. रसोई गैस व राशन की कीमतों में निरंतर वृद्धि की जा रही है, जिसके कारण आज आम जनता को रोजी रोटी का संकट हो गया है और जनता को रोजगार का संकट के चलते आज अपनी रोजमर्रा के खर्च चलाना मुश्किल हो गया है.
भाजपा को नगर निगम शिमला को सत्तासीन हुए 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हो गया है, लेकिन इन 5 वर्षों में सरकार ने पानी के बिल, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़ा उठाने की फीस व अन्य सेवाओं की दरों में भारी वृद्धि कर जनता पर आर्थिक बोझ डाला है. इसके साथ पानी जैसी मूलभूत आवश्यकता के निजीकरण के लिए कंपनी का गठन किया और शहरवासियों पर भारी भरकम बिल थमा कर आर्थिक बोझ डाला है.
शहर के विकास के लिए कोई भी नई परियोजना नहीं लाई है और पूर्व नगर निगम द्वारा लाई गई विभिन्न परियोजनाओं जिसमे स्मार्ट सिटी, अम्रुत, विश्व बैंक की पेयजल व सीवरेज की परियोजना, टूटीकंडी से माल रोड के लिए रोपवे, तहबाजारी के लिए आजीविका भवन, शहरी गरीब के लिए आवास, पार्किंग व अन्य परियोजनाओं को आज तक पूर्ण नहीं की गई.
इन पांच वर्षों में नगर निगम की सम्पतियों को अपने चेहतों को बांटने का कार्य किया है. आज नगर निगम की इस लचर कार्यशैली से शहर का विकास का पहिया थम गया है और केवल चेहते ठेकेदारों के इशारों पर कार्य कर इनको लाभ दिया जा रहा है.
बैठक में शहर के निम्न मुद्दों को लेकर संघर्ष का निर्णय लिया गया.
1. पानी, बिजली व अन्य मूलभूत आवश्यकताओं का निजीकरण बन्द करो.
2. शहर को नशा मुक्त करने के लिए वार्ड स्तर पर कमेटियो का गठन करें.
3. पानी व कूड़े उठाने की दरों में हर वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि वापिस लो.
4. निजी स्कूलों में लगातार की जा रही फीस वृद्धि पर रोक के लिए कानून बनाओ.
5. IGMC व DDU अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करो.
6. बस किराए में की गई वृद्धि वापिस लो और न्यूनतम किराया 2 रुपये करो.
7. शिमला शहर में पेयजल की आपूर्ति नियमित प्रतिदिन करो.
8. शहरी रोजगार गारण्टी योजना लागू करो.